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रविवार, 07 सितंबर को भाद्रपद माह की पूर्णिमा पर साल का दूसरा और अंतिम चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। यह ग्रहण रात 9.56 बजे से शुरू होकर 11.48 बजे तक रहेगा। बता दें कि ग्रहण का असर इंसान के साथ भगवान पर भी होता है। इसी के चलते मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर भगवान के मंदिर की शयन आरती का समय बदल दिया गया है।
प्रत्येक दिन रात 10.30 बजे होने वाली महाकाल की शयन आरती इस बार 9.30 बजे होगी। साथ ही, 9.58 बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। इसके अलावा, सोमवार तड़के भस्म आरती से पहले पूरे मंदिर को पानी से धोकर शुद्ध किया जाएगा। इसके बाद भगवान का स्नान और पूजन-अभिषेक होगा।
ग्रहण के समय होने वाली शयन आरती और पट बंद का समय भले ही बदले, लेकिन रविवार सुबह की भस्म आरती और अन्य सभी आरतियां निर्धारित समय पर ही होंगी। श्रद्धालु इन आरतियों में भाग ले सकेंगे, लेकिन ग्रहण के सूतक काल के कारण कुछ मंदिरों में अतिरिक्त नियम लागू होंगे।
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में आरती के नए नियम पर एक नजर
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उज्जैन के अन्य मंदिरों में बदलाव
चंद्रग्रहण के कारण उज्जैन के अन्य मंदिरों में भी कई बदलाव किए गए हैं। जो इस प्रकार है-
हरसिद्धि माता का पूजन:
हरसिद्धि मंदिर में चंद्रग्रहण के सूतक काल के पहले माता की पूजा की जाएगी। लेकिन सूतक के बाद माता जी को स्पर्श नहीं किया जाएगा और गर्भगृह में प्रवेश भी नहीं होगा।गोपाल मंदिर के बदले नियम:
श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में सूतक के पूर्व पूजा की जाएगी। इसके बाद मंदिर के चांदी द्वार बंद कर दिए जाएंगे।मंगलनाथ मंदिर में भात पूजा:
मंगलनाथ मंदिर में ग्रहण के कारण गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। केवल बाहर से दर्शन किए जा सकेंगे। वहीं भात पूजा सुबह सिर्फ 11 बजे तक होगी।सांदीपनि आश्रम में सूतक:
सांदीपनि आश्रम में भी सूतक काल माना जाएगा। ग्रहण के समय श्रद्धालु बाहर से भगवान के दर्शन कर सकेंगे।
जानें ग्रहण के दौरान क्या करें?
चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है। इसे ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्व दिया जाता है। इसे ब्लड मून कहा जाता है, जो लाल रंग में दिखाई देता है। इस दौरान पूजा-पाठ और शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है, लेकिन इसके बजाय सकारात्मक ऊर्जा के लिए मंत्रों का जाप किया जा सकता है। खासकर चंद्र मंत्रों का उच्चारण करना लाभकारी माना जाता है।
इसके अलावा, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण के समय ईष्टदेव के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस समय में साधना और ध्यान से मानसिक शांति प्राप्त हो सकती है।
चंद्रग्रहण पर क्या कहता है विज्ञान
जीवाजी वैद्यशाला के अधीक्षक डॉ. राजेंद्र प्रसाद गुप्त के अनुसार, चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है। इसे वैज्ञानिक नजरिए से भी अहम माना जाता है। ग्रहण को वेधशाला में टेलीस्कोप से देखा जा सकता है। वहीं बारिश नहीं होने पर इसे छत से भी देखा जा सकता है। चंद्रग्रहण भारत के अलावा एशिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका, और अंटार्कटिका जैसी जगहों पर भी देखा जाएगा।
सिंहस्थ 2028 के लिए तैयार हो रहा महाकाल का आंगन
महाकाल मंदिर में दर्शन और भी आरामदायक बनाने के लिए उज्जैन में मंदिर परिसर का विस्तार किया जा रहा है। सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखते हुए महाकाल के आंगन को तीन गुना बढ़ाकर 78 हजार वर्ग फीट किया जा रहा है। इस बार एक दिन में 10 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
इससे दर्शन को लेकर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं में भी बढ़ोतरी की जाएगी। 1102 करोड़ रुपए के कार्यों से दो फेस पूरे हो चुके हैं, जबकि तीसरे फेस में 300 करोड़ रुपए के और काम होने हैं। मंदिर परिसर में अतिरिक्त रास्ते और 10 लाइनें बनाकर श्रद्धालुओं के लिए एक सुलभ और व्यवस्थित दर्शन की व्यवस्था की जा रही है।
आईआईएम की मदद से बढ़ेगा भीड़ नियंत्रण
इस बार, आईआईएम इंदौर की टीम महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अपना सहयोग प्रदान करेगी। आईआईएम की टीम पर्व, त्योहारों और सवारी के दिनों में आएगी। उनके अनुभव के आधार पर एक उचित योजना तैयार की जाएगी। साथ ही, पार्किंग और ट्रैफिक सिस्टम को समझने के लिए इस योजना पर काम किया जा रहा है, ताकि अधिकतम श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा मिल सके।
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