सीएम मोहन यादव ने कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में किए बड़े बदलाव, हर सत्र में 8 कलेक्टर देंगे फीडबैक

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में कई बड़े बदलाव किए हैं। इससे कलेक्टरों को सीधे अपने सुझाव देने का मौका मिलेगा। अब हर सत्र में कलेक्टर अपने फीडबैक देंगे।

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Amresh Kushwaha
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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस (Collector-Commissioner Conference) के तरीके में बड़े बदलाव किए हैं। उन्होंने यह निर्णय लिया है कि अपर मुख्य सचिव (ACS), प्रमुख सचिव (PS), और सचिव (Secretary) को मिलने वाले समय में कटौती की जाएगी। इस बदलाव के बाद यह समय कलेक्टरों (Collectors) को दिया जाएगा, ताकि वे अपने फीडबैक और सुझावों को सीधे तौर पर साझा कर सकें।

कलेक्टरों का फीडबैक होगा प्राथमिकता

जानकारी के अनुसार, अब हर सत्र में कम से कम 6 कलेक्टर अपने अनुभव, फीडबैक और नए नवाचार (Innovation) के बारे में बताएंगे। यह भी बताया जाएगा कि किस विभाग (Department) ने किस प्रकार की दिक्कतें पैदा की हैं- चाहे वह पत्रों का समय पर उत्तर न देना हो, पोर्टल (Portal) का समय पर न खुलना हो, या बजट (Budget) में किसी प्रकार की आना-कानी हो। मुख्यमंत्री (CM Mohan Yadav) ने यह स्पष्ट किया है कि अब कॉन्फ्रेंस (Conference) में केवल भोपाल (Bhopal) से बैठे अधिकारी ही अपने विभागों का विवरण नहीं देंगे, बल्कि यह फीडबैक अब मैदान से आने वाले कलेक्टरों से लिया जाएगा।

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इन अधिकारियों का समय घटा

मुख्यमंत्री के इस निर्णय के बाद, एसीएस, पीएस और सचिव को अब हर सत्र में पहले जो 50 मिनट मिलते थे, वह समय घटाकर 15 से 20 मिनट कर दिया गया है। अब हर सत्र के लिए 30 मिनट का समय निर्धारित किया गया है। हर सत्र में आठ कलेक्टर (Collectors) चुने जाएंगे, जो तीन मिनट में अपनी बात रखें। वे बतायेंगे कि वे किस प्रकार की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इसके बाद अगले दस मिनट में सार (Summary) निकाला जाएगा। कुल आठ सत्र (Sessions) प्रस्तावित हैं, जिनके लिए प्रत्येक को 75 मिनट का समय दिया जाएगा।

एमपी कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में बदलाव की खबर पर एक नजर

  • सीएम मोहन यादव ने कॉन्फ्रेंस के तरीके में सुधार करते हुए, अब कलेक्टरों को सीधे फीडबैक देने का अवसर दिया जाएगा।

  • हर सत्र में 6-8 कलेक्टर अपने अनुभव, समस्याएं और सुझाव साझा करेंगे, और विभागों की दिक्कतें भी बताएंगे।

  • एसीएस, पीएस और सचिव के समय में कटौती की गई है, अब वे 15-20 मिनट ही बोल सकेंगे, और प्रत्येक सत्र के लिए 75 मिनट का समय निर्धारित किया गया है।

  • मुख्यमंत्री ने तय किया कि हर हफ्ते एक दिन "नो मीटिंग डे" होगा, जब कोई भी अधिकारी मीटिंग नहीं करेगा, ताकि वे क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों से मिल सकें।

  • अक्टूबर में कॉन्फ्रेंस के बाद, दिसंबर में एक फिजिकल मीटिंग होगी, जिसमें कलेक्टरों की कार्यप्रणाली और प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाएगा।

मुख्य सचिव के एजेंडे को सीएम ने बदला

मुख्य सचिव अनुराग जैन (Anurag Jain) ने सामान्य प्रशासन विभाग के साथ दो दिन की बैठक की थी। इस बैठक में कलेक्टर-कमिश्नर, एसओ-डीओ-आईजी और जिला पंचायत सीईओ की बैठक का एजेंडा और रूपरेखा तैयार किया गया था। लेकिन मुख्यमंत्री ने इन बदलावों के बाद इसमें कई और बदलाव किए हैं। इसमें करीब 15 मिनट का ग्रुप डिस्कशन भी जोड़ा गया है, जो एक खुले सत्र जैसा होगा।

