मोहन के मंत्रिमंडल में आएंगे रामनिवास रावत, कल नौ बजे शपथ लेंगे
मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार का कल सोमवार को मंत्रिमंडल विस्तार होने वाला है। इसमें कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए विजयपुर विधायक रामनिवास रावत मंत्री पद की शपथ लेंगे...
मध्य प्रदेश में कल सोमवार को डॉ. मोहन यादव सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार होने वाला है। कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए रामनिवास रावत को प्रदेश सरकार में मंत्री पद देने का फैसला किया है। कल सुबह 9 बजे राजभवन में रामनिवास रावत मंत्री पद की शपथ लेंगे।
बीजेपी कार्यसमिति की बैठक खत्म होने के बाद सीएम मोहन यादव राज्यपाल मंगूभाई भाई पटेल से मुलाकात करेंगे। मंत्रिमंडल विस्तार के लिए अभी केवल रामनिवास रावत का ही नाम फाइनल किया गया है। अगर कार्यसमिति की बैठक में वरिष्ठ नेताओं द्वारा कोई और नाम सुझाया जाता है तब ही इसमें बदलाव होंगे।
हालांकि इस विषय में रामनिवास रावत ने द सूत्र को बताया कि उन्हें ऐसी कोई सूचना अभी तक नहीं दी गई है। रावत अभी अपने क्षेत्र विजयपुर में उनके द्वारा आयोजित भागवत कथा में व्यस्त हैं।
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे रावत
रामनिवास रावत लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। वे विजयपुर विधानसभा सीट से 6 बार के विधायक हैं। 30 अप्रैल को रामनिवास रावत ने सीएम मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की उपस्थिति में पार्टी की सदस्यता ली थई। रावत के साथ उनके करीब 2 हजार सदस्यों ने बीजेपी की सदस्यता ली थी।
रामनिवास रावत के अलावा कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए कमलेश शाह को भी मंत्रिपद मिलने के कयास लगाए जा रहे थे। कमलेश शाह छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट के विधायक चुनकर आए थे। उनके इस्तीफा देने के बाद अब 10 जुलाई को अमरवाड़ा में उपचुनाव होने हैं।
ऐसे में चुनावी आचारसंहिता के चलते कल तो कमलेश शाह मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हो पाएंगे। लेकिन अगर उपचुनाव में भी कमलेश शाह जीत दर्ज करते हैं, तो उन्हें मोहन सरकार में मंत्रिपद मिल सकता है।
कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए विधायक रामनिवास रावत की सदस्यता खत्म करने की मांग की गई है। कांग्रेस पार्टी द्वारा इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को पिटिशन सौंपी गई है। विधानसभा अध्यक्ष को 3 महीने के अंदर इस मामले में फैसला सुनाना होगा। रामनिवास रावत के अलावा कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आई बीना विधायक निर्मला सप्रे की भी सदस्यता खत्म करने की मांग की गई है।