BHOPAL. बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में विधि संकाय (लॉ कोर्स) फैकल्टी की कमी के बीच चल रहा है। आठ सालों से लॉ स्टूडेंट विश्वविद्यालय प्रबंधन से फैकल्टी की मांग करते आ रहे हैं। जरूरत के अनुरूप फैकल्टी नहीं होने से विश्वविद्यालय में लॉ की पढ़ाई का स्तर भी ध्वस्त हो चला है।
इसी वजह से लॉ डिपार्टमेंट के मास्टर और बैचलर पाठ्यक्रमों में सीटों की संख्या भी नहीं बढ़ पा रही है। फैकल्टी की पूर्ति के लिए प्रबंधन से सेल्फ फाइनेंस की मंजूरी नहीं मिलने की स्थिति में ये पाठ्यक्रम गेस्ट फैकल्टी के सहारे चल रहे हैं।
प्रबंधन की सुस्ती से साख पर असर
बीयू प्रदेश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में शुमार है लेकिन प्रबंधन के उदासीन रवैए के कारण इसकी साख पर बुरा असर पड़ रहा है। विश्वविद्यालय में विधि संकाय में फिलहाल मास्टर्स पाठ्यक्रम में 30 जबकि बैचलर कोर्स में 60 सीट हैं।
जबकि विभाग की स्थिति के अनुरूप यहां अब 120 सीट स्वीकृत होनी थी। सीटों की संख्या इसलिए नहीं बढ़ पा रही है क्योंकि प्रबंधन इसके लिए सेल्फ फाइनेंस से 15 शिक्षकों को नियुक्त करने की स्वीकृति अटकाए बैठा है।
ये खबरें भी पढ़ें :
पीएम मोदी का देश के नाम संबोधन, बोले- झुकेंगे नहीं, हम अपनी शर्तों पर देंगे जवाब
सस्ता इलाज: पेट की बीमारियों के इलाज में एंडोस्कॉपी की जगह अब ये कैप्सूल दूर करेगी दर्द
सेल्फ फाइनेंस से नियुक्ति का रास्ता
बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी के लॉ स्टूडेंट्स का कहना है कई कॉलेजों में भी अब सेल्फ फाइनेंस से कोर्स चल रहे हैं। इधर बीयू प्रबंधन को इस पर आपत्ति है। जबकि सेल्फ फाइनेंस के तहत विवि को मिलने वाली फीस से स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति कर विभाग की स्थिति सुधारी जा सकती है।
सेल्फ फाइनेंस के तहत छात्रों से मिलने वाली फीस से शिक्षकों को भुगतान होगा और बीयू अथवा उच्च शिक्षा विभाग पर भी भार नहीं आएगा। इस व्यवस्था में उच्च शिक्षा विभाग को भी कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
ये खबरें भी पढ़ें :
पेंशन नियमों में बदलाव: अब 25 वर्ष से अधिक आयु की अविवाहित बेटी, विधवा भी होंगी पात्र
इंदौर में DCP ने Addl. DCP और ACP को हटाने के लिए सीपी को लिखा पत्र
आठ साल से स्वीकृति का इंतजार
बीयू में एलएलएम के लिए फैकल्टी के अतिरिक्त पांच पद स्वीकृत है लेकिन इनके विरुद्ध केवल दो फैकल्टी ही कार्यरत हैं। साल 2017 में बीयू में बीएएलएलबी और एलएलएम पाठ्यक्रमों में सीट बढ़ाने की तैयारी की गई थी। तब बीसीआई यानी बार काउंसिल ऑफ इंडिया के मानदंडों के अनुसार 15 शिक्षकों की जरूरत थी।
तत्कालीन कुलपति डॉ.मुरलीधर तिवारी को विभाग से पत्र भेजकर सेल्फ फाइनेंस से 15 फैकल्टी की नियुक्ति की मांग की गई थी। कुलपति कार्यालय ने इसे स्वीकृति के लिए उच्च शिक्षा विभाग को भेज दिया गया था।
तब से पत्राचार जारी है लेकिन न तो जवाब आ रहा है न स्वीकृति मिली है। इस अवरोध के कारण न तो विधि पाठ्यक्रमों का सही तरीके से संचालन हो पा रहा और न सीटों की संख्या बढ़ पा रही है।