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Photograph: (the sootr)
राजधानी भोपाल (Bhopal) में पहली बार टाइगर (Tiger) के हमले का मामला सामने आया है। जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी (Jagran Lakecity University) के पास एक छात्र मोहम्मद बोरा अपने दोस्तों के साथ टहल रहा था, तभी झाड़ियों से अचानक टाइग्रेस-123 का एक साल का शावक बाहर निकला और उस पर झपट्टा मार दिया। इस हमले में छात्र का पैर गंभीर रूप से घायल हो गया।
अब तक तो भोपाल के आसपास के वन्यग्रामों और जंगलों से लगने वाले बाहरी क्षेत्रों में ही बाघ की मूवमेंट देखी जा रही थी। इस बार राजधानी के शहरी बस्ती वाले क्षेत्र में पहली बार किसी बाघ की आवाजाही हुई है। इस घटना ने जंगलों से लगने वाली शहरी बस्तियों के लोगों में खौफ बढ़ा दिया है।
अचानक झाड़ियों से निकल झपटा बाघ
छात्र मोहम्मद बोरा ने बताया कि वह दो दोस्तों के साथ टहल रहा था। अचानक झाड़ियों से टाइगर शावक निकलकर आया और झपट्टा मार दिया। उसके पैर में नाखून लगने से लगभग एक इंच का घाव हो गया। शोर मचाने और दोस्तों के हस्तक्षेप के बाद टाइगर वापस झाड़ियों में चला गया। छात्र को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया।
टाइगर के हमले की परिस्थितियाँ
डीएफओ लोकप्रिय भारती के अनुसार, टाइगर शावक (Tiger Cub) ने हमला करने के बाद तुरंत जंगल की ओर रुख किया। घटना शुक्रवार देर रात की है, लेकिन इससे संबंधित वीडियो दो दिन बाद सामने आए। वन विभाग की टीम ने मौके पर सर्चिंग की और ट्रैप कैमरे लगाए हैं ताकि टाइगर की गतिविधियों की निगरानी की जा सके।
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भोपाल में टाइगर का मूवमेंट
कलियासोत और केरवा जंगल
भोपाल के आसपास के जंगल, जैसे कि कलियासोत (Kaliasot) और केरवा (Kerwa), लंबे समय से टाइगर मूवमेंट (Tiger Movement) के लिए चर्चा में हैं। यहां अक्सर टाइगर सड़कों पर भी देखे जाते हैं।
बाघिन टी-123 और उसके शावक
विशेष रूप से बाघिन टी-123 (Tigress T-123) अपने दो शावकों के साथ कलियासोत जंगल और डैम के पास दिखाई देती है। शावकों की उम्र लगभग एक साल है और यही कारण है कि वे भोजन और शिकारी प्रवृत्तियों के लिए सक्रिय हो रहे हैं। वन अधिकारियों का कहना है कि यदि हमला किसी वयस्क टाइगर ने किया होता, तो छात्र की स्थिति और भी गंभीर हो सकती थी।
वन विभाग की कार्रवाई और सुरक्षा उपाए
यूनिवर्सिटी कैंपस की सुरक्षा
वन विभाग ने विश्वविद्यालय प्रबंधन को निर्देश दिए हैं कि कैंपस और उसके आसपास तार फेंसिंग (Wire Fencing) को मजबूत किया जाए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
ट्रैप कैमरे और निगरानी
ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं, जो टाइगर की मूवमेंट रिकॉर्ड करेंगे। इससे न केवल सुरक्षा उपाय मजबूत होंगे बल्कि टाइगर के प्राकृतिक आवास और गतिविधियों की जानकारी भी मिलेगी।
