जहां संस्कार सिखाए जाते थे, उसी NGO के हॉस्टल में चल रहा था चाइल्ड पोर्नोग्राफी गैंग का अड्डा

इंदौर की फैमिली एजुकेशन सोसायटी एनजीओ विवादों में है। दो हाउस ब्रदर अश्लील वीडियो नेटवर्क में शामिल पाए गए। एनजीओ को इस गतिविधि की कोई जानकारी नहीं थी। राज्य साइबर सेल ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

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Amresh Kushwaha
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INDORE. गरीब और ट्राइबल बच्चों को पढ़ाने व उनका जीवन सुधारने का दावा करने वाला एक प्रतिष्ठित एनजीओ अब शर्मनाक वजहों से सुर्खियों में है। इस एनजीओ को परिवार एजुकेशन सोसायटी के नाम से जाना जाता है।

यहां हाउस ब्रदर के रूप में काम करने वाले दो युवक अश्लील वीडियो के नेटवर्क में शामिल पाए गए। हालांकि इस पूरे मामले की जानकारी एनजीओ को नहीं थी। वहीं, राज्य साइबर सेल इंदौर ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया है।

बच्चों की सेवा के नाम पर छिपा गंदा खेल

टीआई दिनेश वर्मा की टीम ने दोनों आरोपी को देवास जिले के सांदलपुर से गिरफ्तार किया है। इसकी पहचान लक्ष्मीकांत बागड़ी और प्रदीप बागड़ी के रुप में की गई है। साथ ही, ये दोनों पश्चिम बंगाल के निवासी है।

जांच में सामने आया कि ये दोनों एनजीओ के हॉस्टल में रहकर गरीब और ट्राइबल बच्चों की सेवा का दिखावा करते थे। वहीं, ये पर्दे के पीछे चाइल्ड पोर्नोग्राफी वीडियो बनाते और शेयर करते थे।

इस एनजीओ में भी वे इसी लिए काम कर रहे थे ताकि वहां बच्चों को आसानी से टारगेट बना सकें। इस पूरे मामले में पुलिस ने एक स्पेशल टीम बनाई है, जो अब बच्चों की काउंसलिंग कर उनसे डिटेल्स ले रही है।

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जांच में मिला 15 आपत्तिजनक वीडियो

साइबर सेल की तकनीकी जांच में 15 अश्लील वीडियो बरामद किए गए है। इनमें नाबालिग बच्चों की आपत्तिजनक हरकतें दर्ज थीं। ये वीडियो दोनों आरोपियों के मोबाइल से पोर्टल्स और ईमेल आईडी के माध्यम से अपलोड किए गए थे। 

वीडियो की लोकेशन पश्चिम मेदिनीपुर (पश्चिम बंगाल) की मिली, जबकि आरोपी देवास जिले में सक्रिय थे। पूछताछ में आरोपी लक्ष्मीकांत ने कबूल किया कि उसने वीडियो इंटरनेट ग्रुप्स पर शेयर किए थे। साथ ही, उसका साथी प्रदीप भी इसी नेटवर्क में शामिल था।

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एनजीओ ने दोनों को नौकरी से निकाला

मामला सामने आने के बाद एनजीओ प्रशासन ने दोनों आरोपियों को तत्काल प्रभाव से नौकरी से निकाल दिया। संस्था के संचालकों ने कहा कि उन्हें इस अपराध की जानकारी नहीं थी और वे पुलिस जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं।

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जानबूझकर बच्चों वाले हॉस्टल को बनाया निशाना

एमपी पुलिस को मिली जानकारी के मुताबिक आरोपियों ने जानबूझकर बच्चों वाले हॉस्टल को टारगेट किया था, ताकि वे आसानी से बच्चों तक पहुंच सकें और उनका वीडियो बना सकें। साइबर सेल का मानना है कि यह मामला सिर्फ दो लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा है जो देशभर में सक्रिय है।

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साइबर सेल की जांच जारी

टीम अब उन सभी ऑनलाइन ग्रुप्स, पोर्टल्स और यूजर आईडीज की तलाश में जुटी है, जिनसे ये वीडियो शेयर किए गए थे। वहीं अभी यह भी तलाश कर रही है कि आरोपियों ने किन-किन बच्चों को टारगेट बनाया था।

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