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Photograph: आरटीओ संतोष पाल (thesootr)
जबलपुर के पूर्व आरटीओ संतोष पाल और उनके परिजनों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) जबलपुर द्वारा दी गई खात्मा रिपोर्ट अब कोर्ट की नजर में संदिग्ध हो गई है। कोर्ट ने रिपोर्ट पर उठी आपत्तियों को गंभीर मानते हुए जांच एजेंसी से स्पष्टीकरण मांगा है।
रिपोर्ट तैयार करने वाले तत्कालीन ईओडब्ल्यू एसपी आरडी भारद्वाज और आईजी सुनील पाटीदार की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं।
कोर्ट ने रिपोर्ट को पाया अधूरी
इस मामले में अधिवक्ता राजा कुकरेजा और स्वप्निल सराफ ने कोर्ट में आपत्ति दर्ज कराई थी। उनके वकील विजय श्रीवास्तव ने कहा कि ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट जानबूझकर अधूरी और पक्षपाती तरीके से बनाई गई। इससे आरोपी पक्ष को करोड़ों का फायदा हुआ।
रिपोर्ट में जिन संपत्तियों, गाड़ियों, आय और अन्य चीज़ों का जिक्र किया जाना चाहिए था। उन्हें या तो नजरअंदाज कर दिया गया या कम मूल्यांकन दिखाकर संतोष पाल और उनके परिवार को बड़ी राहत दी गई।
EOW अधिकारियों पर लगे गंभीर आरोप
आपत्तिकर्ताओं ने सिर्फ रिपोर्ट नहीं, बल्कि EOW के पुलिस अधीक्षक आर.डी. भारद्वाज और आईजी सुनील पाटीदार की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। आरोप है कि दोनों अधिकारियों ने संपत्तियों का गलत मूल्यांकन कराकर खात्मा रिपोर्ट कमजोर बनाई है जैसे...
1.95 करोड़ रुपए की इनवेंट्री को जानबूझकर छिपाया गया।
शताब्दीपुरम स्थित 4 भूखंडों में से केवल 2 को रिपोर्ट में दिखाया गया।
5 मंजिला निर्माण को सिर्फ दो मंजिला बताकर आंकड़ा कम किया गया।
फर्जी किरायेदार अनुबंध पेश कर रिपोर्ट में आय बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई गई।
मकान, वाहन, रायफल, संपत्ति और किराया जैसे कई अहम आंकड़ों का लोप किया गया।
आपत्तियों में यह भी कहा गया है कि यह सब कुछ आरोपी पक्ष को बचाने और न्याय प्रक्रिया से छेड़छाड़ करने की मंशा से किया गया।
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अगली सुनवाई 29 जुलाई को
कोर्ट ने आपत्तियों को पढ़ने और वकील विजय श्रीवास्तव की दलीलों को सुनने के बाद खात्मा रिपोर्ट को निरस्त कर दिया। ईओडब्ल्यू से कहा गया है कि आपत्तियों पर बिंदुवार टीप (विवरण सहित जवाब) प्रस्तुत करें। कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि आवेदकों द्वारा लगाए गए दस्तावेजों की प्रतियां ईओडब्ल्यू को सौंपी जाएं ताकि वे हर बिंदु पर जवाब दे सकें। अब यह मामला 29 जुलाई 2025 को सुनवाई के लिए कोर्ट में पेश होगा।
शिकायतकर्ता ने EOW पर लगाए मिलीभगत के आरोप
शिकायतकर्ताओं के वकील विजय श्रीवास्तव ने कहा कि उन्होंने कोर्ट में सभी तथ्य रखे। यह तथ्य साबित करते हैं कि रिपोर्ट में करोड़ों की गड़बड़ी जानबूझकर की गई। उन्होंने ईओडब्ल्यू के वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए। वकील ने बताया कि संतोष पाल और उनकी पत्नी का भ्रष्टाचार ईओडब्ल्यू के अधिकारियों की मिलीभगत से छुपाया गया। वे चाहते हैं कि पूरे मामले की दोबारा निष्पक्ष जांच हो।
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करोड़ों की संपत्ति का हुआ गलत आकलन
इस मामले में ईओडब्ल्यू की खात्मा रिपोर्ट सामने आने पर जांच में बड़ी गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है। शताब्दीपुरम योजना के चार भूखंडों का कुल क्षेत्रफल 9600 वर्गफुट है, लेकिन रिपोर्ट में सिर्फ दो भूखंडों को दिखाया गया। चार मंजिला निर्माण को दो मंजिला बताया गया। संतोष पाल की गाड़ी, रायफल, मकान और इनवेंट्री जैसे कई पहलुओं का मूल्यांकन या तो गलत किया गया या छिपाया गया।
ईओडब्ल्यू की जांच पर खड़े हुए सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने सवाल उठाया है कि क्या ईओडब्ल्यू जैसी जांच एजेंसी राजनीतिक या प्रभावशाली दबाव में काम कर रही है। इस मामले में बड़े स्तर पर आंकड़ों की हेराफेरी से अब जांच एजेंसी की साख सवालों के घेरे में आ गई है।
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