ब्लैकलिस्ट होने के बाद दूसरी फर्म के जरिए की टेंडर लेने की कोशिश, HC ने खारिज की याचिका

ब्लैक लिस्ट किए जाने के बाद दूसरी कंपनी के जरिए टेंडर लेने की कोशिश को हाईकोर्ट ने सिरे से नकारते हुए यह साफ कर दिया है कि NHDC के दिए गए आदेश के अनुसार ब्लैकलिस्टेड कंपनी की पार्टनर फर्म भी बांध मरम्मत का काम नहीं कर सकती।

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Neel Tiwari
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भोपाल के गाला बिल्डर को फर्जी प्रमाण पत्र जमा करने के चलते ब्लैक लिस्ट किए जाने के बाद दूसरी कंपनी के जरिए टेंडर लेने की कोशिश को हाईकोर्ट ने सिरे से नकारते हुए यह साफ कर दिया है कि NHDC के दिए गए आदेश के अनुसार ब्लैकलिस्टेड कंपनी की पार्टनर फर्म भी बांध मरम्मत का काम नहीं कर सकती।

ब्लैकलिस्टेड कंपनी के पार्टनर को किया अयोग्य घोषित 

जबलपुर हाईकोर्ट में मेसर्स आर आर कंस्ट्रक्शन इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड(जेवी) की तरफ से प्रतीक गाला के द्वारा एक याचिका दायर की गई थी जिसमें उसने एनएचडीसी के द्वारा दिए गए एक आदेश को चुनौती दी है। जिसमें उसने बताया कि उसकी पार्टनर कंपनी मेसर्स गाला प्रोजेक्ट लिमिटेड भोपाल को एनएचडीसी लिमिटेड के द्वारा 16 मार्च 2023 को 2 वर्ष की अवधि के लिए प्रतिबंध किया गया था। क्योंकि पार्टनर कंपनी मेसर्स गाला प्रोजेक्ट लिमिटेड भोपाल के द्वारा पेश किया गया अनुभव प्रमाण पत्र जाली पाया गया था। जिस वजह से ब्लैकलिस्टेड कंपनी के पार्टनर होने के कारण बाणसागर बांध के स्लूइस वेल के रिसाव/सीपेज के कार्य के लिए जारी निविदा प्रक्रिया शामिल होने में उसे अयोग्य घोषित कर दिया गया है। यहां प्रतीक गाला की मांग थी कि क्योंकि यह आदेश मध्य प्रदेश राज्य के किसी भी सरकारी या वैधानिक उपक्रम के द्वारा जारी नहीं किया गया है। इसी आधार पर गाला प्रोजेक्ट लिमिटेड को अयोग्य घोषित किए जाने के आदेश को चुनौती देते हुए कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई गई है। 

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NHDC के सरकारी उपक्रम होने को दी चुनौती

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट में बताया कि एनएसडीसी के द्वारा लगाया गया प्रतिबंध अनुबंध पी 2 के रूप में रिकॉर्ड पर रखे गए निविदा दस्तावेजों की धारा 2 (बोलीदाताओं को निर्देश) के अनुसार अयोग्यता नहीं माना जा सकता है। साथ ही यह तर्क दिया कि निविदा दस्तावेजों में अयोग्यता तब है जब मध्य प्रदेश में किसी सरकारी विभाग या उपक्रम, नगर निगम या इन विभागों के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत अगर निगम बोर्ड समिति द्वारा ठेकेदार को ब्लैकलिस्टेड सूची में डाला जाता है या प्रतिबंध किया जाता है लेकिन क्योंकि एनएचडीसी में मध्य प्रदेश राज्य के 49 प्रतिशत इक्विटी है और एनएचपीसी की 51 प्रतिशत इक्विटी है। इसलिए एनएचडीसी को मध्य प्रदेश राज्य या मध्य प्रदेश राज्य के किसी विभाग का उपक्रम नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस वजह से एनएसडीसी(NHDC) का स्वामित्व एनएचपीसी (NHPC)के पास है जो भारत सरकार का उद्यम है । इसलिए एनएसडीसी राज्य के स्वामित्व वाली बिजली उत्पादन कंपनी नहीं है।

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गाला बिल्डर ने लगाया था फर्जी प्रमाणपत्र 

शासन की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट में बताया कि  मेसर्स आर आर कंस्ट्रक्शन इंट्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की पार्टनर कंपनी को एनएचडीसी लिमिटेड के द्वारा ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया था क्योंकि बिहार राज्य से प्राप्त अनुभव प्रमाण पत्र जाली पाया गया था साथ ही निविदा डालते समय दस्तावेजों में याचिकाकर्ता कंपनी ने उन तथ्यों को भी छुपाया जिसमें उसकी पार्टनर कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया गया था। जिस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि एनएसडीसी लिमिटेड के 49 प्रतिशत इक्विटी मप्र राज्य के पास है इसलिए वह मध्य प्रदेश राज्य की स्वामित्व वाली कंपनी नहीं है। इसलिए गाला बिल्डर्स को प्रतिबंध का खुलासा करने की ना ही आवश्यकता है और ना ही उसे प्रतिबंध के कारण अयोग्य ठहराया जा सकता है। हालांकि कोर्ट ने इस तथ्य को सिरे से खारिज कर दिया है।

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NHDC है राज्य सरकार का उपक्रम

याचिका पर कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान यह पाया गया की कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 180 (1) (ए) के तहत उपक्रम का तात्पर्य ऐसे उपक्रम से होगा जो कंपनी की बैलेंस शीट के अनुसार उसकी नियत संपत्ति के 20 प्रतिशत से अधिक है या पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष के दौरान कंपनी की कुल आय का 20 प्रतिशत उत्पन्न करता हो। उपरोक्त प्रावधान में यह स्पष्ट है कि 20 प्रतिशत से अधिक की इक्विटी होने से उसे उपक्रम माना जाता है । इसलिए एनएचडीसी लिमिटेड में मध्य प्रदेश राज्य के 49 प्रतिशत इक्विटी होने के कारण निश्चित रूप से इसे राज्य सरकार का उपक्रम माना जाएगा। और एनएचडीसी लिमिटेड में 49 प्रतिशत इक्विटी रखने के कारण मध्य प्रदेश राज्य निश्चित रूप से उस कंपनी की नीति और भौतिक रूप से प्रभावित करने में सक्षम है। 

NHDC का आदेश था सही, याचिका हुई खारिज

इस याचिका पर सुनवाई चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच में हुई जिसमें सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह माना कि 49 प्रतिशत इक्विटी होने से एनएचडीसी मध्य प्रदेश राज्य का उपक्रम है इसीलिए इसके द्वारा जारी किए गए प्रतिबंधात्मक आदेश में कोई त्रुटि न पाए जाने के कारण याचिका को खारिज किया जाता है।

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