/sootr/media/media_files/2025/11/01/electricity-company-2025-11-01-21-08-30.jpg)
BHOPAL. बिजली कंपनियों में खाली पदों पर 49 हजार भर्तियों की तैयारी के बीच संविदाकर्मियों ने सरकार को नियमितीकरण के लंबित प्रस्ताव की याद दिलाई है। पांच हजार संविदाकर्मियों का नियमित पदों पर मर्जर का प्रस्ताव तीन माह से बिजली कंपनियों के पास अटका हुआ है।
अधिकारियों के मौन को देखते हुए अब संविदा बिजलीकर्मी सीधे सीएम डॉ.मोहन यादव तक बात पहुंचाने की तैयारी कर रहे हैं। संविदा बिजलीकर्मी 2 नवम्बर को राजधानी के अंबेडकर मैदान में जमा होकर सरकार का ध्यान आकर्षित कराएंगे।
ऊर्जा मंत्री- बिजली कंपनियों में अटका प्रस्ताव
मध्य प्रदेश यूनाइटेड फोरम फॉर एम्प्लाइज एवं इंजीनियर्स संगठन के व्ही.के.एस.परिहार का कहना है बिजली कंपनियों में 49263 पद खाली हैं। सरकार के निर्देश पर इन खाली पदों पर बिजली कंपनियां सीधी भर्ती कर रही है। इनमें बड़ी संख्या में नियमित पद भी शामिल हैं।
बिजली कंपनियां कई साल से नियमित पदों पर संविदा के माध्यम से इंजीनियर और अन्य कर्मचारियों से काम ले रही है। इन कर्मचारियों के पास काम का अनुभव भी है।
संविदाकर्मी नियमित पांच हजार पदों पर नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। इसके लिए संविदाकर्मियों द्वारा मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री ऊर्जा मंत्री प्रदुमन सिंह तोमर को तीन माह पहले प्रस्ताव भी सौंपा गया था। अब तक उस पर निर्णय नहीं लिया गया है।
ये खबरें भी पढ़िए :
बीजेपी विधायक के फर्जी लेटरहेड पर शिक्षक-कर्मचारियों की शिकायत की पड़ताल में जुटी पुलिस
मौसम पूर्वानुमान (02 नवंबर) : एमपी में दिन गर्म-रातें ठंडी, दक्षिण भारत में होगी हल्की बारिश
अनुभव को नियमितीकरण को प्राथमिकता की मांग
बिजली कंपनियों में अधिकारी, इंजीनियर, तकनीशियन, लाइनमैन जैसे पांच हजार से ज्यादा नियमित पद खाली है। इन पदों पर पूर्व से कार्यरत अनुभवी अधिकारी- कर्मचारियों के मर्जर की मांग लंबे समय से की जा रही है। उन्हें बिजली कंपनी और जनप्रतिनिधियों से भर्तियों में प्राथमिकता के आश्वासन भी दिए गए हैं।
प्रदेश के 55 जिलों में संविदा पर बिजली कंपनियों के लिए काम कर रहे कर्मचारी कलेक्टर और जनप्रतिनिधियों के माध्यम से लगातार अपनी बात सरकार तक पहुंचाते आ रहे हैं। अब जब ऊर्जा विभाग के निर्देश पर 49 हजार से ज्यादा आउटसोर्स, संविदा और नियमित पदों पर भर्ती की तैयारी कर ली गई है तब उनकी मांग को अनदेखा किया जा रहा है।
ये खबरें भी पढ़िए :
व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर में होगा बड़ा रक्षा कॉन्क्लेव, मेक इन इंडिया मिशन को नई शक्ति देने की तैयारी
भगवान धारनाथ का मंदिर बनेगा धारेश्वर लोक, जानें पहले फेज में कितना आएगा खर्च
नियमितीकरण से कंपनियों पर नहीं बढ़ेगा भार
संविदा बिजलीकर्मी दुर्गेश दुबे का कहना है बिजली कंपनी के अधिकारी तीन माह से नियमितीकरण के प्रस्ताव पर निर्णय नहीं ले पाए हैं। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की घोषणा भी कारगर नहीं रही। अब जब नियमित भर्ती निकल रही हैं तो सरकार को अपने वादे याद करना चाहिए। संगठन के सदस्य प्रशांत पाल और चंद्रमणि गजभिए का कहना है 49 हजार से ज्यादा पदों में से केवल 5 हजार पदों पर ही नियमितीकरण की मांग हो रही है।
ये अधिकारी और तकनीकी कर्मचारी अपनी योग्यता को परीक्षा के माध्यम से पहले ही साबिज कर चुके हैं। उन्हें वेतन भी संबंधित पद के आधार पर ही मिल रहा है इसलिए सरकार और बिजली कंपनियों पर वित्तीय भार भी नहीं आएगा।
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us