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INDORE. इंदौर में फर्जी चल रहे 34 निजी हॉस्पिटलों की जांच शुरू हुई। दरअसल द सूत्र ने इन हॉस्पिटलों के बारे में खुलासा किया था। इसके बाद सीएमएचओ डॉ. माधवप्रसाद हासानी ने 8 सदस्यीय कमेटी बनाई। कमेटी सात दिनों में इन अस्पतालों की जांच करेगी। जांच के बाद रिपोर्ट पेश की जाएगी।
आठ लोगों की कमेटी बनाई
डॉ माधव हसानी ने बताया कि हम ने आठ लोगों की कमेटी बनाई है। जो याचिकाकर्ता से एक एक बिंदुवार शिकायत कि जानकारी लेंगे। उसके बाद हर बिंदु पर शिकायत कि जांच करेंगे। वहीं नगर निगम से भी जानकारी लेंगे। जो भी हॉस्पिटल अवैध कॉलोनी में संचालित हो रहे है या जिन हॉस्पिटल के पास फायर की noc नहीं है। उन सभी को जांच में शामिल करेंगे।
याचिकाकर्ता आठ माह से लड़ रहे लड़ाई
शहर में फर्जी दस्तावेजों पर चल रहे अस्पतालों के खिलाफ अधिवक्ता चर्चित शास्त्री आठ माह से लड़ाई लड़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग में शिकायतें और आरटीआई लगाई गईं। नगर निगम और अन्य विभागों में भी आरटीआई से जानकारी जुटाई गई। अस्पतालों पर कार्रवाई न होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई।
इन्वेस्टिगेशन में यह आया सामने
इंदौर के 34 निजी अस्पतालों को फर्जी या अधूरे दस्तावेजों के आधार पर रजिस्ट्रेशन और मान्यता दी गई। जांच में सामने आया कि कई अस्पताल बिना फायर सेफ्टी और भवन अनुमति के चल रहे हैं। ये अस्पताल फर्जी लेटर पैड और फर्जी सील-साइन का इस्तेमाल कर रहे थे। वहीं इसकी पूरी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को है। कई अस्पतालों ने फर्जी भवन अनुमति, फायर सेफ्टी और रजिस्ट्रेशन दस्तावेज बनाए। इन दस्तावेजों को बनाने में कई अस्पतालों ने धोखाधड़ी की। इसके बावजूद मुख्य चिकित्सा अधिकारी दफ्तर ने इन्हें मान्यता दी।
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आरटीआई आवेदन से खुली पोल
फर्जी दस्तावेजों से चल इन हॉस्पिटल की पोल आरटीआई आवेदन ने खोल दी। याचिकाकर्ता चर्चित शास्त्री ने वर्ष 2024 में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMGO) इंदौर से शहर के सभी अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन दस्तावेज मांगे थे। लेकिन जो जवाब मिला, उसने पूरे स्वास्थ्य तंत्र पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया। शास्त्री ने आरटीआई के तहत इंदौर के सभी हॉस्पिटलों के जिस्ट्रेशन दस्तावेज जैसे भवन अनुमति प्रमाण पत्र, फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र आदि मांगे थे । सीएमएचओ कार्यालय ने दस्तावेज उपलब्ध करा दिए।
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लगातार किया खुलासा
फर्जी हॉस्पिटलों को लेकर द सूत्र ने लगातर खुलासा करते हुए इनसे से संबंधित हर समाचार को प्रमुखता से प्रकाशित किया। साथ ही याचिकाकर्ता शास्त्री हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका पर हुई सुनवाई को भी प्रकाशित किया गया।
निगम से मिला जवाब अवैध कॉलोनी में चल रहे अस्पताल
कई अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन में नगर निगम द्वारा जारी भवन अनुमति प्रमाणपत्र थे। याचिकाकर्ता ने कॉलोनियों की प्रमाणिकता जांचने के लिए नगर निगम में आरटीआई लगाई। नगर निगम से मिले जवाब में बड़ा खुलासा हुआ। जवाब में बताया गया कि अस्पतालों वाली कॉलोनियां अवैध हैं।
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हॉस्पिटल की जांच कमेटी में ये लोग शामिल
हॉस्पिटल की जांच के लिए जो कमेटी बनाई गई है उसमें डॉ. निर्मला अखण्ड, (जिला स्वास्थ्य अधिकारी-3), डॉ. विरेन्द्र राजगिर, (निश्चेतना विशेषज्ञ), सिविल हॉस्पिटल पीसी सेठी,डॉ. हिमांशु सुमन, (हड्डी रोग विशेषज्ञ), सिविल हॉस्पिटल पीसी सेठी, डॉ. अभिषेक निगम, (एमओ), सिविल हॉस्पिटल, महू,सुश्री मयूरी जाट (संगणक), स्थानीय कार्यालय, दारासिंह वास्केल (संभागीय उपयंत्री), कार्यालय इंदौर संभाग, शेफाली बर्डे (उपयंत्री), स्थानीय कार्यालय और सुश्री पंकज वाहबुदे (उपयंत्री)को शामिल किया गया है।
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