MP News : इंदौर में मेट्रो के सफल संचालन के बाद अब भोपाल में भी मेट्रो के काम ने रफ्तार पकड़ ली है। 31 मई को इंदौर मेट्रो का वर्चुअल लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इसके बाद से ही भोपाल मेट्रो के तीन प्रमुख स्टेशन के काम में तेजी आ गई है। ये स्टेशन एम्स, अलकापुरी और डीआरएम ऑफिस हैं। यहां एंट्री और एग्जिट के कार्य तेज़ी से चल रहे हैं। इन कार्यों को अगस्त या सितंबर माह तक पूरा करना है। इसके बाद मेट्रो सुरक्षा आयुक्त की टीम निरीक्षण करेगी। निरीक्षण के लिए जरूरी सभी मानक पूरे किए जाएंगे।
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भोपाल मेट्रो की अंतिम तैयारी
भोपाल मेट्रो के लिए अब अंतिम दौर की तैयारी की जा रही है। मेट्रो के एमडी एस. कृष्ण चैतन्य लगातार दौरे और मीटिंग्स कर रहे हैं, ताकि निर्माण कार्यों में कोई देरी न हो। इन कार्यों में एंट्री-एग्जिट, सिविल कार्य, ट्रैफिक सिग्नलिंग, रोलिंग स्टॉक, और आंतरिक एवं बाहरी निर्माण कार्य शामिल हैं। मेट्रो की सफलता के लिए इन सब कार्यों को अगस्त तक पूरा किया जाएगा, ताकि निरीक्षण प्रक्रिया समय पर पूरी हो सके।
कौनसी टीम करेगी निरीक्षण?
भोपाल मेट्रो के लिए सबसे पहले रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) की टीम निरीक्षण करेगी। इसके बाद, सीएमआरएस टीम मेट्रो रेल के सुरक्षा मापदंडों की जांच करेगी। केवल इन दोनों टीमों की रिपोर्ट सकारात्मक होने के बाद मेट्रो को वाणिज्यिक संचालन के लिए हरी झंडी मिल सकेगी।
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भोपाल मेट्रो का इतिहास और वर्तमान स्थिति
भोपाल मेट्रो का पहला रूट 16.05 किलोमीटर लंबा है, जो एम्स से करोंद तक जाएगा। इस रूट में से 6.22 किमी लंबा प्रायोरिटी कॉरिडोर 2018 में शुरू किया गया था। इसके बाद, सुभाषनगर से आरकेएमपी तक मेट्रो का काम पूरा किया गया है और अब ट्रैक का निर्माण एम्स, डीआरएम तिराहा और अलकापुरी तक किया जा चुका है। साथ ही, दोनों स्टील ब्रिज की लोड टेस्टिंग भी सफलतापूर्वक पूरी हो चुकी है।
पूर्व CM शिवराज सिंह चौहान ने किया ट्रायल
3 अक्टूबर 2023 को भोपाल में मेट्रो ट्रैक पर पहली बार मेट्रो दौड़ी थी। इस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुभाषनगर से रानी कमलापति स्टेशन तक मेट्रो में सफर किया। इसके बाद से ही मेट्रो की टेस्टिंग जारी है, और इसकी स्पीड 80 किमी प्रति घंटे तक टेस्ट की गई है।
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भोपाल में मेट्रो के संचालन में देरी क्यों?
भोपाल मेट्रो के वाणिज्यिक संचालन में देरी का मुख्य कारण है कि कई स्टेशन में निर्माण कार्य अभी भी चल रहा है। शुरुआत में यह योजना थी कि केवल सुभाषनगर और आरकेएमपी के बीच मेट्रो का संचालन हो, लेकिन अब यह पूरी 6.22 किमी लंबी दूरी तक चलेगी। इस बीच, इंदौर मेट्रो पर ज्यादा ध्यान दिया गया और इस शहर में पहले मेट्रो चलाने की योजना बनाई गई थी।
क्या जांचेगी CMRS टीम?
सीएमआरएस टीम मेट्रो के सभी सुरक्षा मानकों की जांच करेगी। इसमें ट्रैक के नट-बोल्ट, सिग्नल सिस्टम, स्टेशनों की स्थिति, और मेट्रो के संचालन से जुड़े अन्य कार्यों की निगरानी की जाएगी। अगर टीम को सभी मानक ठीक मिलते हैं, तो एक सकारात्मक रिपोर्ट जारी की जाएगी और इसके बाद मेट्रो का वाणिज्यिक संचालन शुरू होगा।
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भोपाल मेट्रो के प्रमुख स्टेशन
भोपाल मेट्रो का प्रमुख प्रायोरिटी कॉरिडोर 6.22 किमी लंबा है, और इसमें सुभाषनगर से रानी कमलापति स्टेशन तक का मार्ग शामिल है। इन स्टेशनों में हर तरह की सुविधाएं जैसे कि फूड प्लाजा, शॉप्स, और अन्य सुविधाओं के लिए प्लान तैयार किया जा रहा है। इससे यात्रियों को एयरपोर्ट जैसा अनुभव मिलेगा, जहां वे अपनी जरूरत का सामान खरीद सकेंगे।
मेट्रो की टेस्टिंग प्रक्रिया
भोपाल मेट्रो की टेस्टिंग दो तरह से की जा रही है- एक नॉन-स्टॉप और दूसरी हर स्टेशन पर रुकते हुए। नॉन-स्टॉप टेस्टिंग में मेट्रो 60 से 80 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ती है, जबकि रुकते हुए टेस्टिंग में मेट्रो हर स्टेशन पर रुकती है और गति 20 से 30 किमी प्रति घंटे रहती है।
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