दवाओं पर बारकोड सिस्टम लागू करने वाला मध्यप्रदेश बना पहला राज्य

मध्यप्रदेश ने सरकारी दवाओं की सप्लाई चेन में सुधार के लिए बारकोड सिस्टम लागू किया है। इससे दवाओं की ट्रैकिंग सरल होगी, और हर दवा की पूरी जानकारी एक क्लिक में मिलेगी।

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Amresh Kushwaha
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Bhopal. मध्यप्रदेश सरकार ने एक अहम कदम उठाया है, जहां सरकारी दवाओं पर ट्रैकिंग और ट्रेसिंग सिस्टम लागू किया गया है। ऐसा करने वाला यह भारत का पहला राज्य बन गया है। इस व्यवस्था से अब राज्य के सरकारी अस्पतालों में सप्लाई होने वाली करीब 1200 प्रकार की दवाओं पर बारकोड अनिवार्य किया गया है। इस निर्णय के साथ ही दवाओं की पूरी सप्लाई चेन पर नजर रखना और उन्हें ट्रैक करना आसान हो जाएगा।

बारकोड सिस्टम से होगी ट्रैकिंग में सहूलत

अब हर दवा के बैच नंबर, सप्लाई की तारीख, किस अस्पताल में दवा भेजी गई, कितना स्टॉक मौजूद है, और कितनी दवा वितरित हुई, यह सारी जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध हो सकेगी। इस व्यवस्था से दवा की एक्सपायरी डेट नजदीक आने पर उसे समय पर दूसरे केंद्रों पर भेजने का काम भी आसानी से हो पाएगा।

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मरीजों के डेटा से दवा ट्रैकिंग

अगले चरण में यह व्यवस्था और भी प्रभावी होगी, जब बारकोड से यह ट्रैक किया जाएगा कि कौन सी दवा किस मरीज को दी गई। यह कदम छिंदवाड़ा सिरप कांड के बाद उठाया गया है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। मरीजों के मोबाइल नंबर और पते के आधार पर दवा की जानकारी रिकॉर्ड की जाएगी। इससे यह पता लगाना आसान होगा कि किसे, कब और कहां दवा दी गई।

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दवाओं पर बारकोड सिस्टम वाली खबर को एक नजर में समझें...

  • मध्यप्रदेश ने दवाओं पर बारकोड सिस्टम लागू किया, जिससे सरकारी अस्पतालों में सप्लाई होने वाली करीब 1200 दवाओं की ट्रैकिंग और ट्रेसिंग आसान हो गई है।

  • बारकोड सिस्टम के माध्यम से दवाओं के बैच नंबर, सप्लाई तारीख, अस्पताल में स्टॉक, और वितरण की जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध हो सकेगी।

  • अगले चरण में दवाओं की ट्रैकिंग मरीजों के डेटा से की जाएगी, ताकि यह पता चल सके कि किस मरीज को कब और कौन सी दवा दी गई।

  • इस व्यवस्था पर कोई अतिरिक्त खर्च नहीं होगा, क्योंकि दवा कंपनियां स्वयं कोडिंग का कार्य करेंगी।

  • केंद्र सरकार भी इस दिशा में कदम बढ़ा रही है, और नया कानून लाकर नकली दवाओं पर कार्रवाई की तैयारी कर रही है।

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कोई अतिरिक्त खर्च नहीं

मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेस कॉरपोरेशन लिमिटेड के एमडी मयंक अग्रवाल के अनुसार, इस व्यवस्था पर कोई अतिरिक्त खर्च नहीं होगा, क्योंकि दवा कंपनियां स्वयं कोडिंग का कार्य करेंगी। राज्य सरकार हर साल करीब 600 करोड़ रुपए में 1200 प्रकार की दवाएं खरीदती है, और यह प्रणाली इन दवाओं की ट्रैकिंग को और आसान बना देगी।

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केंद्र सरकार की तैयारियां

केंद्र सरकार भी इस दिशा में कदम बढ़ा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय नया कानून लाने की तैयारी में है। इससे सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) को नकली दवाओं पर सीधे कार्रवाई का अधिकार मिलेगा। इसके तहत हर दवा पैक पर डिजिटल क्यूआर ट्रैकिंग को अनिवार्य किया जाएगा।

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