अतिथि शिक्षकों को क्यों नहीं मिल रहा न्यूनतम वेतन, HC ने 9 विभागों से मांगा जवाब

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में 90 हजार अतिथि शिक्षकों से जुड़े मामले पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने 9 विभागों को नोटिस जारी कर सवाल किया है। अतिथि और नियमित शिक्षक समान कार्य करते हैं। फिर भी उन्हें नियमित पद का न्यूनतम वेतन क्यों नहीं मिल रहा?

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Neel Tiwari
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JABALPUR. एमपी के सरकारी स्कूलों के 90 हजार अतिथि शिक्षकों से जुड़ा मामला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में पहुंचा। कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि अतिथि और नियमित शिक्षक समान कार्य कर रहे हैं। फिर भी उन्हें नियमित पद का न्यूनतम वेतन क्यों नहीं मिल रहा?

28 अक्टूबर 2025, मंगलवार को चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने याचिका क्रमांक WP 32098/2025 पर सुनवाई की। हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव समेत 9 विभागों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

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अतिथि शिक्षकों का शोषण रोकने की मांग

यह याचिका देवास जिले के दो अतिथि शिक्षकों विकास कुमार नंदानिया और मुकेश कुमार जोशी ने दायर की थी। दोनों गेस्ट टीचर्स का कहना है कि सरकार नियमित शिक्षकों की जगह अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति कर रही है। दूसरी तरफ, उनसे रेगुलर शिक्षकों जितना ही कार्य लिया जा रहा है। इसके बावजूद उन्हें फिक्स मासिक वेतन दिया जाता है जो कि न्यूनतम वेतन से भी कम है। इतना ही नहीं, अतिथि शिक्षकों को छुट्टी और अन्य सुविधाओं का लाभ भी नहीं दिया जाता।

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वकीलों ने दिए SC और मानवाधिकारों के उदाहरण

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह और पुष्पेंद्र कुमार शाह ने कोर्ट में जानकारी दी है। कोर्ट में बताया गया कि 1948 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानव अधिकार घोषणापत्र जारी किया। इसमें प्रत्येक व्यक्ति को न्यूनतम वेतन और सवैतनिक छुट्टी का अधिकार दिया गया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई निर्णयों में न्यूनतम वेतन से कम भुगतान को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना है।

कोर्ट ने पूरे मामले को मानव अधिकारों और संवैधानिक दायित्वों से जुड़ा गंभीर विषय मानते हुए मध्य प्रदेश सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि जब अतिथि शिक्षक भी उन्हीं स्वीकृत पदों पर कार्यरत हैं जिन पर नियमित शिक्षकों की नियुक्ति होती है, तो उन्हें न्यूनतम वेतन से वंचित रखना उचित नहीं है।

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90 हजार अतिथि शिक्षकों का भविष्य जुड़ा

मध्य प्रदेश के करीब 90 हजार अतिथि शिक्षक, जो प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को संभाल रहे हैं। इस आदेश के बाद न्याय की उम्मीद देख रहे हैं। वर्षों से अस्थाई स्थिति में काम कर रहे इन शिक्षकों को न तो नौकरी की सुरक्षा है, न ही वेतन का स्थायित्व। अदालत के इस आदेश से उनके लिए आर्थिक और सामाजिक सम्मान की नई राह खुल सकती है।

हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई अतिथि शिक्षकों के वेतन अधिकारों पर है। यह सुनवाई शिक्षा तंत्र में समानता और न्याय की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है। अब सभी की नजरें सरकार के जवाब और आगामी सुनवाई पर हैं।

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