धार इमामबाड़ा को लेकर हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए मुस्लिम समाज ने याचिका वापस ली

धार इमामबाड़ा मामले में मुस्लिम समाज ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका वापस ले ली। हाईकोर्ट और संभागायुक्त के आदेशों के बाद, इमामबाड़ा को वक्फ संपत्ति नहीं माना गया और पीडब्ल्यूडी की संपत्ति मानते हुए बेदखली का आदेश जारी किया गया।

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Sanjay Gupta
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Photograph: (THESOOTR)

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INDORE. धार के हटवाड़ा इमामबाड़े को लेकर संभागायुक्त इंदौर दीपक सिंह की कोर्ट ने एसडीएम धार के बेदखली आदेश पर मुहर लगाते हुए मंगलवार को विस्तृत आदेश जारी कर दिया था।

धार इमामबाड़ा वक्फ की संपत्ति नहीं मानी गई और पीडब्ल्यूडी की संपत्ति मानते हुए लोक परिसर से बेदखली का आदेश दिया गया। वहीं इस मामले को लेकर धार मुस्लिम समाज प्रेसीडेंट अब्दुल समद के जरिए सुप्रीम कोर्ट गया था लेकिन वहां भी कदम पीछे खींचने पड़े।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका ली वापस

धार मुस्लिम समाज द्वारा इस मामले में पीडब्ल्यूडी धार, सदर अनवर खान मुस्लिम ताजिया कमेटी धार, मोहम्मद सिद्दीक मुस्लिम ताजिया कमेटी धार,  कलेक्टर धार, एसडीओ धार और धार नगर पालिक को पार्टी बनाया था।

इसकी सुनवाई गुरूवार 22 अगस्त को जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच में लिस्ट हुआ। लेकिन इसमें याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली। इसलिए इसे खारिज किया जाता है। हालांकि सभी तर्क पक्षों के लिए खुले रहेंगे, जिसमें उनके संबंधित दावों के लिए प्रांसगिक तर्क पेश करना भी शामिल होगा। 

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इस केस के विरुद्ध लगाई थी याचिका

हाईकोर्ट में यह केस तीन बार गया है। सबसे पहले केस साल 2003 में हाईकोर्ट में गया था। इसके बाद जब पीडब्ल्यूडी ने बेदखली का नोटिस दिया तब याचिका 21410/25 लगी और इसमें हाईकोर्ट ने इसमें पहले मुस्लिम ताजिया कमेटी का पक्ष एसडीओ द्वारा सुनने के लिए कहा गया। फिर एसडीओ ने 14 जुलाई को बेदखली का आदेश दिया।

इस पर फिर मामला हाईकोर्ट में गया और यहां पर याचिका 28685/25 में 24 जुलाई को आदेश हुआ कि एसडीओ आदेश के खिलाफ संभागायुक्त कोर्ट में अपील के प्रावधान मौजूद है। इसके बाद एक पक्ष इसमें संभागायुक्त कोर्ट में गया और वहीं धार मुस्लिम समाज ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया। यहां अब 22 अगस्त को समाज ने याचिका वापस ले ली। उधर संभागायुक्त इस मामले में 19 अगस्त को विस्तृत आदेश जारी कर चुके हैं। 

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संभागायुक्त के पास इस तरह पहुंचा मामला

पीडब्ल्यूडी धार ने साल 2023 में ताजिया कमेटी को बेदखली आदेश दिया था। नोटिस में था कि यह पीडब्ल्यूडी की संपत्ति है और आप कब्जा करके बैठे हैं, इसे खाली किया जाए।

इस मामले को लेकर अपीलार्थी सिद्दीक पिता जब्बार मोहम्मदद और अशफाक पिता यासिन खान ने अपील की और हाईकोर्ट केस गया। यहां से पीडब्ल्यूडी के नोटिस को रद्द करते हुए एसडीएम धार को सुनवाई के आदेश दिए। इसके बाद धार एसडीएम ने सुनवाई कर मप्र लोक परिसर बेदखली एक्ट के तहत संपत्ति से बेदखल करने के 14 जुलाई को आदेश दे दिए।

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संभागायुक्त के पास कमेटी ने यह पक्ष रखा

संभागायुक्त ने इस मामले में सभी पक्षों को सुना। इसमें अपीलार्थियाों का कहना था कि यह संपत्ति 155 साल पुरानी है., यह उपासना स्थल है और यहां ताजिए बनते हैं। धार महाराज आनंद सिंह पंवार के समय यह जगह दी गई थी, ताकि ताजिए बनें। इसमें 1978 में जिला कोर्ट में भी केस हुआ था। वहीं नगर पालिक धार के रिकार्ड बताए कि वह संपत्तिकर भरते हैं और यह वक्फ संपत्ति लिखा है और अहस्तांतरणीय लिखा गया है। इसे उपासन स्थल भी बताया गया।

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शासन ने यह रखे मजबूत तर्क और रिकार्ड

इस पर शासन पक्ष की ओर से जवाब बताए गए कि 1978  धार कोर्ट में भी इसे वक्फ संपत्ति नहीं माना गया है। निगम के रजिस्टर में केवल टैक्स के लिए संपत्ति का ब्यौरा लिखा है लेकिन इसमें वक्फ संपत्ति शब्द की लिखावट अलग है और संदिग्ध है।

सभी तर्कों को सुनने के बाद संभागायुक्त दीपक सिंह ने आदेश में लिखा कि- साल 1947 में स्टेट टाइम में भी पीडब्ल्यूडी की संपत्ति लिखा है। दस्तावेज से यह भी आया कि यह संपत्ति केवल किराए पर कलेक्टर द्वारा 30 दिन के लिए ताजिए बनाने के लिए दी जाती रही।

यह किराया कमेटी ने फिर 1977 के बाद से नहीं दिया और ना ही मंजूरी ली। वक्फ संपत्ति  नहीं है यह हाईकोर्ट ने भी माना है। इसलिए एसडीएम धार के बेदखली के आदेश 14 जुलाई को बरकार रखा जाता है और अपील खारिज की जाती है।

सुप्रीम कोर्ट याचिका | वक्फ संपत्ति विवाद 

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