ED की कार्रवाईः जूम डेवलपर्स की 1.15 करोड़ और आलीराजपुर में फर्जी बिल घोटाले के आरोपी की 4.5 करोड़ की प्रॉपर्टी अटैच

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की भोपाल-इंदौर यूनिट ने एक ही दिन में बड़ी कार्रवाई की। भोपाल की जूम डेवलपर्स पर ढाई हजार करोड़ के घोटाले के आरोप में प्रॉपर्टी अटैच की गई।

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Sanjay Gupta
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प्रवर्तन निदेशालय मध्यप्रदेश की भोपाल और इंदौर यूनिट ने एक ही दिन में बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रापर्टी अटैचमेंट की दो कार्रवाई की है। इसमें एक कार्रवाई भोपाल ईडी की जूम डेवलपर्स पर हुई है जो ढाई हजार करोड़ के घोटाले का आरोपी है। वहीं दूसरी कार्रवाई आलारीजपुर में 20 करोड़ से ज्यादा का फर्जी बिल घोटाला करने वाले आरोपियों पर हुई है। 

ईडी भोपाल ने यह की कार्रवाई 

ईडी भोपाल रीजनल ऑफिस ने मेसर्स जूम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के मामले में मनी लाण्ड्रिंग एक्ट 2002 के प्रावधानों के तहत 19/09/2025 को महाराष्ट्र में स्थित 1.15 करोड़ रुपए मूल्य की तीन अचल संपत्तियों को अनंतिम रूप से कुर्क किया है। ईडी ने सीबीआई, बैंक सुरक्षा और धोखाधड़ी प्रकोष्ठ (बीएसएंडएफसी), नई दिल्ली और आर्थिक अपराध शाखा (eow), मुंबई द्वारा दायर एफआईआर और आरोप-पत्रों के आधार पर जांच शुरू की।

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ईडी पहले 131 करोड़ की प्रापर्टी अटैच कर चुका

ईडी की जांच से पता चला है कि पीएनबी और अन्य कंसोर्टियम बैंकों से मेसर्स जूम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा धोखाधड़ी से प्राप्त धन का एक हिस्सा जूम हिंदुस्तान पीटर ओट्स जेवी जैसे संयुक्त उद्यमों के माध्यम से उठाया गया। फिर मेसर्स हिंदुस्तान मोर्टार लाइनिंग एलएलपी और इसके संबद्ध व्यक्तियों जैसी संस्थाओं में ट्रासंफर हुआ। इस मामले में ईडी पहले ही 131.34 करोड़ रुपए मूल्य की चल और अचल संपत्तियों को कुर्क करने के लिए पांच  कुर्की आदेश जारी कर चुका है। 

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आलीराजपुर घोटाले में ईडी इंदौर की कार्रवाई

इसी तरह ईडी इंदौर  ने कमल राठौर और अन्य आरोपी व्यक्तियों द्वारा ब्लॉक शिक्षा कार्यालय (बीईओ), कट्ठीवाड़ा, जिला आलीराजपुर, मध्य प्रदेश से सरकारी धन के दुरुपयोग और बिलों की धोखाधड़ी से निकासी के मामले में मनी लाण्ड्रिंग एक्ट में 4.5 करोड़ रुपए मूल्य की 14 अचल संपत्तियों को कुर्क किया है।

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इस तरह हुआ यह घोटाला

यह कार्रवाई, विकासखंड शिक्षा कार्यालय, कट्ठीवाड़ा के अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध, पुलिस स्टेशन कट्ठीवाड़ा, जिला अलीराजपुर (मध्य प्रदेश) द्वारा दर्ज हुए केस के आधार पर की गई जांच के बाद की गई है। जांच में 2018-2023 के बीच एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (IFMS) पर तैयार और स्वीकृत फर्जी बिलों के माध्यम से सरकारी धन के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग का खुलासा हुआ।

इससे पहले, इस मामले में PMLA, 2002 की धारा 17 के तहत तलाशी अभियान चलाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप आपत्तिजनक रिकॉर्ड जब्त किए गए और लाखों रुपए जब्त किए गए। साथ ही, मुख्य आरोपी कमल राठौर को ईडी ने 7 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया था और वह वर्तमान में न्यायिक हिरासत में है।

ईडी की जांच से पता चला है कि 917 फर्जी बिलों के जरिए 20.47 करोड़ रुपए की हेराफेरी करके 134 बैंक खातों में जमा कराए गए। जांच से पता चला है कि आरोपियों ने बड़ी रकम नकद निकालकर, रिश्तेदारों के बीच पैसे ट्रांसफर करके और अलीराजपुर व पन्ना में कई संपत्तियों में निवेश करके गबन की गई धनराशि को सफेद किया। परिवार के सदस्यों के नाम पर अर्जित कई संपत्तियों को बाद में धन के अवैध स्रोत को छिपाने के लिए बेच दिया गया।

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