7 जनवरी को मध्य प्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ता (MP ATS) द्वारा की गई कार्रवाई के दौरान गुरुग्राम के सोहना में एक युवक हिमांशु की मौत हो गई। एटीएस पर इस मौत को लेकर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन कार्रवाई की असल वजह एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले का खुलासा है, जिसमें 3000 करोड़ रुपए की हेराफेरी सामने आई है। एटीएस और साइबर सेल की संयुक्त टीम ने सतना और जबलपुर से एक दर्जन से ज्यादा युवकों को गिरफ्तार किया, जिनसे हुई पूछताछ ने एक अंतर्राष्ट्रीय साइबर फ्रॉड गिरोह का पर्दाफाश किया, जो फर्जी बैंक खातों, हवाला और टेरर फंडिंग का जाल फैला रहा था।
ATS कस्टडी में मौत: साइबर ठगी गैंग का खुलासा, बैंक भी शक के घेरे में
दो भाईयों ने खोले दो हजार से अधिक फर्जी खाते
इस मामले की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। गिरोह के केंद्र में सतना के दो भाई हैं जिन्होंने तीन साल में दो हजार से अधिक फर्जी खाते खोलने का काम किया। इस अपराध में दुनियाभर के बड़े साइबर और हवाला अपराधियों से भी संपर्क जुड़ चुके थे। इस गिरोह ने साइबर ठगी की रकम का इस्तेमाल न केवल अपराधों में किया, बल्कि हवाला के जरिए विदेशी अपराधियों के साथ पैसे की लेन-देन भी की थी।
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दो भाईयों ने अपराध साम्राज्य खड़ा किया
सतना के दो भाईयों ने अपनी छोटी सी दुकान से एक बड़ा अपराध साम्राज्य खड़ा किया। उन्होंने युवाओं को जोड़कर और सरकारी योजनाओं का फायदा दिलाने का झांसा देकर हजारों फर्जी बैंक खाते खोले। इन खातों के जरिए साइबर अपराध और हवाला के खेल में लाखों-करोड़ों रुपए का लेन-देन हुआ।
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ठगी में शामिल युवाओं का गिरोह
सतना के अंकित कुशवाहा और उसके भाई अनुराग ने एक ट्रेनिंग से शुरुआत की और छोटे से कस्बे के युवाओं को फर्जी बैंक अकाउंट खुलवाने के लिए प्रेरित किया। इन खातों को बाद में दिल्ली, झारखंड और बिहार के आपराधिक गिरोहों को बेचा जाता था।
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मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला के कनेक्शन
पुलिस ने खुलासा किया कि फर्जी बैंक खातों के जरिए बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला का कारोबार चल रहा था। इन खातों से लाखों रुपए के ट्रांजेक्शन किए गए, जो विदेशों में बैठे बड़े अपराधियों को भेजे गए। एटीएस और साइबर सेल की जांच में कई युवकों की गिरफ्तारी हुई है। अब तक करीब 18 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, और जांच में जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इस घोटाले में और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं।