अब हाथियों का भी बनेगा सर्विस रिकॉर्ड: सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में अनोखी पहल

मध्यप्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में अब हाथियों का सर्विस रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है। वन विभाग हर हाथी की जन्मतिथि, पदस्थापना, कार्य अवधि और स्थानांतरण का पूरा विवरण दर्ज करेगा।

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Ramanand Tiwari
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BHOPAL. मध्यप्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में अब इंसानों की तरह हाथियों का सर्विस रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है। जिस तरह सरकारी कर्मचारियों की सर्विस बुक में उनकी जन्मतिथि, पदस्थापना और तबादले का विवरण होता है। ठीक उसी तरह वन विभाग अब हर हाथी का पूरा कार्य-इतिहास दर्ज करेगा।

हाथियों की सेवा का पूरा ब्यौरा रिकॉर्ड होगा

फील्ड डायरेक्टर राखी नंदा के मुताबिक, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में कुल 7 हाथी हैं। अंजुगम (73 वर्ष), प्रिया (35 वर्ष), स्मिता (45 वर्ष), पूजा (12 वर्ष), मारिसा (11 वर्ष), गजा (13 वर्ष) और कृष्णा (15 वर्ष)।

इन सभी का अलग-अलग स्वभाव और काम करने की शैली है। सर्विस रिकॉर्ड में हर हाथी की जन्म जानकारी, प्रशिक्षण, कार्य-क्षमता और स्थानांतरण जैसी जानकारियां दर्ज होंगी।

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जंगल की सुरक्षा में तैनात हैं ‘सरकारी हाथी’

ये हाथी सिर्फ जंगल की सैर के लिए नहीं, बल्कि सुरक्षा, गश्त और रेस्क्यू ऑपरेशन का अहम हिस्सा हैं। जब जंगल में कोई वन्यजीव घायल या फंस जाता है, तो यही हाथी रेस्क्यू टीम के साथी बनते हैं। बारिश के मौसम में ये हाथी जंगल की सीमाओं की निगरानी भी करते हैं ताकि वन्यजीव सुरक्षित रहें।

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अब हाथी सर्विस रिकॉर्ड भी रखे जाएंगे

फील्ड डायरेक्टर राखी नंदा बताती हैं, “वन विभाग में हाथियों को भी सरकारी सेवक माना जाता है। जैसे कर्मचारियों की सर्विस बुक रखी जाती है, वैसे ही हाथियों की भी होती है। इसमें उनका जन्मस्थान, पता, सेवा इतिहास और ट्रांसफर डिटेल्स दर्ज होती हैं।” उन्होंने बताया कि कुछ हाथी कर्नाटक से यहां लाए गए हैं। भविष्य में यदि उनका ट्रांसफर होता है, तो यह पूरी जानकारी सर्विस बुक में दर्ज रहेगी।

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सतपुड़ा टाइगर रिजर्व: जैव विविधता का खजाना

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व नर्मदापुरम जिले में सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के बीच फैला हुआ है। इसका कुल क्षेत्रफल 2,133.30 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें से 1,339.26 वर्ग किमी कोर एरिया और 794.04 वर्ग किमी बफर जोन है। यहां सतपुड़ा नेशनल पार्क, बोरी अभयारण्य और पचमढ़ी अभयारण्य शामिल हैं।

भारत का पहला बायोस्फीयर रिजर्व घोषित यह क्षेत्र साल और सागौन के घने जंगलों के साथ समृद्ध वन्यजीवों का घर है।
इससे हाथियों को भी इंसानों की तरह सम्मानजनक सेवा पहचान मिलेगी। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का यह प्रयोग देश में एक नई दिशा दिखा रहा है। जहां वन्यजीवों की सेवा भी दस्तावेजों में दर्ज होगी, ताकि आने वाली पीढ़ियां उनके योगदान को याद रख सकें।

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