एमपी के बजट पर केंद्र की कैंची, क्या प्रदेश में थम जाएगी योजनाओं की रफ्तार

मध्यप्रदेश को केंद्र सरकार से तगड़ा झटका लगा है। केंद्र ने मध्यप्रदेश के विकास और योजनाओं के लिए जरूरी बजट में बड़ी कटौती ही हे। इस बार मप्र को केंद्र से 40 फीसदी कम राशि मिली है।

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Sanjay Sharma
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Central government reduced MP budget

Photograph: (the sootr)

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BHOPAL. मध्यप्रदेश अपने नवाचार और योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए देश में लोहा मनवा चुका है। लाड‍़ली लक्ष्मी, लाड़ली बहना जैसी योजनाएं देश के कई राज्यों ने भी शुरू कर दी हैं। एमपी खेती बाड़ी के मामले में भी हरियाणा-पंजाब से पीछे नहीं है और सात बार कृषि कर्मण अवार्ड हासिल कर चुका है। इसके बाद भी केंद्र ने प्रदेश को दी जाने वाली आर्थिक मदद में जमकर कटौती की है। प्रदेश को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मिलने वाले बजट में 16,155 करोड़ कम मिले हैं। यानी प्रदेश को 37,652 करोड़ के बदले 40 फीसदी राशि काटकर दी गई है। बजट में कटौती से प्रदेश के ज्यादातर विभागों में योजनाओं की रफ्तार थम सकती है तो कई बड़े प्रोजेक्ट भी बंद करने की नौबत आ सकती है। 

हाल ही में केंद्र सरकार ने प्रदेश के विभिन्न विभागों को अलग-अलग मदों में राशि उपलब्ध कराई है। प्रदेश सरकार के विभागों को इस बार 21,497 करोड़ रुपए केंद्र से मिले हैं। जबकि मांग 37,652 करोड़ रुपए थी। इसका मतलब केंद्र ने इस वित्त वर्ष में प्रदेश को मिलने वाली राशि में करीब 40 फीसदी यानी 16,155 करोड़ की कटौती की है। बजट में कटौती से विभागों के जरिए चलने वाली योजनाओं और विकास कार्यों में पिछड़ने का अंदेशा है। इसको लेकर सरकार और विभाग के आला अफसर भी चिंता में हैं। 

कैसे चलेंगी योजनाएं, होगा रुका भुगतान 

बजट में कटौती को लेकर अधिकारी मौन हैं। इस बात पर भी मंथन हो रहा है कि केंद्र ने अपनी या अपने पसंद की राज्य की योजनाओं पर कैंची क्यों चलाई है। पीएम मोदी की पसंदीदा योजना जल जीवन मिशन की धीमी रफ्तार, गुणवत्ता की शिकायतों के चलते इसका बजट भी 40 फीसदी से ज्यादा घटा दिया गया है। मध्य प्रदेश में अब तक जल जीवन मिशन के तहत 10,773 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं और 1500 करोड़ से ज्यादा का भुगतान अटका हुआ है। वहीं मध्यप्रदेश सरकार बार-बार जिस मेट्रो प्रोजेक्ट के सहारे प्रदेश के विकास की तस्वीर चमका रही है उसे केंद्र ने कोई राशि नहीं दी है। केंद्र की नजरे इनायत वन और स्कूल शिक्षा विभाग के प्रोजेक्टों पर हुई है। इन विभागों को मांग और प्रावधान के बिना ही करोड़ों का बजट मिला है। 

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23 हजार पंचायत फिर भी घटाया बजट

