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Bhopal IT Raid Rajesh Sharma Diary letter written by officers Photograph: (the sootr)
Bhopal : राजधानी भोपाल में आईटी छापों की जद में आए बिल्डर और त्रिशूल कंस्ट्रक्शन कंपनी के अगुआ राजेश शर्मा की डायरी राज उगल रही है। डायरी में दो आईपीएस और एक आईएएस अधिकारी के नाम का जिक्र है। इसमें काम के साथ रिश्वत का ब्यौरा भी दर्ज है। इसी काम से जुड़ी एक चिट्ठी भी सामने आ गई है। इस चिट्ठी में पुलिस के आला अधिकारियों ने स्थानीय पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही यह भी लिखा है कि जब तक मामले की विवेचना (जांच) न हो, तब तक आरोपियों की गिरफ्तारी न की जाए। ऐसा आरोपियों को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया था। सूत्रों के अनुसार, यह पत्र 9 अक्टूबर को लिखा गया था, जबकि राजेश शर्मा के यहां से मिली डायरी में इसकी एंट्री 11 अक्टूबर को दर्ज है।
'द सूत्र' ने ही सबसे पहले बताया था कि राजेश शर्मा के यहां पड़े छापों में डायरी में मिली है और इसमें तीन वरिष्ठ अधिकारियों के नाम मिले हैं। इन अफसरों को काम के बदले रुपए दिए गए हैं। एक आईएएस और एक आईपीएस अभी जबलपुर जिले में पदस्थ हैं, जबकि एक आईपीएस भोपाल मुख्यालय में हैं।
यह मामला माइनिंग कंपनी में फर्जीवाड़ा करने के आरोप से जुड़ा है। इस केस को डिले और चार्टशीट को लेकर दो आईपीएस और एक आईएएस अधिकारी को रुपए दिए जाने की बात सामने आ रही है। शर्मा के यहां से मिली डायरी में तीनों अफसरों के नाम हैं। वहीं, उस काम का भी जिक्र है, जो इन्हें करना था। अब 'द सूत्र' वही पत्र लेकर आया है।
देखिए वो पत्र...
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आसान भाषा में समझिए क्या लिखा है पत्र में
आला अधिकारियों की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि प्रश्नास्पद दस्तावेजों की जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आई है। केस नंबर 588/2024 के तहत दर्ज दस्तावेजों में यह साफ नहीं किया गया है कि हस्ताक्षर के नमूने कब और किसने लिए। इसलिए, यह निर्देश दिया जा रहा है कि भोपाल से दस्तावेजों की जांच रिपोर्ट तुरंत मंगवाई जाए। रिपोर्ट आने के बाद ही केस में आगे की कार्रवाई की जाए।
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आईटी टीम कर रही तस्दीक
राजेश शर्मा के यहां मिले दस्तावेज खंगाल रही आयकर विभाग की टीम के हाथ यह डायरी लगी है। सूत्रों के अनुसार, अब आईटी टीम तीनों अफसरों को नोटिस देने की तैयारी कर रही है। सभी पलहुओं की तस्दीक की जा रही है। यदि डायरी में लिखे काम सही पाए गए तो अफसरों पर सख्त कार्रवाई हो सकती है। मध्यप्रदेश के इतिहास में संभवत: यह पहली बार होगा, जब घूसखोरी के केस में तीन बड़े अधिकारियों पर एक साथ बड़ी कार्रवाई होगी।
संक्षेप में समझिए पूरा मामला
आयकर टीम ने पिछले महीने राजेश शर्मा के त्रिशूल कंस्ट्रक्शन सहित कुछ अन्य के 56 ठिकानों पर छापेमारी की थी। भोपाल के 53, इंदौर के 2 और ग्वालियर के एक ठिकाने पर छापेमारी की गई। राजेश शर्मा सहित अन्य के ठिकानों से कई दस्तावेज मिले। इन्हें आईटी टीम ने जब्त कर लिया था। इसके बाद दस्तावेजों की पड़ताल करने के बाद अब संबंधित लोगों को समन जारी किए जा रहे हैं। इसी सिलेसिले में दो आईपीएस और एक आईएएस को नोटिस थमाया जाएगा।
यह है डायरी वाला केस
दरअसल, लौह अयस्क कंपनी मेसर्स यूरो प्रतीक के कर्ता धर्ताओं ने फर्जी दस्तावेज तैयार कराकर कंपनी से दो डायरेक्टर्स को बाहर कर दिया था। जब दोनों को इसकी खबर लगी तो उन्होंने गोलमाल करने वाले कंपनी के चार लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई। इनमें तीन डायरेक्टर और एक कंपनी सेक्रेटरी शामिल है। फर्जी तरह से हटाए गए डायरेक्टर्स सुरेंद्र सलूजा एवं हरनीत सिंह लांबा ने आरोप लगाया था कि गोलमाल के मुख्य सरगना महेंद्र गोयनका को पुलिस बचा रही है। यही कारण है कि इस गोलमाल में शामिल गोयनका के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया। पुलिस ने गोयनका के प्यादों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर इतिश्री कर ली थी।
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शीर्ष अदालत ने नहीं दी थी जमानत
यही मामला जबलपुर जिले का है। यहां सिहोरा के हरगढ़ स्थित कंपनी मेसर्स यूरो प्रतीक इंडस्ट्री में सुरेंद्र सिंह सलूजा और हरनीत सिंह लांबा डायरेक्टर थे। दोनों को कंपनी के चार लोगों ने मिलीभगत कर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर से बाहर कर दिया था। इसके बाद कंपनी के डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव, डायरेक्टर सनमति जैन, डायरेक्टर सुनील अग्रवाल और कंपनी सेक्रेटरी लाची मित्तल के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। पुलिस ने इस मामले में चारों पर धोखाधड़ी सहित अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया था। इसी मामले को डिले करने और चार्टसीट को लेकर दो आईपीएस और एक आईएएस ने खेल खेला। बाद में केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां शीर्ष अदालत ने धोखाधड़ी के आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। इसके पूर्व आरोपियों को हाईकोर्ट जबलपुर ने भी अग्रिम जमानत नहीं दी थी।