एक डॉक्टर के र्दुघटना में घायल होने के बाद वह कोमा में चले गया था। परिजनों ने इसके बाद कोर्ट में केस लगाया तो बीमा कंपनी ने पहले क्लेम देने से इनकार कर दिया। बाद में जब कोर्ट ने सख्ती दिखाई तो बीमा कंपनी को ना केवल क्लेम देना पड़ा, बल्कि ब्याज सहित कुल 95 लाख रुपए का भुगतान करना ही होगा।
परिजनों ने तो कम मांगा था क्लेम
बताया गया कि एक्सीडेंट के बाद डॉक्टर के कोमा में जाने पर परिवार ने 75.50 लाख रुपए का क्लेम मांगा, लेकिन बीमा कंपनी ने इस क्लेम को खारिज कर दिया। मामले में अब मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने बीमा कंपनी को 81.95 लाख रुपए चुकाने का आदेश दिया। इस राशि पर 6 फीसदी ब्याज भी दावा लगाने की तारीख से देना होगा। 3 साल पहले लगे दावे के हिसाब से ये राशि 95 लाख होगी। यानी अब बीमा कंपनी को 95 लाख रुपए की राशि चुकानी होगी।
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यह है पूरा मामला
मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के सोहनलाल गोले ने कोमा में गए डॉक्टर बेटे के इलाज के लिए याचिका लगाई। 4 साल पहले डॉ. हरीश गोले (45) सड़क हादसे का शिकार हुए। वे 90 फीसदी कोमा में थे। मेडिकल रिपोर्ट व डॉक्टर के बयान पर ट्रिब्यूनल ने माना कि वे 100 फीसदी कोमा में हैं।
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बाइक से जा रहे थे तभी हुआ हादसा
होम्योपैथी के डॉ. हरीश के साथ 2 मार्च 2021 को हादसा हुआ। वे बाइक से क्लीनिक जा रहे थे। तभी बाइक सवार दिनेश तरोले ने उनकी गाड़ी को टक्कर मारी। डॉ. हरीश के सिर व रीढ़ में गंभीर चोट आई। दो बड़ी सर्जरी के बाद भी वे होश में नहीं आ सके। 2022 में परिवार ने गाड़ी मालिक व न्यू इंडिया इंश्योरेंस के खिलाफ क्लेम याचिका दायर की थी।
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दो साल तक चली मामले में सुनवाई
याचिका पर ट्रिब्यूनल में दो साल तक सुनवाई चली। डॉ. हरीश को कोमा में 3 बार स्ट्रेचर पर कोर्ट लाया गया। ट्रिब्यूनल ने प्रत्यक्ष जांच कर स्थिति देखी। 4 साल में सुधार नहीं हुआ, इसलिए परिवार ने नि:शक्तता प्रमाण-पत्र पेश किया। कोर्ट ने मेडिकल जांच के आधार पर हरीश की मानसिक स्थिति को स्थायी विकलांगता माना
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