BHOPAL. 17 फरवरी यानी आज दिल्ली में BJP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का पहला दिन है। इसमें लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर विचार-विमर्श किया जाएगा। बता दें कि 2014 से पहले नॉर्थ ईस्ट में BJP का नामोनिशान नहीं था, आज वहां के 4 राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा में BJP की सरकार है। मेघालय, नगालैंड और सिक्किम में पार्टी सरकार चला रहे गठबंधन (NDA)का हिस्सा है।
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39 साल के राजकुमार विश्वकर्मा 2007 से हैं BJP के सदस्य
बता दें कि 39 साल के राजकुमार विश्वकर्मा 2007 से BJP के सदस्य हैं। वे मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मध्य विधानसभा में पन्ना प्रमुख हैं। हफ्ते में कम से कम 4 दिन पार्टी को देते हैं, बाकी टाइम अपना बिजनेस करते हैं। राजकुमार उन कार्यकर्ताओं में शामिल हैं, जिन्होंने 2014, यानी PM मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से पहले वाले BJP संगठन में भी काम किया है और अब भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि '2014 तक सब कुछ रजिस्टर पर था। 11 लोगों की एक कमेटी बनती थी। इसमें तीन महिलाएं होती थीं, बाकी लोग जाति और धर्म के हिसाब से होते थे। आबादी के लिहाज से तय किया जाता था कि सबकी हिस्सेदारी रहे।' लेकिन 2014 के बाद से पार्टी डिजिटल हो गई। अब नमो ऐप से कमेटियां बनती हैं। संगठन ऐप से बाकी काम होते हैं। हर चीज का डेटा रखा जाता है। उदाहरण के लिए आज कोई और मंडल अध्यक्ष है, कल कोई और होगा। लेकिन जो भी आएगा, उसे अपडेट डेटा आसानी से उपलब्ध होगा, जोकि रजिस्टर में करना बेहद मुश्किल था।'
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क्या कहते हैं राजकुमार?
राजकुमार बताते हैं' मैं पन्ना प्रमुख हूं' मेरे अंडर में 29 लोग आते हैं और ये 29 लोग ही मेरा परिवार है। ‘29 लोग, यानी मेरे एरिया के 5 से 6 परिवार। मैं इनके सुख-दु:ख में शामिल होता हूं। इन्हें पार्टी के बारे में बताता हूं। वोटिंग के दिन ध्यान रखता हूं कि ये वोट डालने पहुंचे या नहीं। ये भी हमारी जिम्मेदारी है कि जो लोग बूथ तक जा रहे हैं, वो हमारी पार्टी को ही वोट दें।' बता दें कि एक बूथ पर 800 से 900 लोग होते हैं। इनमें 25 से 31 पन्ना प्रमुख होते हैं। एक पन्ना प्रमुख की टीम में 30 लोग ही क्यों होते हैं? इस पर राजकुमार कहते हैं, 'निवार्चन आयोग के एक पेज पर 30 वोटर्स के नाम होते हैं। इसलिए हम भी 30 लोगों की लिस्ट बनाते हैं। हम वोटर लिस्ट के एक पन्ने के प्रमुख होते हैं।’
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महीने के हर आखिरी रविवार को होती है मीटिंग
‘पहले पन्ना प्रमुख बूथ के अध्यक्ष को रिपोर्ट करता था। अब शक्ति केंद्र बन गए हैं। इनमें एक संयोजक, एक सह-संयोजक, एक प्रभारी, एक IT हेड और एक मंडल पदाधिकारी होते हैं। बूथ समितियां शक्ति केंद्र के प्रमुख को रिपोर्ट करती हैं। शक्ति केंद्र के प्रमुख मंडल में रिपोर्ट करते हैं। मंडल से रिपोर्ट जिलाध्यक्ष और वहां से प्रदेश संगठन तक पहुंचती है।' ‘पन्ना प्रमुखों की महीने के हर आखिरी रविवार को मीटिंग होती है। पहले हम PM मोदी का 'मन की बात' कार्यक्रम सुनते हैं, फिर महीनेभर के कामकाज का रिव्यू करते हैं। पार्टी से जो काम मिले थे, वो सही ढंग से हुए या नहीं, नहीं हुए तो इसका क्या कारण है? इस पर भी चर्चा होती है।
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लोकसभा की तैयारी में जुटी पार्टी
बताया जा रहा है कि वर्तमान में पार्टी पन्ना प्रमुख लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लगे हैं। ये कैंपेन राम मंदिर से जोड़कर शुरू किया गया है। संगठन ऐप के जरिए रिव्यू भी शुरू हो चुका है। ऐसे कार्यकर्ता जो बाहर चले गए हैं या एक्टिव नहीं हैं, उनकी जानकारी जुटाई जा रही है। कार्यकर्ताओं को PM मोदी की स्कीम्स ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई है।
कौन हैं सिद्धार्थ सोनवने?