सबसे पहले बात प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विभाग की करते हैं। इस विभाग की कमान कद्दावर नेता औंर मंत्री प्रहलाद पटेल के हाथ में है। पटेल पूर्व में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं जिस वजह से केंद्र सरकार में भी उनकी अच्छी साख है। इसके बाद भी मप्र के ग्रामीण विकास विभाग को केवल 40 करोड़ रुपए ही मिले हैं जबकि मांग 106 करोड़ रुपए से ज्यादा की थी। वहीं केंद्रीय योजना पीएम जनमन (आवास) के लिए 600 करोड़, पीएम जनमन (सड़क) को 300 करोड़, पोषण शक्ति निर्माण की मद में 540 करोड़, मध्याह्न भोजन परिवहन के लिए 68 करोड़, नेशनल रूरल इकोनॉमिक ट्रांसफॉर्मेशन प्रोजेक्ट यानी राष्ट्रीय ग्रामीण आर्थिक परिवर्तन परियोजना को 18 करोड़, स्टार्टअप विलेज एंटरप्रिन्योरशिप प्रोग्राम के लिए 30 करोड़ और दीनदयाल उपाध्याय कौशल योजना की मद में मिलने वाले 90 करोड़ रुपए की राशि से भी प्रदेश के ग्रामीण विकास विभाग को वंचित रहना पड़ा है। बजट के बिना ये योजनाएं कैसे आगे बढ़ेंगी और हितग्राहियों पर इसका क्या असर होगा इससे प्रदेश सरकार की चिंता बढ़ गई है। 

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हितग्राहीमूलक योजनाओं पर होगा असर

ग्रामीण विकास मंत्रालय केंद्र सरकार की योजनाओं को भी गांव-गांव तक पहुंचाता है। भारी-भरकम बजट और नेटवर्क वाले इस विभाग को केंद्र और राज्य की योजनाओं के लिए जो बजट मिला है वो ऊंट के मुंह में जीरा से ज्यादा नहीं है। यह स्थिति तब है जब केंद्र में भी प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ग्रामीण विकास मंत्रालय संभाल रहे हैं। इसके बाद भी केंद्र के महत्वाकांक्षी निर्मल भारत अभियान को 300 करोड़ की मांग पर केवल 121.05 करोड़, पीएम कृषि सिंचाई योजना (वाटरशेड विकास) के लिए 177.60 करोड़ के मुकाबले 71.26 करोड़, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए 2625 करोड़ के बदले 971.94 करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने दिए हैं। वहीं प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए 726 करोड़ की मांग पर 703.28 करोड़ ही मिले हैं।

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मेट्रो- स्मार्ट सिटी प्राथमिकता से बाहर 

केंद्र के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में मध्यप्रदेश का प्रदर्शन बेहतर रहा है। नगरीय विकास मंत्रालय के तहत इंदौर लगातार देश का सबसे स्वच्छ शहरों में नंबर -1 रहा है। फिलहाल इस विभाग की अगुवाई वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय कर रहे हैं। विजयवर्गीय बीजेपी के केंद्रीय संगठन में भी मजबूत स्थिति में रह चुके हैं। इसके बाद भी केंद्र ने उनके विभाग के बजट में बड़ी कटौती की है। केंद्र से मिल बजट से लगता है इंदौर और भोपाल के मेट्रो प्रोजेक्ट और स्मार्ट सिटी केंद्र की प्राथमिकता से बाहर हो गए हैं। विजयवर्गीय की सक्रियता के बाद भी नगरीय विकास विभाग को 1400 करोड़ कम मिले हैं। विभाग के माध्यम से चल रहे अमृत 2.0 प्रोजेक्ट के लिए 51.03 करोड़, स्वच्छ भारत मिशन (अर्बन) 2.0 में कैपिसिटी बिल्डिंग के लिए 22.64 करोड़, जबलपुर और उज्जैन स्मार्ट सिटी को 14-14 करोड़ मिलने थे जो नहीं मिले। वहीं इंदौर-भोपाल के मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की 120 करोड़ की मांग पूरी नहीं हुई। हाउसिंग फॉर ऑल के लिए 612 करोड़ की मांग की गई थी लेकिन केंद्र से केवल 281.44 करोड़ रुपए ही मिले हैं। वहीं राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के लिए 75 करोड़ की डिमांड पर 10 फीसदी राशि भी नहीं मिली। 

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डिप्टी सीएम के विभाग का बजट भी घटा

