एमपी में SIR को लेकर सियासी घमासान : जीतू पटवारी बोले- चुनाव आयोग का दुरुपयोग कर रही BJP

भारतीय चुनाव आयोग ने मध्यप्रदेश समेत 12 राज्यों में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की घोषणा की है। इसमें मतदाता सूची को अपडेट किया जाएगा। कांग्रेस और भाजपा के बीच इसको लेकर गंभीर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं।

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Ramanand Tiwari
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SIR in MP

Photograph: (THESOOTR)

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BHOPAL. SIR को लेकर सियासी घमासान: भारत निर्वाचन आयोग ने मध्यप्रदेश सहित 12 राज्यों में SIR (Special Intensive Revision) यानी विशेष गहन पुनरीक्षण की घोषणा कर दी है। आयोग का यह कदम मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए उठाया गया है, लेकिन इसके साथ ही राजनीतिक बयानबाजी का दौर भी तेज हो गया है।

कांग्रेस ने कहा- वोट चोरी नहीं होने देंगे

कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने एमपी में SIR को लेकर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यह बीजेपी और आयोग की मिलीभगत का डरावना प्रयास” है।

पटवारी ने कहा कि कांग्रेस लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। बीजेपी चुनाव आयोग का दुरुपयोग कर रही है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। हर बूथ पर कांग्रेस का BLA मौजूद रहेगा और SIR की पूरी प्रक्रिया पर नजर रखी जाएगी। हम किसी भी कीमत पर वोट चोरी नहीं होने देंगे।

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SIR से कांग्रेस के मंसूबे फेल होंगे: भाजपा

वहीं, बीजेपी के मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि SIR प्रक्रिया मतदाता सूची को शुद्ध और पारदर्शी बनाने का प्रयास है।

आशीष अग्रवाल ने कहा कि बिहार में अवैध नागरिकों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए। अब वही प्रक्रिया अन्य राज्यों में भी लागू होगी। SIR से फर्जी और बाहरी मतदाताओं के नाम हटेंगे। कांग्रेस को डर है क्योंकि वह पाकिस्तान और बांग्लादेशी वोटरों के सहारे चुनाव जीतना चाहती है। SIR उनकी साजिश पर पानी फेर देगा।”

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आयोग का मकसद: पारदर्शी मतदाता सूची

निर्वाचन आयोग के अनुसार, इस विशेष पुनरीक्षण अभियान का उद्देश्य मतदाता सूची को अधिक सटीक और त्रुटिहीन बनाना है। इसमें नए मतदाताओं के नाम जोड़े जाएंगे और मृत या स्थानांतरित लोगों के नाम हटाए जाएंगे।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक पारदर्शिता के लिए जरूरी है, लेकिन इसकी राजनीतिक व्याख्या चुनावी मौसम में गर्मी बढ़ा रही है।

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राजनीति की नई जंग की शुरुआत

SIR की घोषणा के बाद मध्यप्रदेश की राजनीति में नई हलचल देखी जा रही है। एक ओर कांग्रेस इसे लोकतंत्र पर हमला बता रही है, तो दूसरी ओर बीजेपी इसे पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम बता रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि SIR केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि 2028 के विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं पर पकड़ मजबूत करने की रणनीति भी हो सकती है।

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