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नवरात्रि में उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया ने गरबा पंडालों में सुरक्षा बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने दूसरे धर्मों के लोगों के प्रवेश पर रोक लगाने की बात की है। इस नवरात्रि में गरबा आयोजकों ने हिंदू युवतियों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए हैं। प्रवेश के लिए आधार कार्ड, कलावा और टीका चेक किए जाएंगे।
क्या बोले उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया
उज्जैन के सांसद अनिल फिरोजिया ने गरबा पंडालों में सुरक्षा बढ़ाने और दूसरे धर्मों के लोगों के प्रवेश को रोकने के लिए बड़ा बयान दिया। उनका कहना था कि गरबा पंडालों में अब प्रवेश केवल उन्हीं लोगों को मिलेगा, जिनके पास आधार कार्ड, कलावा और टीका होगा। उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नवरात्रि के दौरान धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शांति बनी रहे।
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गरबा पंडालों में सुरक्षा उपाय
नवरात्रि के दौरान गरबा पंडालों में सुरक्षा को लेकर कई कदम उठाए गए हैं। पुलिस ने पहले से ही सतर्कता बढ़ा दी है, और पंडालों के आयोजक भी विशेष रूप से सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं।
आधार कार्ड चेकिंग: हर व्यक्ति को पंडाल में प्रवेश से पहले आधार कार्ड दिखाना अनिवार्य किया जाएगा।
टीका और कलावा चेकिंग: गरबा पंडालों में प्रवेश से पहले कलावा और टीका चेक किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रवेश करने वाला व्यक्ति हिंदू है।
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गरबा से पहले ट्रेनिंग
इस बार नवरात्रि में गरबा आयोजकों ने एक नई पहल शुरू की है, जिसके तहत युवतियों को गरबा खेलने की ट्रेनिंग दी जा रही है। साथ ही तलवार चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। आयोजकों का कहना है कि हाल के समय में कई मामले सामने आए हैं, जिसमें मुस्लिम युवक हिंदू युवतियों को लव जिहाद के तहत फंसा रहे हैं। यही कारण है कि इस बार गरबा पंडालों में सुरक्षा के अतिरिक्त कदम उठाए जा रहे हैं।
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काजल हिंदुस्तानी की टिप्पणी
हिंदूवादी नेता काजल हिंदुस्तानी ने आरोप लगाया है कि गरबा पंडालों में कुछ लड़कियां बेकलेस और डीप नेक चोली पहनकर आ रही हैं, जो गरबा की पवित्रता के खिलाफ है। उनका मानना है कि यह गलत है और इससे समाज में एक गलत संदेश जाता है। उन्होंने सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि इंस्टाग्राम पर लड़कियां अब गरबा के वीडियो बना रही हैं, जो कि पारंपरिक गरबा के उद्देश्य से मेल नहीं खाता।
इस बार के नवरात्रि महापर्व में गरबा पंडालों में सुरक्षा और सांस्कृतिक मूल्य दोनों को प्राथमिकता दी जा रही है। आयोजकों और नेताओं का कहना है कि इस तरह की सुरक्षा व्यवस्था से न केवल गरबा की पवित्रता बनी रहेगी, बल्कि समाज में सुरक्षा का वातावरण भी सुनिश्चित होगा।