प्रदेश में उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्रालय भी संभाल रहे हैं। हाल ही में प्रदेश के बजट सत्र के दौरान प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में बड़े स्तर पर नियुक्तियां, नए मेडिकल कॉलेज, अस्पताल और संसाधनों में इजाफे की घोषणा सरकार के स्तर पर की गई थी। लेकिन केंद्र से स्वास्थ्य विभाग को जो राशि दी है उससे सरकार की आगामी योजनाएं कैसे पूरी होंगी ये सवाल है। केंद्र से स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को 40 फीसदी राशि कम मिली है। हांलाकि कुछ राशि का अलग से प्रावधान किया गया है लेकिन विभाग की मांग के मुकाबले ये नाकाफी है। शुक्ल के विभाग के तहत जबलपुर में कैंसर इंस्टीट्यूट की स्थापना के लिए 50 करोड़, नए नर्सिंग कॉलेज बनाने 15 करोड़, सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों के लिए 35 करोड़, एमबीबीएस की सीट वृद्धि की मद में 38 करोड़, कैंसर केयर ग्वालियर के लिए 23 करोड़, इंदौर में मानसिक आरोग्य केंद्र की स्थापना और ग्वालियर मानसिक आरोग्य शाला के उन्नयन के लिए 13 करोड़, नए मेडिकल कॉलेजों के लिए 239 करोड़ की मांग की गई थी लेकिन इन मदों में कोई बजट नहीं दिया गया। वहीं नर्स, मिडवाइफरी, हेल्थ विजिटर्स के प्रशिक्षण के लिए 23 करोड़, पीएचसी के लिए 668 करोड़, सिकलसेल एनीमिया कार्यक्रम के लिए 23 करोड़ और  जिला स्तर पर कार्यरत कर्मचारियों के लिए 87 करोड़ के अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यानी एनएचएम को मिलने वाले 2701 करोड़ और आयुष्मान भारत के तहत 210 करोड़ से वंचित रखा गया है।  

SC-ST और OBC के बजट में भी कटौती

केंद्र से बड़े विभागों के साथ ही अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण के लिए कार्यरत विभाग को भी झटका मिला है। अनुसूचित जाति कल्याण विभाग को प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत मिलने वाले 128.75 करोड़, अनुसूचित जाति- जनजाति बस्ती विकास की मद में 30 करोड़, छात्रवृत्ति के लिए 62.72 करोड़, अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण के लिए 67.50 करोड़, पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए 461 करोड़ रुपए मिलने थे। वहीं जनजातीय कार्य विभाग को पीएम जनमन बहुउद्देशीय केंद्र निर्माण योजना में 75 करोड़, माडा पॉकेट के तहत 259 करोड़, विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिए 100 करोड़ रुपए मिलने थे जो नहीं मिले हैं। वहीं छात्रवृत्ति के लिए 375 करोड़ के बदले केवल 250 करोड़ मिले हैं। हाईस्कूल छात्रवृत्ति के लिए 93.75 करोड़, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की छात्रवृत्ति के 200.20 करोड़, अल्पसंख्यक बाहुल्य जिलों में विकास के लिए 84 करोड़ की मांग थी लेकिन यह पूरी नहीं हुई। 

इन विभागों को बजट की कटौती का झटका

1. लोक निर्माण विभाग की बागडोर राकेश सिंह के पास है। डॉ.मोहन यादव की सरकार में पीडब्लूडी मंत्री बनने से पहले सिंह कई बार सांसद रह चुके हैं और केंद्रीय मंत्रीमंडल में उनके पुराने साथी हैं। लेकिन उनके विभाग को बजट की कटौती का सामना करना पड़ा है। केंद्रीय सड़क निधि में मिलने वाले 1150 करोड़ के बदले उनके विभाग को सिर्फ 944.87 करोड़ मिले हैं।

2. स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह भी पूर्व सांसद हैं और इस वजह से केंद्र में  उनके अच्छे संपर्क हैं। इसके बाद भी उनके विभाग का  बजट भी घटा है। केंद्र से समग्र शिक्षा अभियान के लिए 13.20 करोड़, मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए 14.65 करोड़, स्टार्स परियोजना के लिए 100.80 करोड़ रुपए का प्रा‌वधान होने के बाद भी विभाग को निराशा ही मिली है।  

