कोच अटेंडेंट यात्रियों को अपनी वर्दी पहनाकर ट्रेन में करवा रहे सफर, हर रूट का दाम तय

मुंबई LTT सुपरफास्ट एक्सप्रेस में जनरल टिकट वाले यात्रियों को एसी कोच में सफर करने का खेल बेनकाब हुआ। कोच अटेंडेंट ने नकद वसूली की और यात्रियों को वर्दी पहनाकर जांच से बचाया।

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Neel Tiwari
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इंडियन रेलवे में TTE भले आपको टिकट उपलब्ध नहीं कर पाए लेकिन एसी कोच के कोच अटेंडेंट जनरल टिकट या विदाउट टिकट होने पर भी आरामदायक यात्रा करने का ठेका ले रहे हैं। इस पूरे खेल में रेलवे के स्टाफ की मिली भगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

मुंबई LTT सुपरफास्ट एक्सप्रेस (12142) में यात्रियों को कोच अटेंडेंट की वर्दी पहनाकर सफर करवाने का खेल बेनकाब हुआ है। प्रयागराज से जबलपुर की यात्रा के दौरान हुए इस स्टिंग ऑपरेशन ने साबित कर दिया कि ट्रेन के अंदर TTE और कोच अटेंडेंट (वेंडर) की मिलीभगत से ट्रेनों के एसी कोच में अवैध यात्रियों को सफल करने का खेल खुलेआम चल रहा है।

जनरल टिकट से एसी कोच में स्पेशल एंट्री

प्रयागराज से जबलपुर की ओर यात्रा करने वाले यात्री ने ही यह स्टिंग ऑपरेशन किया। दरअसल यह दो युवक, जिनके पास केवल जनरल टिकट था, उन्हें AC कोच अटेंडेंट ने खुद न्योता देकर अंदर बुलाया। पहले आराम से सोने की जगह देने का लालच दिया, फिर TTE से “पावती कटवाने” की बात छेड़ी। 

AC कोच अटेंडेंट ही इन युवकों को TTE के पास ले गया, जहां TTE ने चालान का रेट 1300–1400 रुपए बताया। इस तरह दोनों युवकों को यह बताया गया कि उन्हें लगभग 3000 रुपए का चालान कटवाना होगा और इसके बाद कोच अटेंडेंट ने दोबारा उन्हें पावती कटवाने के घाटे भी बताए।

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पहले से तय खेल, पावती की जगह नकद का सौदा

कोच अटेंडेंट ने युवकों को चेताया कि चालान कटने पर भी कंफर्म सीट नहीं मिलेगी और आगे स्टेशन पर स्टाफ बदलने पर भी दिक्कत होगी। उसने पहले तो यात्रियों से कहा कि आप फिर से TTE से बात करके देखो और फिर मुझे बताना। 
उसने “अपने लेवल” पर सेटिंग कराने का भी प्रस्ताव दिया। थोड़ी देर बाद कोच अटेंडर  वापस आया और  दो लोगों का आरामदायक AC सफर मात्र 1500 रुपए नकद में सौदा पक्का हुआ।

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वेंडर की शर्ट बनी रेलवे पास

कोच अटेंडेंट ने अपनी रेलवे वेंडर वाली शर्ट युवको को पहना दी ताकि बाकी यात्रियों को शक न हो। यहां हैरानी वाली बात यह थी कि TTE पहले से ही जनरल टिकट में यात्रा कर रहे इन युवकों के बारे में जानता था, इसलिए उसने टिकट चेक करने की जहमत नहीं उठाई। 

TTE उस हिस्से में गया ही नहीं, जहां एक सीट पर चार–चार यात्री ठूंसे हुए थे। इसके कुछ ही देर बाद एक यात्री ने कोच अटेंडर के द्वारा दी गई शर्ट उसे वापस की और तय की गई रकम भी उसके हवाले कर दी। कोच अटेंडेंट इस वसूली के रूपये लेकर अपनी जेब में डालता हुआ भी वीडियो में साफ नजर आया। 

वीडियो में युवक कोच अटेंडर से यह भी बात करता हुआ नजर आया कि आपके इशारे के बाद TTE नहीं आए क्योंकि उन्हें पता चल गया कि यह आपके ग्राहक है।

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AC कोच में खुलेआम शराबखोरी

गौर करने वाली बात यह थी कि बाद में यही कोच अटेंडेंट AC कोच में युवकों के साथ बैठकर शराब के पैग तैयार करता और पीता हुआ भी नजर आया। इस दौरान उसने युवकों को भी शराब ऑफर की और कोच के अन्य यात्री भी वहां पर आते-जाते रहे लेकिन वह बिना किसी संकोच के शराब पीता रहा। यानी पैसों के लेन-देन के साथ-साथ ट्रेन में खुलेआम अवैध गतिविधियां भी जारी थीं।

नोट सीधे जेब में, TTE की ओर कदम

वीडियो में दिखा कि जैसे ही सौदा तय हुआ, युवक ने शर्ट उतारकर वापस दी, जेब से गिनकर नोट निकाले और वेंडर को थमा दिए। वेंडर ने बड़ी चतुराई से नोट अपनी पीछे की जेब में डाल लिए। 

जनरल टिकट लेकर बिना रसीद या चलान के इस सफर ने यह भी तय कर दिया कि TTE से चालान ना कटवाने के बाद इसी डिब्बे में उनकी यात्रा में ड्यूटी पर तैनात TTE की हिस्सेदारी और मिली भगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

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जबलपुर DCM रेलवे बोले की जाएगी कार्यवाही 

इस मामले में वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक शशांक गुप्ता से द सूत्र ने बात की तो उन्होंने बताया कि इस वीडियो में यह साफ नजर आ रहा है कि यहां पर अनैतिक गतिविधियां तो चल रही हैं। उन्होंने बताया कि इस ट्रेन में जो कांट्रेक्चुअल एम्पलाई होते हैं वह मुंबई के होते हैं।

 इस मामले की सूचना मुंबई मुख्यालय को दी जाएगी और इस पर पूरी कार्यवाही भी सुनिश्चित करेंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए समय-समय पर रेलवे के ड्राइव भी चलाए जाते हैं और शिकायत मिलने पर तुरंत कार्यवाही भी की जाती है।

रेलवे की साख पर सवाल

यह पूरा घटनाक्रम रेलवे की ईमानदारी और व्यवस्था पर गहरा सवाल खड़ा करता है। जनरल टिकट वाले यात्रियों को AC कोच में बैठाने, नकद वसूली, और कोच अटेंडर की वर्दी पहनाकर टिकट जांच से बचाना और शराबखोरी। 

ये सब ट्रेन के अंदर ही, और TTE की नाक के नीचे हो रहा था। सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ एक ट्रेन का मामला है या रेलवे में ऐसे “काले खेल” की जड़ें और गहरी हैं?

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