मंत्री की भी नहीं मानी अधिकारियों ने बात, अब EOW की जांच में खुल रही मनमानी की परतें

राज्य आजीविका मिशन में 2017-18 के दौरान 366 पदों की भर्ती में हुई गड़बड़ी की जांच EOW द्वारा की जाएगी। मंत्री ने भर्ती प्रक्रिया को रोकने का आदेश दिया, फिर भी भर्ती जारी रही। इस पूरी प्रक्रिया में मेरिट लिस्ट बदलने की बात अब सामने आ रही है।

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Sanjay Dhiman
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ballabh bhavan

Photograph: (the sootr)

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मध्य प्रदेश आजीविका मिशन में हुई भर्ती घोटाले की जांच कर रही इओडब्ल्यू (Economic Offences Wing) द्वारा हर रोज नए-नए खुलासे किए जा रहे हैं। EOW की ताजा जांच में यह तथ्य सामने आया है कि इस भर्ती प्रक्रिया में अधिकारियों ने जानबूझकर तत्कालीन विभागीय मंत्री के आदेशों की अवहेलना की गई।

विदित हो कि राज्य आजीविका मिशन में वर्ष 2017-18 के दौरान 366 पदों पर भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी। इस प्रक्रिया में मैरिट लिस्ट में बदलाव और योग्य उम्मीदवारों की जगह दूसरों का चयन विवादों में आ गया था। इस पूरे मामले की जांच EOW द्वारा की जा रही है। 

बिना मंत्री के आदेश प्रारंभ हुई भर्ती प्रक्रिया

राज्य आजीविका मिशन में 2017-18 में 366 पदों की भर्ती की प्रक्रिया 4 अगस्त 2017 को शुरू हुई थी। तत्कालीन मंत्री गोपाल भार्गव ने इस मामले में एक नोटशीट दी थी, जिसमें उन्होंने लिखा था, "चर्चा करें।" इसके बाद तत्कालीन सीईओ एलएम बेलवाल ने एक और नोटशीट में लिखा कि एसीएस (Additional Chief Secretary) से चर्चा हो चुकी है और मंत्री से भी बात हो गई है, इसलिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए।

यह नोटशीट साक्ष्य के रूप में सामने आई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भर्ती प्रक्रिया को बिना मंत्री के आदेश के ही शुरू किया गया।  

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मंत्री के आदेश के बाद भी नहीं रोकी प्रक्रिया  

इस मामले में 8 नवंबर 2017 को तत्कालीन मंत्री गोपाल भार्गव ने एक और नोटशीट जारी की थी, जिसमें उन्होंने साफ तौर पर लिखा था कि यदि भर्ती प्रक्रिया में कोई त्रुटि हुई तो यह गंभीर स्थिति उत्पन्न कर सकती है। उन्होंने इस आदेश के तहत प्रक्रिया को तत्काल रोकने की बात कही थी। बावजूद इसके, भर्ती की प्रक्रिया रुकने की बजाय जारी रही। 

सीईओ बोले, एसीएस की सहमति से आगे बढ़ाई भर्ती प्रक्रिया

इस मामले में तत्कालीन राज्य आजीविका मिशन के सीईओ एलएम बेलवाल ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में उनकी कोई भूमिका नहीं थी, यह प्रक्रिया विभागीय मंत्री की मंजूरी के बाद ही प्रारंभ की गई थी। मेरिट लिस्ट बनने के बाद छानबीन समिति बनाई गई थी, जो चयनित उम्मीदवारों के डाक्यूमेंटस का वैरिफिकेशन करती थी। एसीएस की सहमति के बाद ही प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया था।  

5 पाइंट्स में समझें मामले को 

  1. भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी: राज्य आजीविका मिशन के तहत 2017-18 में 366 पदों पर भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। इसमें मेरिट लिस्ट में बदलाव किया गया और योग्य उम्मीदवारों को बाहर किया गया।
  2. मंत्री के आदेश के बावजूद भर्ती जारी रही: तत्कालीन मंत्री गोपाल भार्गव ने 8 नवंबर 2017 को भर्ती प्रक्रिया को रोकने का आदेश दिया था, लेकिन इसके बावजूद भर्ती जारी रखी गई और यह प्रक्रिया प्रशासनिक दबाव में पूरी की गई।
  3. टीप के आधार पर भर्ती शुरू: 4 अगस्त 2017 को मंत्री के पास एक फाइल गई, जिसमें उन्होंने "चर्चा करें" लिखा था। इसके बाद सीईओ एलएम बेलवाल ने भर्ती प्रक्रिया को शुरू करने के लिए एसीएस से सहमति का हवाला दिया।
  4. ईओडब्ल्यू जांच: अब ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) इस मामले की जांच कर रहा है और भर्ती में हुई गड़बड़ी के सभी दस्तावेजों और नोटशीट्स का अध्ययन कर रहा है।
  5. सीईओ का बचाव: सीईओ एलएम बेलवाल ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में उनकी कोई भूमिका नहीं थी और यह पूरी प्रक्रिया मंत्री की मंजूरी और एसीएस की सहमति से हुई थी।

भर्ती गड़बड़ी का क्या है पूरा मामला?

राज्य आजीविका मिशन (State Livelihood Mission), जिसे पहले राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के नाम से जाना जाता था, का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उन्हें स्व-रोजगार और आय सृजन के अवसर प्रदान करना है।

इस मिशन के अंतर्गत राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं को लागू किया जाता है, जिनमें खासतौर पर महिलाओं और ग्रामीण लोगों को सशक्त बनाने पर ध्यान दिया जाता है। इस मिशन से जुड़ा एक मामला सामने आया है, जिसमें भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगे हैं।

यह मामला 2017-18 में राज्य आजीविका मिशन के तहत 366 पदों पर हुई भर्ती से संबंधित है, जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि भर्ती प्रक्रिया में कई तरह की गड़बड़ियाँ की गईं। इसमें योग्य उम्मीदवारों को बाहर किया गया, मेरिट लिस्ट में बदलाव किया गया और पूरी प्रक्रिया को राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव के तहत आगे बढ़ाया गया। 

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ईओडब्ल्यू की जांच में उजागर हो रहे डाक्यूमेंट

इस पूरी भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी की जांच आर्थिक अपराध शाखा ईओडब्ल्यू द्वारा की जा रही है। इओडब्ल्यू अब उन सभी दस्तावेजों और नोटशीटस की जांच कर रहा है तो इस भर्ती प्रक्रिया से जुडे़ हुए है।

मंत्री, सीईओ और एसीएस से जुड़ा ताजा मामला भी इस जांच के दौरान ही उजागर हुआ है, जहां मंत्री की सहमति के बिना ही प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की बात सामने आई है।

इओडब्ल्यू इस बात की भी जांच कर रहा है कि क्या भर्ती में राजनीतिक या प्रशासनिक हस्तक्षेप किया गया। किस प्रकार मेरिट लिस्ट में बदलाव कर योग्य उम्मीदवारों को बाहर किया गया, मंत्री के आदेशों को कैसे नजर अंदाज कर भर्ती प्रक्रिया जारी रखी गई, जांच के मुख्य बिंदू है। 

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