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Photograph: (thesootr)
मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है जिसमें कहा गया है कि सभी कलेक्टरों को झूठी और आदतन शिकायतें करने वाले नागरिकों तथा ब्लैकमेलर्स की लिस्ट तैयार करनी होगी।
यह आदेश मुख्यमंत्री हेल्पलाइन और अन्य सरकारी पोर्टल्स पर की जाने वाली शिकायतों के संदर्भ में है। हालांकि, इस आदेश को लेकर विपक्षी दलों और विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आपत्ति जताई है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए आदेश को वापस लेने की मांग की है।
शिकायतकर्ताओं को ब्लैकमेलर न कहें : उमंग सिंघार
उमंग सिंघार ने इस आदेश पर अपनी आपत्ति जाहिर करते हुए कहा कि यह सरकार का नागरिकों के खिलाफ एक नया हथकंडा है। उनका कहना था कि जो लोग अपनी समस्याओं को लेकर सरकार से शिकायत करते हैं, उन्हें ब्लैकमेलर और आदतन शिकायती के रूप में पेश करना गलत है। सिंघार के अनुसार, इस आदेश के माध्यम से सरकार शिकायतकर्ताओं को डराने और उन्हें परेशान करने का प्रयास कर रही है।
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सरकार का जवाब और आदेश की स्थिति
मध्यप्रदेश सरकार का कहना है कि यह कदम उन लोगों के खिलाफ उठाया गया है जो सीएम हेल्पलाइन और अन्य पोर्टल्स का गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं। इसके जरिए सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि नागरिकों की समस्याओं का सही समाधान किया जाए और किसी को झूठी शिकायतें दर्ज करने की अनुमति न मिले।
हालांकि, इस आदेश के लागू होने से कई सवाल खड़े हो गए हैं, जैसे कि यदि कोई नागरिक अपनी समस्या का सही तरीके से समाधान नहीं प्राप्त कर पा रहा है, तो उसे कैसे समझाया जाएगा कि वह किसी गलत कारण से शिकायत नहीं कर रहा है?
अधिकारियों का गलत रवैया
नेता प्रतिपक्ष ने इस बात का भी उल्लेख किया कि मध्यप्रदेश में अधिकारियों के दबाव के कारण कई शिकायतें बिना समाधान के बंद कर दी जाती हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर हजारों शिकायतें ऐसे ही फोर्स क्लोज कर दी जाती हैं, जबकि उन शिकायतों का सही समाधान नहीं किया जाता। उनका मानना है कि जिन अधिकारियों ने गलत तरीके से शिकायतों को बंद किया, उनकी लिस्ट तैयार की जानी चाहिए, न कि आम नागरिकों की।
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लोकतंत्र में नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा
नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में नागरिकों का यह अधिकार है कि वे अपनी समस्याओं को सरकार के समक्ष रखें और समाधान की उम्मीद करें। अगर सरकार शिकायतकर्ताओं को ब्लैकमेलर के रूप में पेश करती है, तो यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
उमंग सिंघार ने मुख्यमंत्री से तत्काल इस आदेश को वापस लेने की अपील की है, ताकि नागरिकों को अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए डर न हो।