व्यापमं घोटाला में बड़ा फैसला : पुलिस कॉन्स्टेबल साजन सिंह ठाकुर को CBI कोर्ट ने दी क्लीन चिट

CBI की विशेष अदालत ने व्यापमं घोटाला में आरोपी कॉन्स्टेबल साजन सिंह ठाकुर को बरी कर दिया है। सबूतों की कमी के कारण एमपी STF की जांच विफल रही। साजन सिंह पर आरोप था कि उन्होंने प्रॉक्सी परीक्षा देने वाले को बैठाकर नौकरी हासिल की थी।

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Jitendra Shrivastava
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constable-in-vyapam-scam Photograph: (THESOOTR)

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व्यापमं घोटाला, जो भारत का सबसे बड़ा भर्ती और परीक्षा घोटाला माना जाता है, में एक और नया मोड़ सामने आया है। मध्य प्रदेश STF के लिए एक बड़ा झटका लगा है, जब CBI की विशेष अदालत ने व्यापमं घोटाले में आरोपी पुलिस कॉन्स्टेबल साजन सिंह ठाकुर को बरी कर दिया। यह मामला 2013 में हुए MPEB भर्ती परीक्षा से जुड़ा था, जिसमें साजन सिंह ठाकुर पर आरोप था कि उन्होंने प्रॉक्सी परीक्षा देने वाले को बैठाकर नौकरी हासिल की थी।

इस फैसले ने जांच एजेंसियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा। अदालत ने कहा कि आरोपों को साबित करने के लिए सबूतों का अभाव था, जिसके कारण ठाकुर को बरी किया गया।

कौन है साजन सिंह ठाकुर 

साजन सिंह ठाकुर, जो वर्तमान में हरदा के कोतवाली पुलिस स्टेशन में तैनात हैं, पर यह आरोप था कि उन्होंने 2013 में MPEB भर्ती परीक्षा में अपनी जगह किसी अन्य व्यक्ति को बैठाकर परीक्षा पास की थी। यह व्यक्ति, जिसे 'मुन्ना भाई' के नाम से जाना जाता था, ठाकुर के भाई पप्पू ठाकुर की मदद से परीक्षा में बैठा था।
साजन सिंह ठाकुर का जन्म नर्मदापुरम जिले के सिवनी मालवा तहसील के डमरिया गांव में हुआ था। उन पर यह आरोप था कि उन्होंने अपने भाई के जरिए प्रॉक्सी परीक्षा देने के लिए पांच लाख रुपये दिए थे, जिससे वह परीक्षा पास कर सके और नौकरी पा सके।

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अक्टूबर 2021 में शुरू हुआ था मामला 

यह मामला अक्टूबर 2021 में सामने आया, जब मध्य प्रदेश STF के अधिकारियों को एक शिकायत प्राप्त हुई। शिकायत में कहा गया था कि साजन सिंह ठाकुर ने अपने भाई पप्पू ठाकुर की मदद से किसी और को परीक्षा में बैठाया था।
STF ने इस शिकायत के बाद जांच शुरू की और ठाकुर के द्वारा दी गई लिखावट और उंगलियों के निशान का मुकाबला किया। जांचकर्ताओं ने पाया कि लिखावट और उंगलियों के निशान में अंतर था, जो यह दर्शाता था कि ठाकुर ने अपनी जगह किसी और को परीक्षा में बैठाया था। इसके बाद STF ने इस मामले में FIR दर्ज की और मार्च 2023 में ठाकुर को गिरफ्तार किया।

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मार्च 2023 में गिरफ्तारी और जमानत

STF द्वारा साजन सिंह ठाकुर को मार्च 2023 में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, बाद में उन्हें जमानत मिल गई और अगस्त 2024 में विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया। इसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया।

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आरोपों को साबित करने में फेल रहा पक्ष 

2 मई, 2025 को CBI की विशेष अदालत ने साजन सिंह ठाकुर को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में विफल रहा है। अदालत का कहना था कि फोरेंसिक रिपोर्ट निर्णायक नहीं थी और न ही कोई चश्मदीद गवाह था, जो आरोपों को सही साबित कर सके। इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि साजिश और इरादे को भी साबित नहीं कर सके।

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तकनीकी मुद्दों पर संतोषजनक जवाब नहीं

साजन सिंह ठाकुर के वकील गोपेश सिक्केवाल ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष क्रॉस-एग्जामिनेशन के दौरान कई तकनीकी मुद्दों पर संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया। वकील ने यह भी कहा कि अब चूंकि ठाकुर को आरोपों से बरी किया गया है, वह उन्हें पुलिस बल में फिर से बहाल करने के लिए एक याचिका दायर करेंगे। इसके साथ ही, वह यह भी मांग करेंगे कि ठाकुर को अब तक के सभी वित्तीय लाभ दिए जाएं।

सीबीआई कोर्ट ने इन धाराओं में किया बरी

CBI की विशेष अदालत ने साजन सिंह ठाकुर को IPC की विभिन्न धाराओं के तहत बरी किया। इनमें धारा 419 ( धोखाधड़ी ), 420 ( धोखाधड़ी ), 467 ( जालसाजी ), 468 ( जालसाजी के उद्देश्य से दस्तावेजों में हेराफेरी ), 471 ( जालसाजी के दस्तावेजों का उपयोग ), 120B ( साजिश ) और MP मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम, 1937 के प्रावधान शामिल थे।

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