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शिकायतकर्ता धनराज चौधरी (इनसेट में): (The Sootr)
रवि अवस्थी, भोपाल। प्रशासनिक अराजकता व माफिया से तंग आए लोग आमतौर पर पुलिस या जिम्मेदार अफसरों से शिकायत करते हैं। इस पर भी सुनवाई न हो तो सरकार में बैठे लोगों को शिकायत भेजकर गुहार लगाई जाती है। लेकिन यही गुहार लगाने वाले व्यक्ति को यदि अखबार में इश्तहार छपवाने का सहारा लेना पड़े, तो यह उसकी पीड़ा बताती है कि भ्रष्टाचार का पानी सिर से ऊपर बह रहा है।
इतिहास में संभवतः यह पहला मौका
मध्यप्रदेश के इतिहास में संभवतः यह पहला मौका है, जब किसी ने देश के प्रधानमंत्री से लेकर अन्य जिम्मेदारों के नाम संबोधित शिकायत इश्तहार के जरिए की। राजधानी से प्रकाशित एक दैनिक में आधे पेज के इस इश्तहार ने प्रशासनिक व सियासी गलियारों में हलचल मचा दी। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नीमच जिला कलेक्टर हिमांशु चंद्रा को विज्ञापन में लगाए गए आरोपों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जांच शुरू करानी पड़ी।
मजबूरी में लेना पड़ा विज्ञापन का सहारा: चौधरी
मामला अफीम की मंडी के लिए मशहूर व सबसे धनाढ्य शहर नीमच का है। जहां अफीम ही नहीं, अब शराब का कारोबार भी काफी फल-फूल रहा है। बात यहीं तक होती तब भी ठीक थी, लेकिन इस कारोबार से जुड़े लोगों ने धनबल व बाहुबल का प्रभाव दिखाया और प्रशासन इसके आगे चित्त हुआ, तो आम आदमी आह भर उठा। आज प्रकाशित विज्ञापन में 72 वर्षीय बुजुर्ग ट्रांसपोर्ट कारोबारी धनराज चौधरी की यही पीड़ा सामने आई। चौधरी का आरोप है कि पुलिस और प्रशासन में सुनवाई नहीं होने से मजबूर होकर उन्हें विज्ञापन का सहारा लेना पड़ा।
ट्रांसपोर्ट कारोबारी ने कहा कि मैंने कलेक्टोरेट की जनसुनवाई में 4 बार लिखित शिकायतें की। नीचे के अमले ने कभी कलेक्टर से मिलने ही नहीं दिया।
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अवैध कारोबार से सरकार को करोड़ों की चपत
प्रकाशित विज्ञापन में चौधरी ने नीमच के शराब कारोबारी अशोक अरोरा गंगानगर वाले पर अनेक गंभीर आरोप लगाए। बाद में उन्होंने द सूत्र से बातचीत में भी इन्हें दोहराया। चौधरी ने कहा कि अशोक अरोरा गंगानगर ने जिले में सिर्फ 52 शराब दुकानों का लाइसेंस लिया, लेकिन इसकी आड़ में 107 शराब दुकानें संचालित की जा रही हैं। इससे सरकार को करीब सवा सौ करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान हो रहा है।
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सीएमओ ने कौड़ी के दाम होटल लीज पर दी
ट्रांसपोर्ट कारोबारी ने कहा कि जावरा नगर पालिका परिषद ने शहर के बीचों-बीच बने परिषद के एक भवन को नाम मात्र की लीज पर शराब कारोबारी को दे डाला। सरोवर रेस्तरां नामक यह होटल करीब 11 हजार वर्गफीट में बना हुआ है। भवन लीज पर दिए जाने के मामले में न तो नपा परिषद से अनुमति ली गई, न ही जिला कलेक्टर से। चौधरी ने कहा कि जब उन्होंने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी चाही तो सीएमओ ने इसे देने से इंकार कर दिया।
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'कई बेनामी संपत्तियां व पंजीयन कर चोरी'
चौधरी ने कहा कि शराब कारोबारी ने अपने बाहुबल से शहर में बड़ी संख्या में बेनामी संपत्तियां जुटाई हैं। यही नहीं, एक पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर हुई रजिस्ट्री में शासन को करीब ढाई करोड़ रुपए की चपत भी लगी। उनका कहना था कि शराब कारोबारी के धनबल व बाहुबल के आगे पुलिस व प्रशासन नतमस्तक है। उन्होंने थानों से लेकर पुलिस अधीक्षक के स्तर तक कई लिखित शिकायतें कीं, लेकिन सुनवाई कहीं नहीं हुई। जिला प्रशासन के अफसरों का भी यही रवैया है।
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ऐसे कोई विज्ञापन छापता है क्या: कलेक्टर
इस मामले में जिला कलेक्टर हिमांशु चंद्रा ने कहा कि उन्होंने स्वतः संज्ञान लेते हुए विज्ञापन में लगाए गए आरोपों की जांच शुरू करवा दी है। लेकिन विज्ञापनदाता ने उनसे कभी लिखित शिकायत नहीं की, न ही वे उनसे मिले। चंद्रा ने कहा कि मीडिया को भी इस तरह के विज्ञापन छापने से पहले सोचना चाहिए।
हां,परिषद की अनुमति तो नहीं ली गई: सीएमओ
इधर, शराब कारोबारी को होटल लीज पर दिए जाने के मामले की भी जांच शुरू हो गई है। जावरा नगर पालिका परिषद सीएमओ दुर्गा बामनिया ने कहा कि प्रकरण पूर्व सीएमओ महेंद्र वशिष्ठ के कार्यकाल का है। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई कि होटल को लीज पर दिए जाने के लिए आवश्यक अनुमतियां नहीं ली गईं। बहरहाल, वह अभी इस मामले की जांच कर रही हैं और जल्दी ही इसकी रिपोर्ट सीईओ डूडा को सौंप देंगी।
शराब कारोबारी ने साधी चुप्पी
द सूत्र ने इस मामले में शराब कारोबारी अशोक अरोरा गंगानगर से भी उनका पक्ष जानने का प्रयास किया। कई बार फोन कॉल किए गए, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किए। व्हाट्सऐप संदेश पढ़ने के बाद भी उन्होंने जवाब देना उचित नहीं समझा। बहरहाल, जब उनका जवाब आएगा, हम उसे भी साझा करेंगे।