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Photograph: (the sootr)
भारतीय रेलवे दिल्ली और मुंबई के बाद अब भोपाल सहित कई अन्य बडे़ रेलवे स्टेशनों पर फेशियल रिकग्निशन टेक्नालाॅजी सिस्टम लगाने जा रहा है। इस नई तकनीक में रेल यात्रियों का चेहरा देखकर ही उनकी पहचान हो जाएगी। जिससे यात्रियों को अब रेलवे स्टेशन पर बिना टिकट या पहचान पत्र के बिना भी प्रवेश मिल सकेगा।
इस नई तकनीक से रेलवे स्टेशनों पर घूमने वाले संदिग्ध व अपराधी तत्वों की पहचान भी आसान हो जाएगी। इस योजना के लिए भोपाल रेलवे स्टेशन पर 250 से अधिक हाई रिजोल्यूशन कैमरे लगाए जा रहे हैं, जो चेहरे से यात्रियों की पहचान करेंगे।
ऐसे काम करेगी यह नई तकनीक
रेल मंत्रालय ने यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने और भीड़ प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए यह कदम उठाया है। इस तकनीक के तहत, यात्रियों को रेलवे के पोर्टल पर अपना चेहरा और पहचान संबंधी जानकारी अपलोड करनी होगी। फिर यह जानकारी टिकट बुकिंग से लिंक हो जाएगी। जब रेल यात्री स्टेशन पर पहुंचेंगे, तो कैमरे उनके चेहरे को स्कैन करके टिकट की जानकारी को वेरिफाई करेंगे। इसके बाद, बिना किसी मैन्युअल जांच के यात्री आराम से प्लेटफॉर्म पर जा सकेंगे।
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लगाए जाएंगे 250 हाई रिजोल्यूशन कैमरे
इस योजना के तहत, भोपाल रेलवे स्टेशन पर 250 से अधिक हाई रिजोल्यूशन कैमरे लगाए जाएंगे, जो फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी पर काम करेंगे। यह कैमरे चेहरे के स्कैन से लेकर डेटाबेस से सत्यापन तक सभी प्रक्रियाओं का ध्यान रखेंगे। इन कैमरों से जुड़ी जानकारी के माध्यम से रेलवे अधिकारियों को संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान भी हो सकेगी।
यात्रियों की पहचान में होगी आसानी
रेलवे द्वारा तैयार की गई इस तकनीकी प्रणाली के जरिए यात्रियों की पहचान में आसानी होगी। एक बार यात्रियों द्वारा अपना चेहरा और पहचान जानकारी अपलोड कर दी जाती है, तो फिर स्टेशन पर प्रवेश के दौरान उन्हें केवल चेहरे की स्कैनिंग करनी होगी। यह प्रक्रिया सेकंडों में पूरी हो जाएगी और यात्रियों को बिना किसी अतिरिक्त समय के स्टेशन के विभिन्न हिस्सों में प्रवेश मिल जाएगा।
सुरक्षा और क्राउड मैनेजमेंट में आसानी
फेशियल रिकग्निशन तकनीक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे न केवल भीड़ प्रबंधन में मदद मिलेगी, बल्कि असुरक्षित यात्रियों की पहचान भी की जा सकेगी। जीआरपी (Government Railway Police) के रिकॉर्ड में संदिग्ध या आपराधिक चरित्र के व्यक्तियों का डेटा भी इस तकनीक से जुड़ा होगा। ऐसे में, अगर कोई संदिग्ध व्यक्ति स्टेशन पर पहुंचे, तो तुरंत अलर्ट मिल जाएगा।
तकनीक की शुरुआत में क्या होगा?
शुरुआत में, भोपाल स्टेशन पर वीआईपी एंट्री और रिजर्वेशन काउंटर के पास इन कैमरों को लगाया जाएगा। इसके बाद धीरे-धीरे इस तकनीक को सभी प्लेटफॉर्म और गेट्स पर लागू किया जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया यात्रियों के लिए न केवल सुविधाजनक बल्कि सुरक्षित भी होगी।
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इस तकनीक की आवश्यकता क्यों पड़ी?
पूर्व स्टेशन मैनेजर, सीएस शर्मा के अनुसार, रेलवे स्टेशनों को एयरपोर्ट की तरह विकसित किया जा रहा है, और वहां की सुविधाएं भी आधुनिक होनी चाहिए। इस दृष्टिकोण से फेशियल रिकग्निशन तकनीक का उपयोग सही कदम है। रेलवे सलाहकार समिति के सदस्य, निरंजन वाधवानी और मुकेश अवस्थी के मुताबिक, सबसे पहले स्टेशनों के एंट्री गेट्स को सीमित किया जाना चाहिए ताकि इन कैमरों का प्रभावी उपयोग किया जा सके।
मंत्रालय की हरी झंडी का इंतजार
भोपाल स्टेशन पर इस व्यवस्था के कार्यान्वयन पर विचार किया जा रहा है। रेल मंत्रालय की हरी झंडी मिलते ही इस दिशा में काम शुरू कर दिया जाएगा।
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