मध्य प्रदेश सहित 13 राज्यों में नकली टोल से 120 करोड़ की धोखाधड़ी

एनएचएआई के सॉफ्टवेयर जैसे डुप्लीकेट सॉफ्टवेयर से 13 राज्यों में करोड़ों की टोल टैक्स चोरी हुई। यह एमपी समेत देश के 13 राज्यों से चोरी की गई है। यूपी STF ने मास्टरमाइंड सहित 4 लोगों को गिरफ्तार किया।

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Sandeep Kumar
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हाल ही में एक बड़ी धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है, जिसमें बिना फास्ट टैग वाली गाड़ियों से करोड़ों का टोल टैक्स चोरी किया गया। एनएचएआई (NHAI) के सॉफ्टवेयर के जैसे एक डुप्लीकेट सॉफ्टवेयर को 13 राज्यों में करीब 200 टोल प्लाजा के कंप्यूटर में इंस्टॉल किया गया था। इस सॉफ्टवेयर के जरिए निजी कंपनियों और ठेकेदारों ने बिना एनएचएआई को हिस्सा दिए टोल वसूला। यूपी एसटीएफ (UP STF) ने मास्टरमाइंड आलोक सिंह समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया है, और जांच जारी है।

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डुप्लीकेट सॉफ्टवेयर की पहचान और जाल

NHAI के सॉफ्टवेयर जैसा एक डुप्लीकेट सॉफ्टवेयर 13 राज्यों के लगभग 200 टोल प्लाजा पर इंस्टॉल किया गया था, जिससे बिना फास्ट टैग वाली गाड़ियों से लाखों रुपए की टोल टैक्स चोरी हो रही थी।

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मास्टरमाइंड आलोक सिंह का करियर

आलोक सिंह एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, जो पहले एनएचएआई के लिए सॉफ्टवेयर बनाता और इंस्टॉल करता था। बाद में, उसने धोखाधड़ी शुरू कर दी और ठेकेदारों के साथ मिलकर टोल वसूली में गड़बड़ी की।

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कब और कैसे हुआ घोटाला

यह घोटाला पिछले दो साल से चल रहा था। आलोक और उसके साथियों ने कई टोल प्लाजा पर नकली सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किए थे, जिसके माध्यम से एनएचएआई को बिना हिस्से के पूरी टोल राशि हड़प ली गई थी।अब तक करीब 120 करोड़ रुपए का घोटाला हो चुका है।

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एनएचएआई और निजी कंपनियों का हिस्सा

सामान्य रूप से टोल वसूली से प्राप्त राशि का 50% एनएचएआई और 50% निजी कंपनी या ठेकेदार को मिलता है। लेकिन इस धोखाधड़ी में एनएचएआई को कोई हिस्सा नहीं मिला, जबकि सभी पैसे ठेकेदारों और सॉफ्टवेयर बनाने वाले को मिल गए।

FAQ

यह टोल टैक्स धोखाधड़ी कैसे हुई?
धोखाधड़ी एक डुप्लीकेट सॉफ़्टवेयर के माध्यम से हुई, जो एनएचएआई के सॉफ़्टवेयर के समान था और इसे 13 राज्यों के लगभग 200 टोल प्लाजा पर इंस्टॉल किया गया था।
मास्टरमाइंड आलोक सिंह का क्या रोल था?
मास्टरमाइंड आलोक सिंह एक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर था, जो पहले एनएचएआई के लिए सॉफ़्टवेयर बनाता था। बाद में उसने अपने धोखाधड़ी के नेटवर्क को स्थापित किया।
यह घोटाला कब से चल रहा था?
यह घोटाला पिछले दो वर्षों से चल रहा था, जिसमें कई टोल प्लाजा पर नकली सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल किए गए थे।
एनएचएआई और निजी कंपनियों की आमदनी कैसे प्रभावित हुई?
सामान्यत: टोल वसूली से प्राप्त राशि का 50% एनएचएआई को और 50% निजी कंपनियों या ठेकेदारों को मिलता है। इस धोखाधड़ी में, एनएचएआई को कोई हिस्सा नहीं मिला।
यूपी एसटीएफ ने क्या कदम उठाए हैं?
यूपी एसटीएफ ने इस मामले में मास्टरमाइंड आलोक सिंह समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया है।

 

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