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BHOPAL. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अगुआई में मध्य प्रदेश सरकार ने एक साल से अधिक का समय पूरा कर लिया है। इस बीच उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कुछ फैसलों में भी बदलाव किया है। जो कि कई दिनों तक चर्चा का विषय बने हुए है।
दरअसल, सीएम डॉ. मोहन यादव ने शिवराज के उन फैसलों को पलट दिया है, जो कभी उनके ड्रीम प्रोजेक्ट्स में शुमार रहे। फिर चाहे वो राजधानी परियोजना प्रशासन यानी सीपीए को फिर शुरू करने हो फैसला या भोपाल-इंदौर में बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाना... मोहन ने शिवराज के ऐसे पांच निर्णयों को पलटा है।
सीपीए को फिर जिंदा करने का आदेश
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 20 अगस्त 2022 सीपीए को खत्म करने का ऐलान किया था। इसके बाद इस एजेंसी के पास मानो कोई काम नहीं बचा था। फिर 13 दिसंबर 2023 को राज्य के नए मुखिया बने डॉ. मोहन यादव। उन्होंने 30 अगस्त 2024 को सीपीए को फिर अस्तित्व में लाने के निर्देश दिए थे। इस सिलसिले में मोहन ने दिल्ली में केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य तथा ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात कर चर्चा की। गौरतलब है कि वर्ष 1960 में आवास एवं पर्यावरण विभाग के तहत CPA का गठन किया गया था। अब सीपीए फिर शुरू होने से भोपाल में विकास कार्यों की रफ्तार बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
बीआरटीएस को हटाने के दिए थे निर्देश
शिवराज ने भोपाल और इंदौर में ताबड़तोड़ तरीके से बीआरटीएस यानी Bus Rapid Transit System शुरू कराया था, लेकिन दोनों ही शहरों के चुनिंदा इलाकों में यह नई सुविधा लोगों के लिए जी का जंजाल बन गई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने अपने शुरुआती दिनों में भोपाल के बीआरटीएस को हटाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद एक्शन मोड में आए प्रशासन ने राजधानी से बीआरटीएस का वजूद खत्म कर दिया। इससे लोगों को बड़ी राहत मिली है। खासकर पुराने शहर में संकरी सड़कें अब चौड़ी हो गई हैं। वहीं, अब हाल ही में सीएम डॉ.मोहन यादव ने इंदौर में भी बीआरटीएस हटाने का ऐलान किया था।
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अवैध कॉलोनियों पर चला बुलडोजर
तत्कालीन सीएम शिवराज ने 23 मई 2023 को ऐलान किया था कि प्रदेश में दिसंबर 2022 तक बन चुकी अवैध कॉलोनियों को वैध किया जाएगा। इसके उलट मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सूबे में अवैध कॉलोनियों पर सख्त रुख अपनाते हुए जून 2024 में कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बाद भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने सर्वे कराया, जिसमें राजधानी में ही 250 अवैध कॉलोनियां मिलीं। इसके बाद यहां 33 कॉलोनियों की रजिस्ट्री पर रोक लगाई गई। रोलूखेड़ी व नीलबड़ सहित अन्य क्षेत्रों में अवैध निर्माण ध्वस्त किए गए थे।
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मध्य प्रदेश गान पर खड़ा होना जरूरी नहीं
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मध्य प्रदेश गान पर खड़े होने की परंपरा को भी बदल दिया है। यह परंपरा शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में शुरू हुई थी, जिसमें सरकारी कार्यक्रमों में मध्यप्रदेश गान बजने पर उपस्थित जनसमूह को खड़े होना अनिवार्य था। दरअसल, एक कार्यक्रम में जब मध्य प्रदेश गान बजा और अधिकारी खड़े हो गए तो सीएम मोहन ने उन्हें बैठने का इशारा करते हुए कहा कि एमपी गान राष्ट्रगान के बराबर नहीं है। उन्होंने साफ किया कि राष्ट्रगान ही सबसे बड़ा है और उसकी बराबरी किसी अन्य गान से नहीं की जा सकती। इस कदम से उन्होंने मध्य प्रदेश का गीत बजने पर खड़े होने की परंपरा को भी खत्म कर दिया।
दो विभागों को एक साथ करने का फैसला
सीएम डॉ. यादव ने सत्ता संभालने के बाद ही अपनी मंशा जाहिर कर दी थी। इसी तारतम्य में उन्होंने स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभागों को मर्ज कर दिया है। अब ये दोनों विभाग एक हो गए हैं। शिवराज सरकार में ये दोनों विभाग अलग-अलग थे। इस बदलाव के पीछे तर्क यह दिया गया है कि दोनों विभाग अलग होने से पूरी मशीनरी अलग काम करती थी। इसी के साथ केंद्र की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में भी तकनीकी रूप से दिक्कतें होती थीं, अब हेल्थ और मेडिकल हेल्थ डिपार्टमेंट संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं।