/sootr/media/media_files/2025/04/08/wDYCpnR8iZzn9VPiB3ld.jpg)
Photograph: (the sootr)
BHOPAL. कृषि और सहकारिता जगत में 12 साल बाद चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। प्रदेश की 4500 सहकारी समितियों में चुनाव कराने की तैयारी सरकार ने कर ली है। हाल ही में इन सहकारी संस्थाओं में चुनाव के लिए निर्वाचन प्राधिकारी द्वारा शेड्यूल भी जारी कर दिया गया है। सहकारी क्षेत्र की इन प्रमुख संस्थाओं और समितियों के लिए इसी साल मई से सितम्बर के बीच चुनाव हो जाएंगे। शेड्यूल जारी होने के साथ ही समितियों की मतदाता सूची का काम भी शुरू हो गया है। इसके साथ ही प्रदेश में 259 कृषि उपज मंडी समितियों में भी चुनाव की हलचल तेज हो गई है। मंडी समितियों में चुनाव कब होंगे अभी इसको लेकर फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं है। यानी कृषक नेताओं को अभी कुछ समय और इंतजार करना पड़ सकता है।
समितियों में 12 साल चुनावी हलचल
मध्यप्रदेश में साल 2011-12 में कृषि उपज मंडी समितियों और 2013 में सहकारी समितियों के लिए चुनाव कराए गए थे। मंडी समितियों का कार्यकाल 2017 में पूरा होने के बाद सरकार ने पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव को देखते हुए दो बार छह_छह महीने का कार्यकाल बढ़ा दिया था। इस वजह से साल 2018 में मंडियों में चुनाव नहीं हुए। वहीं सहकारी समितियां 2018 में कार्यकाल पूरा होने के बाद से ही भंग हैं। तभी से मंडी और सहकारी समितियों की कमान प्रशासक के रूप में अधिकारियों के हाथ में है। लंबे समय तक इन संस्थाओं से बाहर रहने से जनप्रतिनिधियों का दखल लगभग खत्म हो गया है। केवल विपक्षी कांग्रेस ही नहीं सहकारिता क्षेत्र में सक्रिय भाजपा नेता भी सालों से चुनाव की मांग करते आ रहे हैं।
यह भी पढ़ें... भोपाल एम्स में 3 साल की बच्ची को मिली नई जिंदगी, जटिल सर्जरी कर हटाया परजीवी जुड़वां
सहकारी नेताओं का होगा पुनर्वास
राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी एमबी ओझा की ओर से 4500 सहकारी समितियों के चुनाव का कार्यक्रम जारी किया है। इन सहकारी समितियों में चुनाव के माध्यम से 53 हजार सदस्य निर्वाचित होंगे। जिनके माध्यम से 38 जिला सहकारी बैंकों के अध्यक्ष और संचालक मंडल के सदस्य चुने जाएंगे। सहकारी समितियों के माध्यम से सरकार की कृषि और सहकारिता क्षेत्र से जुड़ी अहम योजनाओं का क्रियान्वयन होता है। इस लिहाज से क्षेत्रीय क्षत्रपों का भी इन चुनावों में खासी रुचि लेते हैं। कई जिलों में मंत्री, सांसद और विधायक भी इन चुनावों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सक्रिय होते हैं।
यह भी पढ़ें... पोते का संदेह बना बवाल: डॉ. नरेंद्र जॉन केम की फर्जी डिग्रियों का ऐसे हुआ पर्दाफाश
चुनाव कार्यक्रम तो केवल दिखावा
निर्वाचन कार्यक्रम के तहत प्रदेश में 4500 सहकारी समितियों के सदस्यों का चुनाव पांच चरणों में होगा। प्रक्रिया मई से सितम्बर के बीच पूरी हो जाएगी। पहला चरण 1 मई से 23 जून, दूसरा चरण 13 मई से 4 जुलाई, तीसरा चरण 23 जून से 22 अगस्त, चौथा चरण 5 जुलाई से 31 अगस्त और अंतिम व पांचवां चरण 14 से जुलाई 7 सितंबर के बीच संपन्न होगा। वहीं अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और प्रतिनिधियों का चयन विशेष साधारण सम्मेलन में होगा। यानी एक बार फिर न केवल सहकारी समितियां बल्कि जिला सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंकों में भी जनप्रतिनिधियों का दखल होगा।
यह भी पढ़ें... HC ने पूछा- कहां गया स्टॉक? ठेकेदार और अधिकारियों से जवाब तलब और वरिष्ठ अधिवक्ता पर भी उठे सवाल
हाईकोर्ट की नाराजगी से बचने की कोशिश
कांग्रेस विधायक एवं अपेक्स बैंक के पूर्व अध्यक्ष भंवर सिंह शेखावत के साथ ही जबलपुर जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष एंव सहकार भारती के पूर्व अध्यक्ष चौधरी नारायण सिंह का कहना है सरकार की मंशा सहकारी और कृषि उपज मंडी के चुनाव कराने की नहीं है। बार-बार सहकारी चुनाव टालने पर ये मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। जिसमें हाईकोर्ट ने चुनाव न कराने के रुख पर जुर्माना भी लगाया था। हाईकोर्ट की नाराजगी से बचने के लिए चुनाव शेड्यूल जारी किया गया है, लेकिन अभी भी चुनाव कराने पर सरकार की नीयत साफ नहीं है। पहले भी सरकार चुनाव कार्यक्रम जारी कर चुकी है, लेकिन चुनाव नहीं हुए।
यह भी पढ़ें... महंगाई का करंट, बिजली के दाम बढ़ने के साथ सिक्योरिटी डिपॉजिट पर ब्याज में कटौती
चुनाव से बचने बदला सहकारिता एक्ट
अपेक्स बैंक के पूर्व अध्यक्ष शेखावत के अनुसार सहकारिता के क्षेत्र में कांग्रेस की स्थिति मजबूत है। सरकार इसी वजह से सहकारी समिति और मंडी समितियों के चुनाव टालती आ रही है। सहकारी और कृषि मंडी समितियों के चुनावों से बचने के लिए हाल ही में बीजेपी सरकार ने को-ऑपरेटिव एक्ट में बदलाव कर दिया है। इस बदलाव के बाद अब समितियों में प्रशासक का कार्यकाल असीमित कर दिया गया है। जबकि पूर्व में सहकारी समितियों के भंग होने के बाद प्रशासक का कार्यकाल केवल छह माह ही हो सकता था।