DHL इंफ्राबुल्स इंटरनेशनल और पंजीयन की मिलीभगत, रेरा ने रोक लगाई फिर भी रजिस्ट्री जारी

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में 300 करोड़ की जमीन की धोखाधड़ी के मामले में डीएचएल इंफ्राबुल्स इंटरनेशनल कंपनी का एक और मामला सामने आया है। यहां पीड़ितों की शिकायत पर रेरा की रोक के बाद भी कंपनी और पंजीयन विभाग की मिलीभगत से रजिस्ट्री जारी है। 

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Vikram Jain
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DHL Infrabulls International Land Fraud Real Estate Regulatory Authority Land Scam
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संजय गुप्ता, INDORE. बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ फोटो खिंचाकर 300 करोड़ की जमीन की धोखाधड़ी (300 crore land fraud) की जांच रूकवाने वाले डीएचएल इंफ्राबुल्स इंटरनेशनल कंपनी (DHL Infrabulls International Company) का एक और मामला सामने आया है। रेरा ने इस कंपनी के कुछ प्रोजेक्ट में पीड़ितों की शिकायत पर रजिस्ट्री करने पर रोक लगाई, लेकिन इसके बाद भी कंपनी और पंजीयन विभाग की मिलीभगत के चलते अधिकारियों की नाक के नीचे लगातार रजिस्ट्री जारी है। इसके कर्ताधर्ता संतोष सिंह, संजीव उर्फ बंटी जायसवाल व अन्य है, जो बीजेपी नेताओं के साथ अपनी फोटो का प्रचार कर अधिकारियों पर दबाव बनाकर कार्रवाई रूकवाने में लगे हैं।

रेरा ने माना केवल 14 फीसदी काम किया

रेरा (RERA यानि Real Estate Regulatory Authority MP रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी ) ने कंपनी के खिलाफ आई शिकायतों पर अलग-अलग आदेश जारी किए हैं। फरवरी 2023 में कंपनी के इंदौर के टेक्नोसिटी -टू प्रोजेक्ट को लेकर ग्राहक की शिकायत पर रेरा ने आदेश दिया। इसमें कहा गया कि परियोजना की समय सीमा ही खत्म हो चुकी है और टाउनशिप का काम पूरा नहीं हुआ। परियोजना की प्रगति मात्र 14 फीसदी है और समय सीमा में इसे पूरा नहीं किया गया है।

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ग्राहकों से 6.15 करोड़ लिए, काम 29 लाख का किया

रेरा ने अपने आदेश में यहां तक लिखा है कि कंपनी ने इस प्रोजेक्ट में निवेशकों से 6.15 करोड़ की राशि प्लाट बुकिंग में ली है, लेकिन यहां पर विकास काम में मात्र 23 लाख दस हजार रुपए ही खर्च किए हैं। कंपनी ने परियोजना लागत से कई गुना ज्यादा राशि ग्राहकों से ली है। कंपनी ने सीए का ऑडिट प्रमाणपत्र नहीं दिया और ना ही बैंक में आ रही प्रोजेक्ट राशि का कोई हिसाब रखा है।

परियोजना अपंजीकृत में, रजिस्ट्री पर रोक लेकिन रजिस्ट्री जारी

रेरा ने अपने आदेश में टेक्नोसिटी टू को अपंजीकृत घोषित कर दिया है। साथ ही रोक लगाते हुए कहा कि अब अपंजीकृत होने के चलते यहां पर कोई खरीदी-बिक्री नहीं हो सकती है। इसका किसी भी तरह विज्ञापन, मार्केटिंग नहीं हो सकती है। इस प्रोजेक्ट की कोई भी राशि विड्रा करने तक रेरा ने रोक लगा। इसके बाद भी इसकी लगातार रजिस्ट्री जारी है। द सूत्र के पास यहां की नंवबर 2023 में हुई रजिस्ट्री के दस्तावेज भी मौजूद है।

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EOW में भी लंबित पड़ी है शिकायतें

