BHOPAL. 12 साल बाद अब प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग संस्थागत ढांचे में बदलाव करने जा रहा है। इसके लिए साल 2013 से प्रस्तावित एरिया एज्युकेशन अधिकारी यानी एईओ की व्यवस्था अब लागू होने के आखिरी चरण में पहुंच गई है। हांलाकि 12 साल पहले ली गई परीक्षा में इस पद के लिए जिन शिक्षकों का चयन हुआ था उन्हें कोई लाभ नहीं मिलेगा। विभाग अब नए सिरे से एरिया एज्युकेशन ऑफिसर का चयन करने की तैयारी कर रहा है। लोक शिक्षण संचालनालय जल्द ही एईओ के चयन की प्रक्रिया शुरू करने राज्य शासन को प्रस्ताव भी भेज रहा है।
फिर साबित करनी होगी योग्यता
साल 2013 में प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग ने एरिया एज्युकेशन ऑफिसर प्रणाली लागू करने की घोषणा की थी। इसकी सारी तैयारी होने के साथ ही परीक्षा के माध्यम से 3500 पदों पर शिक्षकों का चयन भी किया गया था। हांलाकि परीक्षा और परिणामों पर शिक्षकों द्वारा गंभीर आरोप लगाए जाने और शिक्षक संगठनों के विरोध के चलते विभाग को इसे रोकना पड़ा था। तब से एईओ के पद खाली हैं और व्यवस्था पूर्व की तरह संचालित की जा रही है।
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आधे से ज्यादा योग्य हुए सेवानिवृत्त
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 12 साल पहले कराई गई चयन परीक्षा में अपनी योग्यता साबित करने वाले आधे से ज्यादा शिक्षक अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वहीं एईओ परीक्षा से जुड़े पुराने विवादों को भी डीपीआई हवा देना नहीं चाहता। इसी वजह से एईओ के चयन के लिए नए सिरे से तैयारी की जा रही है। नियमों में संशोधन के साथ ही नए प्रावधान भी जोड़े जा रहे हैं। हांलाकि अभी प्रस्ताव शासन को भेजना शेष है लेकिन विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है। यह प्रणाली प्रदेश में अभी चल रही बीआरसी व्यवस्था की जगह लेगी।
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चयनित शिक्षक कर रहे विरोध
अभी एईओ प्रणाली को लेकर संचालनालय स्तर पर सुगबुगाहट ही शुरू हुई है कि प्रदेश के शिक्षक विरोध पर उतर आए हैं। राज्य शिक्षक संगठन के पदाधिकारी हेमंत श्रीवास्तव का कहना है कि एईओ परीक्षा के बाद मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। हाईकोर्ट डीपीआई की परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने के निर्देश दे चुका है। इसके बावजूद डीपीआई को एईओ के चयन के लिए नई परीक्षा कराने की क्या जरूरत पड़ रही है।
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