इंदौर विधानसभा के बाद अब महापौर चुनाव में भी वोट चोरी के आरोप, पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने की जांच की मांग

पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने इंदौर विधानसभा और महापौर चुनाव में वोट चोरी के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कांग्रेस के मृतक और फर्जी मतदाताओं के नाम जोड़ने की शिकायत की और चुनाव आयोग से जांच की मांग की।

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Sanjay Gupta
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INDORE.मध्यप्रदेशविधानसभा चुनाव में दो सीट देपालपुर और विधानसभा पांच में वोट चोरी के आरोप लगा चुके नेता प्रतिपक्ष विधानसभा उमंग सिंघार के बाद मामला तूल पकड़ रहा है।

इस मामले में अब पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा भी उतर गए हैं और उन्होंने इंदौर की विधानसभा चुनाव के साथ ही महापौर चुनाव में भी वोट चोरी के आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है। वर्मा के साथ प्रदेश प्रवक्ता अमित चौरसिया भी उपस्थित थे।

पूर्व मंत्री वर्मा ने यह लगाए आरोप

कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा ने कहा कि इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर व सागर नगर निगम चुनावों में भी कांग्रेस ने हजारों मृतकों व फर्जी नाम जोड़े जाने की शिकायतें दीं, लेकिन आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की। विधानसभा चुनाव 2023 में यही खेल बड़े पैमाने पर दोहराया गया। पूरे प्रदेश में प्रतिदिन औसतन 26 हजार वोटर नए जोड़े गए, जिनमें करीब 16 लाख नाम फर्जी पाए गए।

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वर्मा बोले- आयोग के बयान, कार्रवाई में अंतर

वर्मा ने कहा कि चुनाव आयोग लोकसभा प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी से हलफनामा मांगता है उनकी कथनी और करनी में ही अंतर है। आयोग बीजेपी का हथियार बनकर रह गया है।

इस मामले में कांग्रेस के पूर्व पार्षद दिलीप कौशल और रवि गुरनानी ने कोर्ट में दस्तावेज पेश खर कहा था कि इंदौर में 2,59,054 फर्जी वोटर के नाम मतदाता सूची मे थे। इसकी शिकायत चुनाव आयोग को भी की थी। इसे लेकर अब आयोग ने अधिवक्ता को पत्र भेजकर जांच की बात कही है।  

संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी आर.पी.एस. जादौन ने दावा किया कि मतदाता सूची में गड़बड़ी की कोई शिकायत नहीं मिली। जबकि सच्चाई यह है कि आयोग ने खुद कांग्रेस पार्षद दिलीप कौशल की शिकायत पर उनके अधिवक्ता को ईमेल भेजकर पत्रावलियों सहित बुलवाया है।

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इस तरह वोट चोरी के लगाए आरोप

पूर्व मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा ने  कहा कि जब एक ही शहर (इंदौर) में 2 लाख 59 हजार फर्जी वोट पाए गए, तो पूरे राज्य में कितने करोड़ों फर्जी वोट सूचीबद्ध होंगे।

केंद्र सरकार की One Nation One Ration Card योजना के अंतर्गत इंदौर जिले के तत्कालीन कलेक्टर  मनीष सिंह द्वारा 31 जुलाई 2020 को कराई गई जांच  में 13,502 परिवार गैर-निवासरत पाए गए। कांग्रेस की निजी जांच में आया था कि अधिकांश परिवारों के नाम मतदाता सूची में मौजूद थे। इसे लेकर आयोग में शिकायत भी कराई। साथ ही हाईकोर्ट भी गए। 

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हाईकोर्ट में यह दी गई थी जानकारी

वर्मा ने कहा कि हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर इंदौर के तत्कालीन अपर कलेक्टर अभय बेडेकर ने शपथपत्र पर दिनांक 24 फरवरी 2021 को जवाब दाखिल किया। इसमें था कि इंदौर की मतदाता सूची से 2,10,576 गैर-निवासरत मतदाता और 48,478 डुप्लीकेट नाम हटाए गए। कुल हटाए गए नाम  2,59,054 थे।

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नाम हटाने के बाद भी कैसे बढ़े मतदाता

पूर्व मंत्री ने यह भी कहा कि मतदाता सूचियों में गड़बड़ी का एक और उदाहरण है कि साल 2022 की मतदाता सूची के प्रारूप मे 17.25 लाख थे जिसमे फर्जी मतदाताओं के नाम पर आपत्ति के बाद भी अंतिम मतदाता सूची में वोटर्स की संख्या बढ़कर 18 लाख 35 हजार हो गई।

साल 2023 की मतदाता सूची की समीक्षा के दौरान आयोग ने फिर 1,36,552 नाम हटाए जाने की रिपोर्ट पेश की। यानी हर वर्ष बार-बार लाखों नाम हटाए जा रहे हैं, फिर भी अंतिम सूची में वोटर्स  की संख्या रहस्यमय तरीके से बढ़ रही है।

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