बोल हरि बोल : कोच साहब की सख्ती से कप्तान चिंतित, नेताजी ने कलेक्टर को चमकाया

सूबे का गृह विभाग इन दिनों वेंटिलेटर पर पड़ा है। नब्ज धीमी हो चुकी है और अफसरों को मानो 'काम टालू बुखार' चढ़ गया है। किसी को दवा देने की फुर्सत नहीं, ऊपर से अभी इस ओर डॉक्टर साहब का भी ध्यान नहीं गया है।

Advertisment
author-image
Harish Divekar
एडिट
New Update
thesootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

लो जी हमारा संविधान आज 76 बरस का हो गया... पर क्या वाकई सरकारी तंत्र और नेतानगरी में ज्यादा कुछ बदला है, ज्यादातर का जवाब ना ही होगा। हर गणतंत्र दिवस हमें कर्तव्य पथ पर बढ़ने की प्रेरणा देता है...अब तो बढ़ जाओ साहब! इस गणतंत्र पर सरकारी हीलाहवाली, गोलमाल और नेतानगरी की कुछ ऐसी ही खबरें हम आपके लिए लेकर आए हैं।

...तो जनाब! नीचे उतर आईए और 'बोल हरि बोल' के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए, जिसमें है गृह विभाग की पोल खोल। दो लेडी अफसरों की नोक-झोंक और नेताजी की धौंस की कहानी।

वेंटिलेटर पर 'घर वाला' विभाग 

सूबे का गृह विभाग इन दिनों वेंटिलेटर पर पड़ा है। नब्ज धीमी हो चुकी है और अफसरों को मानो 'काम टालू बुखार' चढ़ गया है। किसी को दवा देने की फुर्सत नहीं, ऊपर से अभी इस ओर डॉक्टर साहब का भी ध्यान नहीं गया है। दरअसल, यहां बड़े साहब की नौकरी बस गिनती के दिनों की बची है। लिहाजा, वे कोई झंझट नहीं चाहते। उनकी मेज पर फाइलें आराम कर रही हैं, लेकिन वे उन्हें पलटने की जहमत नहीं उठाते। महीनेभर से यही आलम है। छोटे साहब भी रिटायरमेंट सिंड्रोम के शिकार हो चुके हैं। वे भी बड़े साहब के नक्शे कदम पर आगे बढ़ रहे हैं। तीसरे साहब भले अभी सब काम संभाले हुए हैं, लेकिन उन्हें भी नई पोस्टिंग का इंतजार है। कुल मिलाकर यह विभाग अब भगवान के भरोसे है।

खबर यह भी...बोल हरि बोल: सूट सिलवा लिया, बस अब ऑर्डर का इंतजार और साहब की सीडी व नेताजी का ऑडियो..!

रंग में आए कोच साहब 

होली भले अभी दूर है, मगर खाकी वाले 'कोच साहब' पहले ही रंग में आ गए हैं। अब जिले के कप्तानों के लिए रंग से ज्यादा पसीने निकलने का मौसम आ गया है। खबर है कि मुखिया जी ने पुलिस अधीक्षकों की कुंडली बना ली है। कौन किस 'ग्रह-नक्षत्र' में है, किसकी किस्मत चमक रही है और कौन 'अकाल ग्रहण' में फंसा है, इसका पूरा लेखा-जोखा तैयार है। अब साहब का मूड कुछ ऐसा है कि वे जल्द ही जिलों का दौरा भी करने वाले हैं। यह पता चलते ही पुलिस कप्तानों की धड़कनें बढ़ गई हैं। जिले के अफसर अब गुणा-भाग में लगे हैं कि कहीं उनकी कुंडली मीडिया में न छप जाए। ​यदि ऐसा हुआ तो खबर सीधी डॉक्टर साहब तक पहुंचेगी और फिर कप्तानी बचाने के लाले पड़ जाएंगे। अब आलम ये है कि कप्तान खुद को बेस्ट परफॉर्मर साबित करने की कोशिश में हैं। 

जोश तो बहुत पर नतीजा ठनठन गोपाल

दफ्तरों में ई-ऑफिस वाली नई तकनीक लागू करने का जुनून ऐसा चढ़ा कि अफसरों के मुखिया ने बटन दबा दिया, लेकिन हुआ क्या? तकनीक तो आई, पर बुद्धि अपडेट नहीं हुई। अब हाल ये है कि विभागों से फाइलें मुख्यमंत्री कार्यालय तक तो पहुंच रही हैं, मगर वहां सिस्टम की डेवलप नहीं है। नतीजा पांचवीं मंजिल पर फाइलों का पहाड़ खड़ा हो गया है और नीचे खड़े अफसर बस हाथ मल रहे हैं। इसके चलते कई अहम काम भी अटक रहे हैं। अब सवाल ये है कि फाइलों का निस्तारण कैसे हो? अब अधिकारी ही कह रहे हैं कि सरकारी तंत्र की हालत वही है। नया सिस्टम लागू करने का जोश बहुत है, पर तैयारी ठनठन गोपाल। 

खबर यह भी...बोल हरि बोल : साहब का PhD वाला सपना, वो इनोवा और बड़े साहब का टॉर्चर!

