बीजेपी को अभी भी सता रहा छिंदवाड़ा, कैलाश विजयवर्गीय के आरोप कांग्रेस शराब बांट रही, नोटतंत्र का सहारा ले रहे नकुलनाथ

कमलनाथ और उनके परिवार के पास 1980 से यह छिंदवाड़ा सीट है। एक बार उनकी पत्नी अलकानाथ और फिर 2019 में नकुलनाथ सांसद बने। साल 1997 में केवल एक बार बीजेपी के पास उपुचनाव में सीट आई तब सुंदरलाल पटवा जीते थे। 

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Sandeep Kumar
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कैलाश विजयवर्गीय का नकुलनाथ के खिलाफ तीखा हमला

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संजय गुप्ता @ INDORE. छिंदवाड़ा की सीट बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन चुकी है, लेकिन कांग्रेस से विधायक, महापौर, कमलनाथ के करीबी दीपक सक्सेना ( Deepak Saxena ) को भी साथ लेने के बाद बीजेपी को अभी भी कमलनाथ ( Kamalnath ) प्रभाव सता रहा है। इसके संकेत इस बात से मिल रहे हैं कि नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ( Kailash Vijayvargiya ) ने आरोप लगाए हैं कि- हार देखते हुए अब नकुलनाथ वहां नोटतंत्र का सहारा ले रहे हैं।

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यह बोले विजयवर्गीय

मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि  छिंदवाड़ा में बीजेपी की आंधी है। लेकिन कांग्रेस लोकतंत्र को नोटतंत्र से खरीदना चाहती है। शराब तस्करी में कांग्रेस नेता की संलिप्तता पर उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी की आंधी चल रही है। कांग्रेस इसे लेकर घबरा गई है, वह लोकतंत्र को नोट तंत्र के माध्यम से खरीदना चाहती है। नकुल नाथ घबरा गए हैं। उन्हें सामने हार नजर आ रही है। इसलिए अब उन्होंने नोट तंत्र का सहारा ले लिया है। शराब बांटी जा रही है। लोगों को प्रलोभन दिया जा रहा है। 

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कमलनाथ के घर में बोरों में नोट हैं- विजयवर्गीय

विजयवर्गीय ने कहा कि हम चुनाव आयोग से मांग करेंगे कि जिस घर में वे ठहरे हैं, उसकी जांच की जाए। बोरों में नोट भरे हुए हैं, लोगों को बुलाकर उन्हें प्रलोभन दिया जा रहा है। कल ही हमारा प्रतिनिधि मंडल चुनाव आयोग से मिलकर कार्रवाई की मांग करेगा। हम छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र को संवेदनशील घोषित करने की मांग करते हैं।

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विजयवर्गीय इस तरह शिकायतें करते नहीं हैं

कमलनाथ और उनके परिवार के पास 1980 से यह छिंदवाड़ा सीट है। एक बार उनकी पत्नी अलकानाथ और फिर 2019 में नकुलनाथ सांसद बने। साल 1997 में केवल एक बार बीजेपी के पास उपुचनाव में सीट आई तब सुंदरलाल पटवा जीते थे। छिंदवाड़ा में हर जगह कमलनाथ का प्रभाव है और वोट भी उन्हीं के नाम पर जाते हैं यहां कांग्रेस और नकुलनाथ केवल दिखाने के लिए है। छिंदवाड़ा में लगातार सक्रिय जयवर्गीय भी इस बात को महसूस कर रहे है कि उनकी लड़ाई असल में कमलनाथ के 34 सालों के काम से है ना कि कांग्रेस या नकुलनाथ से। जब बीजेपी जीत का दावा कर रही है, वहीं विजयवर्गीय के इस तरह के आरोप लगाना बता रहा है कि अभी भी मैदान में मेहनत की जरूरत है। सामान्य तौर पर विजयवर्गीय इस तरह के आरोप नहीं लगाते हैं। इंदौर एक विधानसभा चुनाव में भी जब कांग्रेस के संजय शुक्ला आरोप लगा रहे थे, वह लगातार अपना प्रचार कर रहे थे और आरोपों पर कभी जवाब भी नहीं दिए। 

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बीजेपी इस बार पांच लाख से जीत का दावा कर रही

बीजेपी इस बार जबरदस्त तरीके से लगी हुई है। कांग्रेस के महापौर, एक विधायक से लेकर कई पार्षद, कमलनाथ के करीबी दीपक सक्सेना तक बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। बीजेपी यहां इस बार इसी दलबदल और मोदी की गारंटी के आधार पर 5 लाख से जीत का नारा दे रही है। मामला इस बार कांटे का है। 1952 से 2019 तक हुए चुनाव में बीजेपी को केवल एक बार 1997 में उपचुनाव में जीत मिली थी जब सुंदरलाल पटवा जीते थे। 1980 से तो लगातार कमलनाथ परिवार ( कमलनाथ खुद, एक बार अलकानाथ और 2019 में नकुलनाथ ) ही सांसद पद पर है।

 

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