दुर्गा पंडालों के विरोध का मामला हाईकोर्ट पहुंचा, कोर्ट की टिप्पणी से भौंचक रह गए याचिकाकर्ता

ग्वारीघाट में एक दुर्गा पंडाल को अवैध बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। याचिका में पूरे शहर के पंडालों के खिलाफ जनहित याचिका भी शामिल थी। कोर्ट ने त्वरित राहत देने से इंकार किया और कहा कि धार्मिक आयोजनों पर इस तरह का विरोध स्वीकार्य नहीं है।

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Neel Tiwari
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JABALPUR. नवरात्रि उत्सव के बीच ग्वारीघाट क्षेत्र स्थित एक दुर्गा पंडाल को अवैध बताते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दायर याचिका ने बड़ा मोड़ ले लिया। सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि याचिकाकर्ता ने केवल ग्वारीघाट ही नहीं बल्कि पूरे शहर में लगे दुर्गा उत्सव पंडालों के खिलाफ भी एक जनहित याचिका दायर की है। कोर्ट ने हालांकि इस मामले में कोई त्वरित राहत देने से साफ इनकार किया और स्पष्ट कर दिया कि केवल कुछ दिनों के लिए आयोजित किए जाने वाले धार्मिक आयोजनों पर इस तरह का विरोध स्वीकार्य नहीं है।

रेलवे की जमीन पर अनुमति लेकर लगाया गया पंडाल

मामला ग्वारीघाट ब्रह्मश्री कॉलोनी के बाहर सामाजिक महाकाली उत्सव समिति के पंडाल का है, जहां हर साल की तरह इस बार भी मां काली की प्रतिमा स्थापित की गई है। याचिकाकर्ता, जोकि रिटायर्ड शासकीय कर्मचारी चमन लाल दोहरे हैं, ने इसे अवैध अतिक्रमण बताते हुए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया। 

सुनवाई में वेस्टर्न सेंट्रल रेलवे की ओर से अधिवक्ता ने साफ कहा कि समिति ने रेलवे से बाकायदा अनुमति ली है और यह परमिशन 8 अक्टूबर तक मान्य है। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि नगर निगम से अनुमति लेना भी आवश्यक है, लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि रेलवे की अनुमति के बाद पंडाल अतिक्रमण की श्रेणी में नहीं आता।

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कोर्ट की सख्त टिप्पणी 

सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि इस आयोजन से उन्हें परेशानी हो रही है, तो कोर्ट ने कड़े शब्दों में फटकार लगाई। डिविजन बेंच के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता का रवैया ऐसा लग रहा है मानो वह सभी धर्मों का विरोध करता हो। कोर्ट ने कहा कि धार्मिक आयोजनों पर इस तरह से रोक लगाने की मंशा सही नहीं है और इस पर कोई तात्कालिक राहत नहीं दी जा सकती।

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उत्सव खत्म होने के बाद की तारीख

याचिकाकर्ता की ओर से बार-बार निवेदन किया गया कि सुनवाई को अर्जेंट रखा जाए, लेकिन हाईकोर्ट ने सख्त अंदाज में कहा कि आपकी याचिका "हेवी कास्ट" के साथ खारिज की जा सकती है।

कोर्ट ने विकल्प देते हुए कहा कि या तो अगली तारीख का इंतजार करें या फिर याचिका खारिज करवा लें। जब याचिकाकर्ता ने कहा कि अगली सुनवाई तक तो दुर्गा उत्सव ही समाप्त हो जाएगा और मामला निरर्थक हो जाएगा, तो कोर्ट ने कहा– हमें यह मालूम है। इसके साथ ही मामला 10 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया गया।

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दुर्गोत्सव के खिलाफ याचिका नहीं हुई लिस्ट

ग्वारीघाट पंडाल को लेकर दायर याचिका के साथ-साथ याचिकाकर्ता की वह जनहित याचिका भी चर्चा में आई जो पूरे जबलपुर शहर के दुर्गा उत्सव पंडालों के खिलाफ दायर की गई है। हालांकि यह याचिका अभी तक लिस्ट ही नहीं हुई है। इसका सीधा मतलब यह है कि जबलपुर शहर में इस साल होने वाले दुर्गा उत्सव के आयोजनों पर किसी भी तरह की रोक-टोक या बाधा नहीं आएगी।

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