होल्ड है भैया होल्ड है...इंदौर का नाम होल्ड है!

भाईसाहब, बीजेपी में ऐसा कभी नहीं हुआ! हमने पूछा— क्या हो गया? सामने से आवाज आई— इंदौर बीजेपी का गढ़ है, लेकिन नेता एक राय पर नहीं हैं। अब देखिए न, पूरे प्रदेश में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति हो गई, पर इंदौर के नाम अब भी होल्ड पर हैं। ऐसा लग रहा है मानो इंदौर की कुर्सी रिजर्वेशन चार्ट की आखिरी सीट हो, जिस पर कन्फर्मेशन का स्टेटस मिल ही नहीं रहा। दरअसल, बीजेपी के एक सीनियर नेता जी इंदौर बीजेपी की ताजा स्थिति जानना चाहते थे। वास्तव में बीजेपी ने इंदौर का नाम लटकाकर खुद को मुश्किल में डाल दिया है। अब पार्टी के भीतर भी असंतोष उठने लगा है। वैसे प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर भी कुछ कम घमासान नहीं चल रहा। हर कोई अपनी पसंद का नाम लेकर आता है और फिर उसी के गुणगान में व्याख्या करने लगता है। इधर, दावेदारों को डर है कि कहीं एक नंबर-दो नंबर कोई अफलातूनी नाम न ले आएं। 

खबर यह भी...बोल हरि बोल : छापों से फूल गईं रसूखदारों की सांसें, दर्द नए जातिवाद का

छोटी मैडम कर रहीं खेला

आदिवासी बहुल एक जिले में दो लेडी आईएएस के बीच तनातनी चल रही है। एक मैडम कलेक्टर हैं और एक अभी काम सीख रही हैं, मतलब उनका प्रोविजन पीरियड चल रहा है। जूनियर मैडम ने अपने तहसील क्षेत्र में बंगले के रिनोवेशन पर अच्छा खासा पैसा खर्च किया है, पर मजे की बात यह है कि यह काम सरकारी पैसे से नहीं हुआ। अब आप समझ ही गए होंगे कि पैसा कहां से आया होगा। हां, मतलब वहीं से। दूसरा, इन्हीं मैडम ने अपनी सेवा में एक लग्जरी एसयूवी भी लगवा ली है। ये दो मामले सामने आने के बाद जलने वाले कलेक्टर मैडम पर सवाल खड़े कर रहे हैं। उनका आरोप है कि बड़ी मैडम छोटी मैडम की रिश्तेदार हैं और उन्हीं की कृपा से छोटी मैडम खेला कर रही हैं। अब कलेक्टर मैडम साफ दे देकर परेशान हैं कि उनका कोई लेना देना नहीं है। समाज सेम होने से कोई दो लोग आपस में रिश्तेदार नहीं हो जाते। हमने अपना पूरा काम कर दिया, अब आप नामों का अंदाजा लगा लीजिए।

खबर यह भी...बोल हरि बोल : ठेकेदार हड़प गया साहब का बंगला, अब डोलेगी कलेक्टरों की कुर्सी

बुआ की जमीन बचाने नेताजी ने कलेक्टर को चमकाया, फिर...

मालवा अंचल में निकल रहे एक फॉरलेन को लेकर इन दिनों विपक्ष के एक नेता जी बड़े परेशान हैं। दरअसल, मामला ऐसा है कि यहां एक जिले से दूसरे जिले के बीच हाईवे बनने जा रहा है। इसके दायरे में कुछ किसानों की जमीनें आ रही हैं। इसी को लेकर नेता जी ने कलेक्टर साहब को फोन करके धमकाया कि हाईवे में 400 किसानों की जमीनें आ रही हैं, मैं आंदोलन करूंगा। इस पर कलेक्टर साहब ने कहा कि किसानों ने तो अपनी सहमति दी है और 400 नहीं सिर्फ 80 किसान हैं, आपके पास गलत जानकारी है। जब नेता जी को लगा कि कलेक्टर को पूरी खबर है तो वे झेंप गए। फिर साइड जाकर बोले, ठीक है! इस जमीन ​अधिग्रहण में मेरी बुआजी की जमीन आ रही है, उसे बचा लेना। इसके जवाब में कलेक्टर ने प्रस्ताव बनाने के बाद पूरी स्थिति साफ होने की बात कही।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

MP News बोल हरि बोल मध्य प्रदेश Harish Divekar बोल हरि बोल हरीश दिवेकर का कॉलम बोल हरि बोल द सूत्र पर पढ़िए बोल हरि बोल मध्य प्रदेश समाचार स्पेशल कॉलम बोल हरि बोल