ई-टेंडर में ‘पसंदीदा ठेकेदार’ का खेल! छतरपुर वन मंडल की अटपटी शर्तों से मचा हंगामा

मध्य प्रदेश के छतरपुर वन मंडल में 3.5 करोड़ की निविदा में अटपटी शर्तें जोड़ी गई हैं, जिससे सामान्य ठेकेदार बाहर हो गए हैं। शर्तों के अनुसार, निविदाकारों को पहले भौतिक परीक्षण और जियो-टैग फोटो जमा करने होंगे।

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Ravi Awasthi
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Photograph: (THESOOTR)

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BHOPAL. ई-टेंडरिंग विवाद: मध्य प्रदेश ई-टेंडर को पारदर्शिता की ढाल बताने वाले सरकारी दावों पर सवाल खड़े हो गए हैं। छतरपुर वन मंडल में 3.5 करोड़ की निविदा में ऐसी शर्तें जोड़ी गईं, जिनसे सामान्य ठेकेदार तो शुरुआत में ही बाहर हो जाएं और मौका सिर्फ चुनिंदा खिलाड़ियों तक सिमटकर रह जाए।

टेंडर से पहले ही परीक्षा

रिजर्व क्षेत्र में घेराव के लिए सीमेंट पोल और अन्य सामग्री की सप्लाई का टेंडर निकाला गया। लेकिन शर्तें सुनिए- निविदाकर्ता को आवेदन से पहले रिजर्व के 75% स्थानों का भौतिक परीक्षण करना होगा और उसके जियो-टैग फोटो जमा करने होंगे। साथ में रेंजर का सत्यापन प्रमाणपत्र भी अनिवार्य किया गया।

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प्रवेश भी बंद, शर्तें भी कड़ी

मुसीबत यह कि जिन स्थानों का सर्वे जरूरी है,वहां बिना अनुमति प्रवेश प्रतिबंधित है। सूत्रों के अनुसार,कुछ ठेकेदारों ने साहस कर रिजर्व क्षेत्र में जाने की अनुमति विभाग से चाही,लेकिन अधिकारियों ने इससे साफ इंकार कर दिया। वन कानून के तहत बिना परमिशन घुसने पर छह माह तक की सजा का प्रावधान है। यानी शर्तें भी पूरी करो और रिजर्व क्षेत्र में बिना अनुमति गए तो अपराध।

फीस भरे बिना तैयारी का बोझ

पांच हजार रुपए प्रोसेसिंग फीस जमा करने से पहले ही ठेकेदारों को सर्वे, यात्रा और जियो-टैगिंग पर खर्च करना पड़ता—यानी टेंडर से पहले ही बाधाओं का पहाड़। इसके चलते कई इच्छुक ठेकेदार निविदा में शामिल नहीं हो सके।

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शिकायत पहुंची सीएम-सीएस तक

अटपटी शर्तों से परेशान ठेकेदारों ने मामला सीएम हेल्पलाइन और मुख्य सचिव अनुराग जैन तक पहुंचा दिया है। आरोप है कि पूरी प्रक्रिया ऐसे डिजाइन की गई कि निविदा में सिर्फ वही खिलाड़ी शामिल हों,जिन्हें विभाग पहले से चुन चुका था।

इस संबंध में छतरपुर अंचल के सीसीएफ नरेश यादव ने कहा कि टेंडर की शर्तें उनके संज्ञान में नहीं है। वह इस मामले की जांच कराएंगे।

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