राजकुमार की ही तरह सिद्धार्थ सोनवने भी पन्ना प्रमुख हैं। पिछले 8-10 सालों से BJP के लिए काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि 'मेरे पास स्लम एरिया आता है। मुझे सरकार की योजनाएं नीचे तक पहुंचाने की जिम्मेदारी मिली है। हमारे एरिया के लोगों के जो काम नहीं हो पाते हैं, मैं उन्हें नगर निगम और दूसरे विभागों की मदद से पूरा करवाता हूं। सोनवने रोज 6 से 8 घंटे पार्टी के लिए काम करते हैं। वे कहते हैं, ‘पहले घर-घर जाना पड़ता था, अब वॉट्सऐप पर सब आ जाता है। उसी से मैसेज सर्कुलेट कर देते हैं।'
10,916 शक्ति केंद्र बनाए गए
राजकुमार और सिद्धार्थ सिर्फ दो उदाहरण हैं। BJP किस तरह चुनाव की तैयारी करती है, इसका अनुमान हाल ही में हुए मध्यप्रदेश चुनाव से लगाया जा सकता है। यहां भारी एंटी इनकम्बेंसी से जूझ रही पार्टी ने 14 सीनियर लीडर्स को अलग-अलग जिलों में जिम्मेदारियां दीं। 42 हजार से ज्यादा वॉट्सऐप ग्रुप बनाए। पोल स्ट्रैटजी को इम्प्लिमेंट करने के लिए 40 लाख से ज्यादा बूथ लेवल वर्कर्स को काम पर लगाया। मिस्ड कॉल कैंपेन के तहत 95 लाख से ज्यादा मिस कॉल जनरेट हुए। इनमें से 68 लाख यूनीक नंबर थे और 17 लाख नए मेंबर थे। 10,916 शक्ति केंद्र बनाए, इन्हीं का नतीजा रहा कि चुनाव से कुछ महीने पहले तक खराब स्थिति में दिख रही BJP को प्रचंड बहुमत से जीत मिली।
देशभर में पार्टी ने 10 लाख बूथ बनाए
BJP में ऊपर से निचले लेवल तक काम किया जाता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष सभी प्रदेशों की मॉनिटरिंग करते हैं। प्रदेश अध्यक्ष सभी जिलों की मॉनिटरिंग करते हैं। जिलाध्यक्ष मंडलों की मॉनिटरिंग करते हैं। मंडल अध्यक्ष बूथ की मॉनिटरिंग करते हैं। बूथ के ऊपर भी शक्ति केंद्र होते हैं। फिलहाल पार्टी का सबसे ज्यादा फोकस बूथ पर ही है। पार्टी में नारा है कि 'बूथ जीतेंगे, तभी चुनाव जीतेंगे।'पार्टी के एक सीनियर लीडर कहते हैं, ‘पहले एक बूथ में दस यूथ हुआ करते थे। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान ऐसा पहली बार हुआ कि एक बूथ में 40 से 50 लोगों की टीम बनाई गई। इसका असर नतीजों में भी दिखा। इसलिए अब हर प्रदेश में बूथ में वर्कर्स की संख्या बढ़ाने पर काम चल रहा है।’ बूथ कमेटी में तीन लोग होते हैं। इनमें एक बूथ अध्यक्ष होता है। एक महामंत्री होता है। बूथ कमेटी शक्ति केंद्र को रिपोर्ट करती है। बूथ पर पार्टी का कितना फोकस है, इसका अंदाजा मध्यप्रदेश के उदाहरण से लगाया जा सकता है। यहां करीब 65 हजार बूथ हैं। हर बूथ में एवरेज 40 लोगों की टीम है। इस तरह करीब 26 लाख लोग बूथ पर काम कर रहे हैं। ओवरऑल टीम 40 लाख लोगों की है। देशभर में पार्टी ने 10 लाख बूथ बनाए हैं।
