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Photograph: (THESOOTR)
मध्यप्रदेश में इंदौर का नामी-गिरामी डेली कॉलेज इन दिनों सवालों और आरोपों के घेरे में है। एक तरफ ओल्ड डेलियंस (पूर्व छात्र) लगातार चुनाव कराने और वार्षिक आम बैठक (AGM) बुलाने की मांग कर रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ प्रबंधन उनकी आवाज को दरकिनार करके शाही पार्टियों और विदेशों में आयोजन करने में व्यस्त है। आरोप हैं कि कॉलेज की विकास योजनाओं और पारदर्शिता को दरकिनार कर प्रबंधन सिर्फ नेटवर्किंग पार्टी के नाम पर भारी-भरकम रकम उड़ाने में लगा है।
इंदौर डेली कॉलेज के पूर्व छात्रों का कहना है कि मैनेजमेंट AGM और EOGM (इमरजेंसी जनरल मीटिंग) बुलाने में जानबूझकर टालमटोल कर रहा है, ताकि जवाबदेही से बचा जा सके। वहीं, दूसरी तरफ देश-विदेश में ओल्ड डेलियंस को साधने के लिए मौज-मस्ती वाली पार्टियां कराई जा रही हैं।
वर्ष 2024 में 4 मई को जयपुर के जय महल पैलेस होटल और 5 मई को दिल्ली के ओबेराय होटल में लगातार दो दिन तक आलीशान आयोजन हुए। इतना ही नहीं, दुबई में भी प्रोग्राम कराए जा रहे हैं।
पूर्व छात्रों के आरोपों के मुताबिक, सिर्फ चालू वित्तीय वर्ष में ही करीब एक करोड़ रुपए का बजट इन आयोजनों के लिए तय किया गया है। इसमें से 50 लाख रुपए केवल सोशल प्रोग्राम्स और मिलन समारोहों पर खर्च किए जाने का प्रावधान है।
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यहां कॉकटेल डिनर...
- दुबई में लगभग 70 लोग
- दिल्ली में 275 लोग
- जयपुर में 70 लोग
मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं
ओल्ड डेलियंस एसोसिएशन का कहना है कि स्कूल के वास्तविक मुद्दों जैसे पारदर्शिता, चुनाव, सदस्यता अधिकार और विकास की दिशा पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के 9 मेंबर पूरे फैसले कर रहे हैं।
गौरतलब है कि ओल्ड डेलियन संदीप पारेख ने सितंबर 2024 में आवाज उठाई थी कि इंदौर के डेली कॉलेज में सालाना आमसभा (AGM) तक नहीं होती। उन्होंने कहा था कि यह सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1973 का सीधा उल्लंघन है। शिकायत पर कार्रवाई न होने पर मामला हाईकोर्ट पहुंचा।
29 नवंबर 2024 को हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार को 6 हफ्तों में मसला निपटाने का आदेश दिया। कई बार सुनवाई टलने के बाद 2 अप्रैल 2025 को पारेख और उनके वकील ने पक्ष रखा। रजिस्ट्रार ने अंततः माना कि कॉलेज का बोर्ड मनमानी कर रहा है और नियम बदलने का आदेश दिया।
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नए नियम: बड़ा झटका बोर्ड को
रजिस्ट्रार, फर्म्स और सोसायटीज इंदौर ने डेली कॉलेज सोसायटी को लोकतांत्रिक बनाने के लिए सख्त गाइडलाइन दी।
- सदस्यता: पूर्व छात्र, नए व पुराने दानदाता सभी सदस्य माने जाएंगे।
- AGM अनिवार्य: हर साल बैठक, सूचना 15 दिन पहले, कोरम 3/5।
- विशेष बैठक (EGM): 150 सदस्य मांग करें तो बुलाना होगा।
- बजट-ऑडिट: सभी सदस्यों के बीच वेबसाइट और ईमेल से पब्लिक होगी।
- नियम बदलना: विशेष बैठक में 2/3 बहुमत से गुप्त वोटिंग।
- सुप्रीम बॉडी का दावा खत्म: अब बोर्ड खुद को सर्वोच्च नहीं कह सकेगा।
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आदेशों की खुली धज्जियां
आरोप है कि इतने कड़े आदेश के बावजूद बोर्ड ने 9 सितंबर को हुई बैठक में नियम बदलने का एजेंडा ही शामिल नहीं किया। न ही बोर्ड मेंबर इलेक्शन कराना चाहते हैं।
सूत्रों के अनुसार, बोर्ड के सदस्य अब सरकार और संघ पृष्ठभूमि वाले प्रभावशाली लोगों से मिलकर अफसरों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि आदेश पलट सकें। इसे लेकर ओल्ड डेलियंस का कहना है कि बोर्ड समय पर चुनाव नहीं कराना चाहता।
मकसद साफ है कि सिर्फ 9 लोगों की बंद दुनिया में फैसले लिए जाएं, चाहे वह छात्रों और स्कूल के हित में हों या नहीं। जुलाई 2025 से ही पारदर्शी चुनाव की मांग की जा रही है, लेकिन कुछ नहीं हो रहा है। इन मुद्दों को लेकर ओल्ड ​डेलियंस का एक ग्रुप अब सीएम डॉ.मोहन यादव से मुलाकात करने वाला है।
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बाकी स्कूलों में पारदर्शिता, यहां मनमानी
दून स्कूल, मेयो कॉलेज और राजकुमार कॉलेज जैसे देश के बड़े स्कूलों में जनरल काउंसिल जैसी लोकतांत्रिक व्यवस्था है। वहां बोर्ड अकेले तानाशाही नहीं कर सकता, लेकिन डेली कॉलेज में बोर्ड अपनी मर्जी का संविधान थोपे बैठा है। नतीजा साफ है कि डेली कॉलेज की साख अब दांव पर है। सवाल यह है कि 4 हजार से ज्यादा सदस्यों की आवाज सुनी जाएगी या 9 लोगों की मनमानी ही हावी रहेगी?