DHL इंफ्राबुल्स इंटरनेशनल कंपनी और इसके मुख्य कर्ताधर्ता संतोष सिंह और संजीव जायसवाल का पूरा 300 करोड़ से ज्यादा घोटाला का है। इसके खिलाफ EOW में शिकायत लंबित है। कई ग्राहक बयान भी दे चुके हैं। डीएचएल प्रोजेक्ट (DHL Project) में कई आला अधिकारियों जिसमें प्रशासनिक व पुलिस व अन्य विभाग के अधिकारी शामिल है, इनका पैसा लगा हुआ है। डीएचएल की इंदौर के साथ ही भोपाल, सीहोर, धार, कई जगह पर प्रोजेक्ट है। अधिकांश प्रोजेक्ट केवल दिखावे के लिए लांच किए गए। इसमें सस्ती जमीन खरीदी गई और फिर इसमें प्लॉट काटकर लोगों से बुकिंग राशि ली गई। दो महीने में प्लॉट धारकों से 50 फीसदी राशि ले ली गई। इसमें भी अधिकांश राशि ब्लैक में ली गई और इसकी रसीद दी गई। यह प्रोजेक्ट मुख्य तौर पर 2013 और इसके बाद लांच हुए, लेकिन इसमें विकास ही नहीं किया गया और प्लॉटधारकों की पूरी राशि भर गई। जिसकी आज के समय में कीमत 300 करोड़ रुपए से ज्यादा है।

यह है इनके प्रोजेक्ट

इन कंपनी ने विदिशा रोड पर भोपाल में अक्स लैंडमार्कष सीहोर जिले में मिलेनियम लैंडमार्क व ताज द क्राउन नाम से प्रोजेक्ट लांच किए। इंदौर में गोल्ड सिटी फेस वन, टू, मिलेनियम फेस वन व टू, गोल्ड डस्क फेस वन, व टू, गेलेंट्री लैंडमार्क, इलार्डड लैंडमार्क फेस वन व फेस टू, टेक्नो, चौबीस केरेट रिजेसी, आईकॉन लेंडमार्क, देवास जिले में इम्पीरियल लैंडमार्क, धार जिले में हाईटेक सिटी और रायपुर में सिंगापुर सिटी नाम से प्रोजेक्ट लांच किए।

शिकायतकर्ता बोले- भाग जाएंगे यह रुपए लेकर

शिकायतकर्ताओं ने कहा कि ईओडब्लू डीजीपी ने माना था कि यह मामला गंभीर है, लेकिन इसमें अभी कुछ भी ठोस नहीं हुआ। यह घोटाला 300 से 400 करोड़ रुपए का है और इसमें कोई बड़ी बात नहीं कि झांसेबाज देश छोड़कर निकल जाएं और फिर लकीर पीटते रहेंगे कि वह तो भाग गए। इसमें कई प्लाटधारकों का पैसा फंसा हुआ है और दस साल से ज्यादा समय हो गया है और किसी को कुछ नहीं मिला ना प्लाट मिला और ना ही यह लोग उनकी राशि लौटा रहे हैं।

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कौन है संतोष सिंह और संजीव जायसवाल ?

संतोष सिंह इस कंपनी के चेयरमैन और संजीव उर्फ बंटी जायसवाल वाइस चेयरमैन, अनिरूद्ध देव भी है। इनके खिलाफ ईओडब्ल्यू, रेरा, पुलिस कई जगह शिकायत हो चुकी है। लोगों ने बताया कि सपने दिखाकर निवेश कराया और फिर कुछ नहीं किया गया। ब्रोशर में बताया स्वीमिंग पुल होगा, जापानी गार्डन बनाएंगे लेकिन कुछ नहीं हुआ। संतोष के संबंध नागपुर के बड़े जमीन खिलाड़ी जो इंदौर पुलिस से गिरफ्तार भी हो चुका है, सुरेश दोईफोड़े से भी जुडा है। संतोष और बंटी की कंपनी डीएचएल भी नागपुर की ही है।

राजनीतिक पहुंच दिखा रूकवा रखी है कार्रवाई

संतोष, बंटी और अनिरूद्ध तीनों बड़े खिलाड़ी है। यह इतने शातिर है कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से लेकर तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह, बीजेपी के अभी मप्र प्रभारी महेंद्र सिंह तक के साथ इनकी फोटो है। यह इन फोटों के दम पर अपना राजनीतिक रसूख दिखाकर दबाव बनाते हैं कि इनके संबंध ऊपर तक है और कोई इनका कुछ नहीं कर सकता है। बीच में महेंद्र सिंह इंदौर आए थे, तब एयरपोर्ट पर संतोष सिंह मौजूद था। वह इन्हीं राजनीतिक संबंधों, फोटो का फायदा उठाकर कार्रवाई को रूकवाता है।

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