राजधानी में टाइगर के हमले की इस घटना को ऐसे समझेंटाइगर का हमला: भोपाल में जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी के पास एक छात्र पर टाइगर शावक ने हमला किया, जिससे छात्र का पैर गंभीर रूप से घायल हो गया। घटना का समय: यह घटना गुरुवार रात को हुई, जब छात्र मोहम्मद बोरा अपने दोस्तों के साथ टहल रहा था उस समय उसपर बाघ का हमला हुआ। टाइगर शावक: हमला करने वाला टाइगर एक साल का शावक था, जिसे डीएफओ लोकप्रिय भारती ने टाइग्रेस-123 का शावक बताया। सुरक्षा उपाय: वन विभाग ने विश्वविद्यालय को कैम्पस के आसपास तार फेंसिंग लगाने का निर्देश दिया और ट्रैप कैमरे लगाए हैं। बाघिन का मूवमेंट: कलियासोत और केरवा के जंगलों में बाघिन टी-123 और उसके शावक की सक्रियता बढ़ी है, जो शहर के पास नजर आ रहे हैं। |
अर्बन टाइगर रीजन में आता है भोपाल
राजधानी भोपाल देश के उन चुनिंदा शहरों में शामिल है, जहां अर्बन टाइगर होते हैं। इसलिए भोपाल को अर्बन टाइगर रीजन क्षेत्र कहा जाता है। भोपाल की भौगोलिक स्थिति, शहरी क्षेत्रों के आसपास घने जंगल, खासकर शहर के दक्षिणी क्षेत्र जिसमें रातापानी अभयारण्य शामिल है।
यहां बाघ का जंगलों से निकलकर शहरी क्षेत्रों में आना आम बात हो गई है। यह वन्य क्षेत्र बाघों को रहने, शिकार और पानी उपलब्ध करवाते हैं, जिससे लगातार इन क्षेत्रों में बाघ देखे जाने की घटनाएं होती रहती हैं।
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क्या होता है अर्बन टाइगर?
अर्बन टाइगर उन बाघों के लिए उपयोग किया जाने वाला शब्द है, जो शहरी बस्तियों या अर्ध-शहरी इलाकों में मूवमेंट करते हैं। ये बाघ इंसानों के आसपास होने के बावजूद असहज नहीं होते। भोपाल के वन्य ग्रामों और जंगलों से लगे ऐसे कई इलाके हैं जहां बाघ लगातार देखे जाते हैं; शहरी सीमा में भी इनकी मूवमेंट बनी रहती है।
इंसान पर हमले का पहला मामला
शुक्रवार रात जागरण लेक सिटी में छात्र पर बाघ के एक वर्षीय शावक का हमला इस अर्बन टाइगर का पहला इंसानी हमला है। इससे पहले बाघों के देखे जाने, पशुओं का शिकार करने जैसी घटनाएं सामने आई थीं, लेकिन किसी इंसान पर हमले का यह पहला मामला है, जिसे वन विभाग भी पूरी गंभीरता से ले रहा है।
आवाजाही के प्रमुख इलाके
बाघों को अक्सर शहर के बाहरी इलाकों जैसे कलियासोत, केरवा और आसपास के जंगलों में देखा जाता है। ये क्षेत्र आमतौर पर रिहायशी इलाकों के करीब होते हैं, जिससे कभी-कभी इंसान और बाघों का आमना-सामना भी हो जाता है।
बाघों की संख्या
रिपोर्टों के अनुसार, भोपाल वन मंडल में 25 से अधिक बाघों का मूवमेंट है, जिनमें से कुछ बाघ नियमित रूप से शहरी इलाकों में देखे जाते हैं।
क्यों होते है टाइगर और मानव संघर्ष
भारत में टाइगर रिजर्व (Tiger Reserves in India):मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) को "टाइगर स्टेट एमपी" कहा जाता है।
मानव-वन्यजीव संघर्ष (Human-Wildlife Conflict): शहरीकरण और जंगलों के सिकुड़ने से टाइगर का मूवमेंट इंसानी बस्तियों तक पहुंच रहा है।
सुरक्षा सुझाव (Safety Tips): जंगल के पास टहलते समय हमेशा समूह में रहें, अंधेरे में न जाएं और वन विभाग के निर्देशों का पालन करें।
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