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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया। इस कार्रवाई में अहमदाबाद, जयपुर, जबलपुर और पुणे में छापेमारी की गई। यह कार्रवाई Magnatel BPS Consultants and LLP नामक फर्जी कंसल्टेंसी कंपनी के खिलाफ की गई। यह कंपनी अमेरिका के नागरिकों को नकली ऋण योजनाओं में फंसाकर लाखों डॉलर की ठगी कर रही थी। ED की छापेमारी पुणे साइबर पुलिस की प्राथमिकी पर आधारित थी, जिसमें 8 लोगों को आरोपी बनाया गया।
फर्जी कॉल सेंटर से अमेरिका में साइबर फ्रॉड
ED की जांच में सामने आया है कि Magnatel BPS का कॉल सेंटर पुणे की प्राइड आइकॉन बिल्डिंग की 9वीं मंजिल से संचालित हो रहा था। आरोपियों का तरीका चौंकाने वाला था। वे खुद को अमेरिकी बैंकों का प्रतिनिधि बताकर नागरिकों को लोन ऑफर करते थे। फिर उनका बैंकिंग और व्यक्तिगत डेटा हासिल कर लेते थे। इन जानकारियों के आधार पर अमेरिका में बैंक खाते खाली किए जाते थे।
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ठगी के पैसे को ऐसे लाते थे भारत
प्रवर्तन निदेशालय की प्रारंभिक जांच से यह खुलासा हुआ है कि धोखाधड़ी से अर्जित रकम को अमेरिका में मौजूद साथियों के जरिए USDT जैसी क्रिप्टोकरेंसी में बदला जाता था। इस रकम को Trust Wallet, Exodus Wallet जैसे डिजिटल वॉलेट्स में स्टोर किया जाता और फिर पारंपरिक अंगड़िया चैनल के माध्यम से नकद रूप में भारत लाकर अहमदाबाद में बदल दिया जाता था।
सोने-चांदी और रियल एस्टेट में किया गया निवेश
ईडी ने जांच में पाया है कि ठगी से कमाई गई राशि का एक हिस्सा सॉफ्टवेयर खरीदने और ऑफिस का किराया देने में उपयोग हुआ। जबकि बड़ा हिस्सा सोने, चांदी, महंगे वाहन, निजी संपत्तियों और रियल एस्टेट में निवेश कर छुपाया गया। जांच एजेंसी को यह भी पता चला कि नकद धनराशि का बड़ा हिस्सा हवाला नेटवर्क के जरिए प्रसारित किया गया।
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ईडी की छापेमारी में भारी मात्रा में सोना-चांदी जब्त
जानकारी के अनुसार, अहमदाबाद, जयपुर, जबलपुर और पुणे में की गई कार्रवाई में ईडी को अवैध संपत्ति और डिजिटल साक्ष्य मिले हैं। तलाशी में 7 किलो सोना, 62 किलो चांदी, 1.18 करोड़ रुपए नकद और 9.2 करोड़ रुपए मूल्य की अचल संपत्तियों के दस्तावेज जब्त किए गए। कॉल सेंटर से संबंधित फर्जीवाड़े के डिजिटल सबूत भी जब्त किए गए हैं।
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जयपुर से दो मास्टरमाइंड गिरफ्तार
प्रवर्तन निदेशालय ने Magnatel BPS Consultants and LLP के दो साझेदार संजय मोरे और अजीत सोनी को जयपुर से गिरफ्तार किया है। दोनों पर मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी नागरिकों के साथ साइबर ठगी के गंभीर आरोप हैं। एजेंसी के मुताबिक, मामले की जांच जारी है और अन्य संलिप्त लोगों की भूमिका की भी गहनता से जांच की जा रही है।
जबलपुर में ED की दबिश से मचा हड़कंप
सूत्रों के मुताबिक, जबलपुर में भी ईडी की टीम ने एक प्रमुख ठिकाने पर दबिश दी। यहां डिजिटल उपकरणों और दस्तावेजों की जांच की गई। यह पहली बार है जब अमेरिका के नागरिकों से जुड़े साइबर फ्रॉड के मामले में जबलपुर को जांच के दायरे में लाया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधों का नेटवर्क अब छोटे शहरों तक फैल चुका है।
अंतरराष्ट्रीय गिरोह का बड़ा भंडाफोड़
ईडी की इस कार्रवाई से यह साफ हुआ है कि भारत में कुछ गिरोह विदेशी नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। ये गिरोह साइबर ठगी कर करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। काले धन को सफेद करने के लिए वे उसे सोने-चांदी और रियल एस्टेट में निवेश कर रहे हैं। जांच एजेंसी की कार्रवाई से साइबर ठगों में हड़कंप मच गया है। आने वाले दिनों में इस नेटवर्क से जुड़े और खुलासे हो सकते हैं।
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अमेरिकी नागरिकों से ठगी