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Photograph: (The Sootr)
BHOPAL. देश का भविष्य गढ़ने का जिम्मा संभालने वाला शिक्षा विभाग खुद कितनी गंभीरता से काम कर रहा है, इसका ताजा उदाहरण मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से सामने आया है।
यहां मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग के पोर्टल पर बैतूल सांसद दुर्गादास उइके को अब भी “वर्किंग टीचर” के रूप में दर्ज दिखाया जा रहा है, जबकि वे सात साल पहले शिक्षक पद से इस्तीफा देकर राजनीति में आ चुके हैं।
दो बार सांसद, फिर भी सिस्टम में ‘शिक्षक’
बैतूल-हरदा-हरसूद लोकसभा क्षेत्र से सांसद डीडी उइके, जो दो बार रिकॉर्ड मतों से जीतकर सांसद बने और वर्तमान में केंद्रीय राज्यमंत्री हैं। उन्हें आज भी बघोली हाईस्कूल का उच्च श्रेणी शिक्षक बताया जा रहा है।
यह खुलासा किसी जांच रिपोर्ट से नहीं, बल्कि शिक्षा विभाग के पोर्टल से हुआ है जिसने उनके जन्मदिन पर उन्हें ‘टीचर’ के रूप में बधाई संदेश भेज दिया।
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जन्मदिन पर उजागर हुई गड़बड़ी
29 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री डीडी उइके का 62वां जन्मदिन था। इस मौके पर सोशल मीडिया और राजनीतिक जगत से उन्हें बधाइयों की बाढ़ मिली। इसी दौरान जब शिक्षा पोर्टल पर उनका नाम खोजा गया तो वहां भी “शिक्षक दुर्गादास उइके (बघोली हाईस्कूल)” को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी जा रही थीं। इससे पता चला कि सात साल पहले दिया गया त्यागपत्र अब तक सिस्टम में अपडेट नहीं हुआ है।
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अफसरों में मची हलचल
मामला सामने आते ही शिक्षा विभाग के अधिकारी हरकत में आए और गलती सुधारने की बात कही। बघोली हाईस्कूल के वर्तमान प्राचार्य यादवराव पांसे ने स्वीकार किया कि यह पोर्टल की गलती है, जिसे जल्द ठीक किया जाएगा। हालांकि, इस घटना ने एक बार फिर विभाग की डिजिटल निगरानी और अपडेट सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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डिजिटल इंडिया पर सवाल
शिक्षा विभाग का यह मामला बताता है कि डिजिटल सिस्टम सिर्फ दिखावे तक सीमित नहीं रहना चाहिए। अगर सात साल बाद भी एक मंत्री को “वर्किंग टीचर” दिखाया जा रहा है, तो यह ई-गवर्नेंस की पारदर्शिता और दक्षता पर बड़ा सवाल है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी गलतियां डेटा प्रबंधन और सिस्टम अपडेट की गंभीर कमी को उजागर करती हैं।
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ग्राउंड लेवल पर सिस्टम में लापरवाही
एक ओर सरकार “स्मार्ट एजुकेशन और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन” की बात करती है, वहीं दूसरी ओर यह मामला बताता है कि ग्राउंड लेवल पर सिस्टम अब भी लापरवाही से चल रहा है।
डीडी उइके के “टीचर” वाले स्टेटस ने न केवल विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी दिखा दिया है कि तकनीकी अपडेट के बिना डिजिटल इंडिया अधूरा है।
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