सर्टिफिकेट की जांच के आदेश से तनाव में दिव्यांग असिस्टेंट प्रोफेसर

मध्य प्रदेश। फर्जी निशक्तता सर्टिफिकेट के जरिए असिस्टेंट प्रोफेसर बनने वालों की उलझन बढ़ सकती है। उच्च शिक्षा संचालनालय ने ऐसे 123 नाम की सूची कॉलेजों को भेजी है।

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Sanjay Sharma
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assistant professor Photograph: (The Sootr)

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BHOPAL. फर्जी निशक्तता सर्टिफिकेट के जरिए असिस्टेंट प्रोफेसर बनने वालों की उलझन बढ़ सकती है। उच्च शिक्षा संचालनालय ने ऐसे 123 दिव्यांग असिस्टेंट प्रोफेसरों की सूची भी प्रदेश के सरकारी कॉलेजों को भेजी है।

कॉलेज प्राचार्यों को असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा 2017 में चयनितों के सर्टिफिकेट की दोबारा जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं। यानी इन 123 असिस्टेंट प्रोफेसरों को अब पदस्थापना जिले के मेडिकल बोर्ड के सामने पेश होना पड़ेगा। जहां उनका शारीरिक परीक्षण कर उनके द्वारा जमा किए गए सर्टिफिकेट का सत्यापन किया जाएगा।

इस जांच प्रक्रिया में फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर नौकरी हासिल करने वाले मुश्किल में पड़ सकते हैं। कॉलेजों से यह जांच रिपोर्ट 15 जुलाई तक तलब की गई है। 

चर्चा में रहा था फर्जी सर्टिफिकेट केस 

मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग यानी MPPSC द्वारा साल 2017 में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा कराई गई थी। परीक्षा का परिणाम भी लंबे समय तक अटका रहा था। बाद में परिणाम घोषित होने पर कई अभ्यर्थियों के निशक्तता सर्टिफिकेट पर भी सवाल उठे थे।

इनके आधार पर असिस्टेंट बनने वालों के विरुद्ध लगातार शिकायतें उच्च शिक्षा विभाग और राज्य शासन के पास पहुंचती रही। कुछ जिलों में मेडिकल बोर्ड से इन अभ्यर्थियों की जांच कराई गई लेकिन इसमें भी लेनदेन और पक्षपात की शिकायतें आई थीं।  

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संचालनालय के आदेश से मची खलबली

असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा 2017 के सफल दिव्यांग अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट की फिर से जांच के आदेश दिए गए हैं। उच्च शिक्षा आयुक्त निशांत वरवड़े का आदेश 4 जुलाई को सरकारी कॉलेजों में पहुंचने से खलबली मच गई है।

इस आदेश के साथ 123 असिस्टेंट प्रोफेसरों की सूची भी भेजी गई है जिन्हें निशक्तता सर्टिफिकेट के आधार पर ही सरकारी नौकरी  मिली है। उच्च शिक्षा आयुक्त ने सभी प्राचार्यों को इनके द्वारा जमा कराए गए सर्टिफिकेट की जांच मेडिकल बोर्ड से कराने के निर्देश दिए हैं। 

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जांच के लिए फिर होगा हेल्थ चेकअप

उच्च शिक्षा आयुक्त कार्यालय से भेजी गई सूची के आधार पर निशक्तता सर्टिफिकेट की जांच पदस्थापना जिले में होगी। यहीं मेडिकल बोर्ड शारीरिक परीक्षण कर पुराने सर्टिफकेट का सत्यापन करेगा।

पदस्थापना से पूर्व गृह जिलों से फर्जी निशक्तता सर्टिफिकेट बनवाकर असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी हासिल करने वालों की चाेरी पकड‍़े जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। वहीं पूर्व में आरोपों से घिरे से कई असिस्टेंट प्रोफेसरों में भी हड़बड़ी नजर आ रही है।

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