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हर हफ्ते एक दिन रहेगी छुट्टी

मुख्यमंत्री ने यह भी निर्णय लिया है कि हर सप्ताह में एक दिन ऐसा होगा, जब राज्य स्तर से कोई भी अधिकारी (Officer) कोई मीटिंग (Meeting) नहीं करेगा। इसे नो मीटिंग डे (No Meeting Day) कहा जाएगा। इस दिन न ही कोई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग होगी और न ही कोई अन्य बैठक आयोजित की जाएगी। इस दिन का उद्देश्य यह है कि अधिकारी अपने क्षेत्र का दौरा करें, जनप्रतिनिधियों से मिलें, और रात को गांव में रुकें।

अधिकारियों तय करेंगे नो मीटिंग डे

नो मीटिंग डे (No Meeting Day) को लेकर अधिकारी खुद इसे तय करेंगे। इससे अधिकारियों को क्षेत्र में सीधे जनता से संवाद (Dialogue) करने का समय मिलेगा।

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कॉन्फ्रेंस के दो महीने बाद होगी फिजिकल मीटिंग

मुख्यमंत्री ने यह भी निर्णय लिया है कि 7-8 अक्टूबर की कॉन्फ्रेंस के बाद दिसंबर में एक और फिजिकल मीटिंग होगी। कलेक्टरों को दो महीने बाद यह पूछा जाएगा कि उन्होंने इस समय में क्या कार्य किए हैं। उनकी परफॉर्मेंस (Performance) का रिव्यू (Review) किया जाएगा। साथ ही, जरूरी बदलाव किए जाएंगे।

तय हुए आठ बड़े एजेंडे

मुख्य सचिव अनुराग जैन (Chief Secretary Anurag Jain) ने इस कॉन्फ्रेंस के लिए आठ अहम मुद्दे तय किए हैं। मंत्रालय के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव स्तर के अधिकारी इन विषयों पर जानकारी देंगे। इनमें कृषि (Agriculture), नगरीय प्रशासन (Urban Administration), गुड गवर्नेंस (Good Governance), कानून व्यवस्था (Law & Order), आदिवासी और ग्रामीण विकास (Tribal & Rural Development), रोजगार व उद्योग (Employment & Industry), स्वास्थ्य (Health & Nutrition) और शिक्षा (Education) शामिल हैं।

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कौन बोलेगा किस मुद्दे पर?

इस कॉन्फ्रेंस में हर विषय पर वरिष्ठ अधिकारी अपनी प्रस्तुति देंगे:

  • कृषि (Agriculture) – अशोक वर्णवाल: खाद-बीज, सिंचाई प्लानिंग, दूध उत्पादन और प्राकृतिक खेती।

  • नगरीय प्रशासन (Urban Administration) – संजय दुबे: पीएम आवास योजना, अमृत योजना, स्वच्छ भारत मिशन।

  • गुड गवर्नेंस (Good Governance) – संजय कुमार शुक्ला: राजस्व मामलों का डिजिटलाइजेशन और भूमि अधिग्रहण।

  • कानून व्यवस्था (Law & Order) – शिवशेखर शुक्ला: अपराध नियंत्रण, रोड सेफ्टी और एयर एंबुलेंस।

  • आदिवासी व ग्रामीण विकास (Tribal & Rural Development) – दीपाली रस्तोगी: मनरेगा, पंचायती राज, आदिवासी बोर्डिंग स्कूल।

  • रोजगार व उद्योग (Employment & Industry) – राघवेंद्र कुमार सिंह: स्किल डेवलपमेंट, स्टार्टअप्स, पीएम गतिशक्ति।

  • स्वास्थ्य व पोषण (Health & Nutrition) – संदीप यादव: सिकल सेल, पोषण और अस्पतालों की अधोसंरचना।

  • शिक्षा (Education) – संजय गोयल: एडमिशन, ड्रॉपआउट दर और निपुण मिशन (NIPUN Mission)।

पहले भी हुई थी संवाद

मुख्यमंत्री इससे पहले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (Video Conferencing) के जरिए फील्ड अमले से बात कर चुके हैं। लेकिन यह पहली बार होगा जब वे सीधे आमने-सामने संवाद करेंगे। दो दिनों में आठ सत्र रखे गए हैं। वहीं, मुख्य सचिव ने इसके बाद तैयार होने वाले रोडमैप की मॉनिटरिंग की योजना भी बनाई है।

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