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Photograph: (THESOOTR)
INDORE. इंदौर के इंदौर प्रीमियर को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड की आयकर विभाग ने जांच शुरू कर दी है। मामला सोसायटी के खातों में जमा 132 करोड़ की राशि का है, जिसकी विभाग को जानकारी नहीं दी गई थी। यह राशि 60 से ज्यादा सोसायटी की होना बताई जा रही है।
स्पाट वेरिफिकेशन हो रहा है
आयकर अधिनियम के प्रावधानों के तहत इस राशि को लेकर विभाग को सूचित किया जाना आवश्यक था। ऐसा नहीं होने पर अब आयकर विभाग की ओर से 24 सितंबर से बैंक के मुख्य कार्यालय में जाकर स्पॉट वेरिफिकेशन किया गया जो दो दिन तक चला। इस दो दिन की जांच में सामने आया कि बैंक ने वित्तीय साल 2021-22 से 2024-25 तक की अवधि में 60 से अधिक खातों की जानकारी विभाग को नहीं दी थी।
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आयकर विभाग जांच में यह भी आया
जांच में सोसायटी के कई खातों के साथ व्यक्तिगत खातों को भी देखा गया। इसमें आया कि कई व्यक्तिगत चालू खातों में 50 लाख से भी अधिक नकदी जमा है, जिसकी जानकारी नहीं दी गई। साथ ही कई बचत खातों में 10 लाख से अधिक की राशि है। साथ ही 10 लाख से अधिक राशि के एफडी भी मौजूद है, जिनकी जानकारी नहीं दी गई है।
इन सभी लेन-देन को मिलाकर कुल राशि लगभग 132 करोड़ रुपए होती है, जिसकी जानकारी SFT फाइलिंग (स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंस ट्रांजेक्शन फाइलिंग) के माध्यम से आयकर विभाग देना थी जो नहीं गई।
आयकर अधिनियम की धारा 285 BA के अनुसार को-ऑपरेटिव बैंक्स को भी वित्त वर्ष के दौरान चालू खाते में 50 लाख से ज्यादा एवं बचत खाते में 10 लाख रुपए से अधिक नकद जमा करने एवं 10 लाख से अधिक के फिक्स डिपाजिट बनाने वाले खातों की जानकारी देने की आयकर विभाग को सही-सही एवं पूर्ण जानकारी देने की बाध्यता है।
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अपनी प्रोसेस को ठीक करने का वादा
बैंक प्रबंधन ने अब इस मामले में आयकर अधिकारियों को कहा है कि वह प्रक्रिया में सुधार करेंगे। वह SFT फाइलिंग प्रक्रिया में हुई गलतियों को सुधारने के लिए कदम उठाएगा। यह स्पॉट वेरिफिकेशन की कार्यवाही आयकर निदेशक डॉ. सुधाकर एन. शिंदे के निर्देशन में हुई।