3. महिला एवं बाल विकास विभाग प्रदेश का अहम विभाग है। इसके माध्यम से लाड़ली बहना जैसी महत्वपूर्ण योजना चल रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में यही योजना बीजेपी के लिए गेमचेंजर साबित हुई थी। इसके बाद भी केंद्र से इस विभाग को निराशा मिली है। विभाग के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन के लिए 3014.37 करोड़ मिलने थे लेकिन 376.47 करोड़ से ही संतोष करना पड़ा है। वहीं पीएम मातृ वंदना योजना के लिए 210 करोड़,समेकित बाल संरक्षण योजना के लिए 89.40 करोड़, विशेष पोषण आहार योजना के लिए 578 करोड़ की मद में एक रुपए भी नहीं मिला है। हांलाकि पोषण अभियान के लिए 120.03 करोड़ के बदले 648 करोड़ ज्यादा यानी 768.06 करोड़ दिए गए हैं। वहीं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लिए 15.10 करोड़ की मांग पर 256.99 करोड़ दिए गए हैं। मिशन वात्सल्य में प्रावधान के बिना ही 117.23 करोड़ विभाग के हिस्से में आई है।

4. प्रदेश के मुखिया यानी सीएम डॉ.मोहन यादव के नेतृत्व में ही गृह विभाग का संचालन हो रहा है। लेकिन केंद्र से सीएम के विभाग को भी बजट में कटौती का सामना करना पड़ा है। गृह विभाग को अपराध नियंत्रण, अनुसंधान और आधुनिक संसाधनों की मद में मांग के मुताबिक राशि नहीं मिली है। केंद्रीय क्षेत्रीय योजना के अंतर्गत विभाग को16.42 करोड़ मिलने थे। वहीं सुरक्षा संबंधी अन्य खर्च की मद में 7.37 करोड़ और स्पेशल इंफ्रास्ट्रक्चरल स्कीम के तहत 15 करोड़ मांगे गए थे। महिलाओं की सुरक्षा और निर्भया फंड में 1.50 करोड़ और ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना के अनुदान के रूप में 2 करोड़ मिलने थे लेकिन इनमें से कोई राशि नहीं दी गई।    


इन विभागों के बजट में कटौती 

विभाग                  इतनी थी मांग         इतनी मिली राशि
गृह                            66.5                   12.13
वन                           165.29                1459.87
किसान कल्याण,कृषि   926.75                237.36
स्वास्थ्य                      4360                   2459
पीडब्लूडी                  1150                    944
विधि                         302                     152
पंचायत                     106                      40
जनजातीय कार्य          1102                    404
सामाजिक न्याय          1689                   231
खाद्य_आपूर्ति             341                     222
पर्यटन                       5                        5
पशुपालन_डेयरी         202                     33            
मछुआ कल्याण           61                      26
तकनीकी शिक्षा          109                     .52
संसदीय कार्य             14                       2.32
महिला_बाल विकास    4155                  1541
ग्रामीण विकास           8454                   8581
अनुसूचितजाति           779                    15

(राशि करोड़ रुपए में)


इनका खाता रहा खाली :

विभाग                  इतनी थी मांग         इतनी मिली राशि
उद्यानिकी                     136                         00
आयुष                           69                          00
कुटीर ग्रामोद्योग             12                           00
नवकरणीय ऊर्जा            05                          00
परिवहन                       3.55                        00    
पर्यावरण                      12                           00
चिकित्सा शिक्षा              421                         00    
ओबीसी_अल्पसंख्यक    284                          00
ऊर्जा                          1933                        00
सहकारिता                   22                           00
श्रम                             1.25                        00
नर्मदा घाटी विकास        65                           00
संस्कृति                       01                           00
जलसंसाधन                 557                         00
पीएचई                       4571                       00

(राशि करोड़ रुपए में)

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