संगठन का अध्यक्ष ही बीजेपी (BJP) में प्रधान होता है
BJP के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी कहते हैं, 'BJP में संगठन का अध्यक्ष ही प्रधान होता है। उन्हीं के निर्देश पर सब काम होते हैं। अध्यक्ष के बाद दूसरी प्रधानता कार्यकर्ता की होती है।’ ‘कई-कई साल से बूथ पर काम कर रहे कार्यकर्ता जानते हैं कि उन्हें कब, किस काम को कैसे करना है। विशेष परिस्थितियों में संगठन के अध्यक्ष ही तय करते हैं कि फलां काम की जिम्मेदारी किसे दी जानी है, लेकिन असली रिपोर्टिंग स्टेशन अध्यक्ष ही होता है। फिर चाहे तो वॉर्ड का अध्यक्ष हो, मंडल, जिला, प्रदेश या फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष।' डॉ. वाजपेयी कहते हैं, 'बूथ की एक लिस्ट में 20 से 30 पन्ने होते हैं। हर बूथ पर एक पन्ने का एक इंचार्ज होता है। पन्ने में जितने लोग हैं, वहीं पन्ना प्रमुख का काम करने का एरिया रहता है। चुनाव के दिन सुबह 10 बजे तक उन्हें इन सभी लोगों के वोट डलवाने का टास्क होता है।’
भारत में कम्युनिस्ट पार्टी की कैडर बेस्ड पार्टी कहलाती हैं
आम दिनों में पार्टी डिवीजन के हिसाब से चलती है, लेकिन लोकसभा चुनाव के वक्त लोकसभा सीटों के हिसाब से वर्किंग शुरू हो जाती है। अब देशभर की लोकसभा सीटों को अलग-अलग क्लस्टर में बांट दिया गया है। हर क्लस्टर की जिम्मेदारी उस एरिया के सीनियर लीडर को दी जा रही है। वही उस क्लस्टर के प्रभारी होंगे और प्रदेश अध्यक्ष को रिपोर्ट करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष से रिपोर्ट सीधे राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास जाएगी। पार्टी में हर कैंपेन का नेशनल से लेकर लोकल लेवल तक प्रभारी बनाया जाता है। इस बात को ऐसे समझ सकते हैं कि प्रधानमंत्री के 'मन की बात' कार्यक्रम के लिए एक राष्ट्रीय प्रभारी, प्रदेश प्रभारी, जिला प्रभारी, मंडल प्रभारी और बूथ प्रभारी तक हैं। सीनियर जर्नलिस्ट एनके सिंह कहते हैं, ‘BJP कैडर बेस्ड पार्टी है। BJP के अलावा भारत में कम्युनिस्ट पार्टी की कैडर बेस्ड पार्टी कहलाती हैं। कैडर बेस्ड पार्टी की खासियत होती है कि इनमें संगठन ज्यादा मजबूत और प्रमुख होते हैं। मौजूदा दौर में BJP में ऐसा पहली बार हुआ है, जब संगठन से ज्यादा सरकार का दबदबा है। संगठन सरकार के ऊपर हावी नहीं हो सकता।’