भोपाल। विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह को दूसरी बार एक साल का एक्सटेंशन देने की तैयारी है। इस संबंध में निर्वाचन आयोग को जानकारी भेजी गई है। इसमें कहा गया है कि एपी सिंह का एक्सटेंशन 31 मार्च 2023 को समाप्त हो रहा है। पदोन्नति में रोक होने के कारण विधानसभा में प्रमुख सचिव पद के लिए विधानसभा में कोई वरिष्ठ अधिकारी नहीं है। ऐसे में सिंह को 31 मार्च 2025 तक की सेवावृद्धी दी जाना प्रस्तावित है।
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लंबे समय से नहीं हुईं नियमित भर्तीयां
उल्लेखनीय है कि राज्यसभा चुनाव के लिए विधानसभा ने प्रमुख सचिव एपी सिंह का नाम रिर्टनिंग ऑफिसर के लिए भेजा था और एआरओ के लिए विधानसभा सचिव का नाम भेजा था। इस पर कांग्रेस के उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा था कि एक्सटेंशन पर पदस्थ अधिकारी राज्यसभा चुनाव कराने के लिए आरओ नहीं बन सकता। कांग्रेस की आपत्ति को मान्य करते हुए आयोग ने एपी सिंह को आरओ बनाने से इंकार करते हुए राज्य सरकार से दूसरे अफसर का नाम मांगा था। विधानसभा में सिनियर अफसर न होने पर राज्य सरकार ने श्रमायुक्त संजय गुप्ता को आरओ बनाया। संभवत: विधानसभा के इतिहास में पहली बार कोई आईएएस राज्यसभा चुनाव के लिए आरओ बनाया गया है। दरअसल विधानसभा में लंबे समय से नियमित भर्तीयां नहीं हुईं। इसकी मुख्य वजह यहां बैकडोर एंट्री से भर्ती करने को लेकर उठने वाले विवाद भी रहे, कुछ मामले न्यायालय तक भी गए।
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सचिव के दोनों पद खाली
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विधानसभा(Assembly) के दो सचिव के पद हैं, लेकिन दोनों पद रिक्त हैं। 2018 में रिटायर्ड जज शिशिरकांत चौबे सचिव के पद पर आए थे। कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने हटा दिया था। कांग्रेस सरकार आने के बाद 2020 में शिशिरकांत चौबे की नियुक्ति सचिव पद पर की गई थी। 65 साल तक के लिए, लेकिन वे 68 साल तक सचिव बने रहे। बाद में जनवरी 2024 में शिकायत के चलते हटाए गए। लोकायुक्त, सीएस, सीएम अध्यक्ष से लेकर राज्यपाल तक शिकायत हुई। इसके बाद से दोनों पद खाली हैं। एक पद तो एपी सिंह का है वे सचिव से प्रमुख सचिव बने, लेकिन उस पद पर उन्होंने किसी की नियुक्ति नहीं। 8 साल से ये पद खाली रखा। इतना ही नही दूसरा पद उमाशंकर रघुवंशी 2015 में रिटायर होने के बाद से खाली रहा, 2018 में इस पद पर शिशिरकांत चौबे आए थे।
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छोटे से लेबर बड़े तक सब एक्सटेंशन पर
विधानसभा जहां प्रदेश के कानून बनते हैं, वहां प्रमुख सचिव से लेकर भृत्य तक एक्सटेंशन पर काम कर रहे हैं। कैग इस पर आपत्ति भी ले चुका है, उसका कहना है कि इतने संवेंदनशील संस्थान को संविदा कर्मियों के भरोसे चलाना उचित नहीं है। कैग की इस आपत्ति के बाद विधानसभा के अधिकारी बैचेन हैं। सूत्रों का कहना है कि बजट सत्र के बाद विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर इस मामले में मुख्यमंत्री मोहन यादव से चर्चा कर पूरे स्ट्रक्चर को नए सिरे से डिजाईन करेंगे। संभवत: जल्द ही विधानसभा में नई भर्तीयां की जाएंगी और तत्कालीक व्यवस्था के लिए अन्य विभागों से अधिकारी डेपुटेशन पर भी लिए जा सकते हैं। इतना ही नहीं विधानसभा के प्रमुख सचिव के पद पर हाईकोर्ट से जज की सेवाएं भी ली जा सकती हैं।
तीन साल में इतने लोग ले चुके हैं एक्सटेंशन
अभी तक सबसे लंबी अवधि यानि दो साल का एक्सटेंशन आरसी रुपला अवर सचिव ले चुके हैं। वहीं यदि निर्वाचन आयोग की हरी झंडी मिलती है तो प्रमुख सचिव एपी सिंह दूसरे अधिकारी बन जाएंगे जिन्हें दूसरी बार एक साल का एक्सटेंशन मिलेगा। इसके अलावा एक साल का एक्सटेंशन लेने वाले अधिकारियों में रामगोपाल मिश्रा मार्शल और रामेश चन्द्र सगर अनुविभागीय अधिकारी शामिल हैं। वहीं 8 माह का एक्सटेंशन लेने वालों में केएल दलवानी अनुविभागीय अधिकारी, रामअवतार मिश्रा सहायक ग्रेड, रामसखा पांडे सहायक मार्शल और 7 माह का एक्सटेंशन लेने वालों में शिवनारायण गौर अवर सचिव का नाम शामिल है। इसी तरह 6 माह का एक्सटेंशन लेने वालों में अनिल कुमार व्यास अनुविभागीय अधिकारी, गोपाल पांडा अवर सचिव, गोविंद पल्लव व्यास सहायक ग्रेड 1, रामलखन दोगुने अनुविभागीय अधिकारी, दीनबंधु सिंह सहायक ग्रेड 2, संतोष कुमार शर्मा उप संचालक, अजय शर्मा अनुविभागीय अधिकारी, नवल मिश्रा लेखाधिकारी, प्रेमलता वर्मा को 6 माह का एक्सटेंशन, शेष राव बारस्कर, शिव प्रसाद बुंदेला अनुविभागीय अधिकारी शामिल हैं। वहीं 3 माह का एक्सटेंशन रामभुवन नापित अनुविभागीय अधिकारी, रमेश कुमार यादव प्रशासकीय अधिकारी, विमला सारस्वत अनुविभागीय अधिकारी, सैय्यद मोहम्मद इकबाल कार्यवाहक संपादक, विजय कुमार ठाकुर अनुविभागीय अधिकारी, शिवनारायण राजपूत अनुविभागीय अधिकारी, सुरेश कुमार भार्गव मार्शल, मुकेश मिश्रा का नाम शामिल है। eksttenshn | chief-secretary