मध्य प्रदेश में एक बार फिर कोयले का भंडार मिला है। छिंदवाड़ा जिले में मोहन कॉलरी, मोआरी खदान और भारत ओपन कास्ट को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति मिल गई है। यह खदानें जल्द चालू होंगी, और इन खदानों में खनन जल्द शुरु होगा। जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और सैकड़ों श्रमिकों को राहत मिलेगी।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कोयले की नई खदानों को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। लंबे संघर्ष के बाद केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने मोहन कॉलरी, मोआरी खदान और भारत ओपन कास्ट को मंजूरी दे दी है। परासिया में कोयले की ये नई खदानें जल्द शुरू होंगी। इन खदानों से लाखों टन कोयला निकाला जाएगा, जिससे राज्य की औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। कोयला श्रमिकों और संगठनों के लंबे संघर्ष के बाद यह बड़ी सफलता मिली है।
22 लाख टन कोयले का भंडार
भारतीय कोयला खदान मजदूर संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी नारायण राव सराठकर के अनुसार, इन खदानों में 22 लाख टन से अधिक कोयले का भंडार मौजूद है। मोआरी खदान में 17 लाख टन कोयला उपलब्ध है। साथ ही भारत ओपन कास्ट खदान में 5 लाख टन कोयला निकाला जाएगा।
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आर्थिक विकास और रोजगार
- स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
- कोयला उत्पादन बढ़ने से ऊर्जा संकट कम होगा।
- औद्योगिक गतिविधियों को नई गति मिलेगी।
- सैकड़ों मजदूरों को रोजगार मिलेगा।
- खनन उद्योग से जुड़े अन्य व्यापारों को लाभ होगा।
सांसद बंटी विवेक साहू की भूमिका
छिंदवाड़ा में खदानों को फिर से चालू करवाने के लिए सांसद विवेक बंटी साहू ने केंद्रीय कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से मुलाकात की थी। साथ ही नई खदानों को मंजूरी दिलाने का आग्रह किया था। इसके बाद, इन खदानों को पुन: चालू करने की प्रक्रिया को गति मिली।
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कोयला श्रमिकों में खुशी की लहर
खदानों के चालू करने के फैसले से कोयला श्रमिकों और परिवारों में खुशी की लहर है। भारतीय कोयला खदान मजदूर संघ के महामंत्री तेज प्रताप शाही ने बताया कि नागपुर में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया था। श्रमिक संगठनों ने आंदोलन चलाया साथ ही मंत्रियों और सांसदों से मिलकर लगातार मांग उठाई। कोयला श्रमिक संगठनों ने मंत्रियों और सांसदों से लगातार बातचीत की, जिसके बाद सरकार ने खदानें फिर से शुरू करने का निर्णय लिया।
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