ESB अपनी ही गाइडलाइन में उलझा, भर्ती विज्ञापन में क्लियर नहीं दिव्यांग कोटे की स्थिति

मध्यप्रदेश में नया मामला कौशल विकास एवं प्रशिक्षण विभाग की भर्ती से जुड़ा है। इसमें ईएसबी ने डीजल एवं ट्रैक्टर मैकेनिक ट्रेड में प्रशिक्षण अधिकारी के पद पर पात्रता के लिए ड्राइविंग लाइसेंस की अनिवार्यता रख दी। 

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Sanjay Sharma
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ESB Guidelines Photograph: (thesootr)

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BHOPAL. नौकरी की आस में भटक रहे प्रदेश के लाखों युवा प्रदेश की सरकारी मशीनरी की खिलवाड़ का आए दिन शिकार हो रहे हैं। युवाओं की योग्यता पर कर्मचारी चयन मंडल जैसे संस्थानों की मनमानी गाइडलाइन भारी पड़ रही है। कई बार तो ईएसबी भर्ती प्रक्रिया में ऐसे नियम शामिल कर लेता है जो उसकी गाइडलाइन को ही विरोधाभासी बना देते हैं। इस वजह से योग्यता रखने के बावजूद युवा भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो जाते हैं। नया मामला कौशल विकास एवं प्रशिक्षण विभाग की भर्ती से जुड़ा है। इसमें ईएसबी ने डीजल एवं ट्रैक्टर मैकेनिक ट्रेड में प्रशिक्षण अधिकारी के पद पर पात्रता के लिए ड्राइविंग लाइसेंस की अनिवार्यता रख दी।

भर्ती प्रक्रिया में दिव्यांग कोटे में शामिल होने के लिए शारीरिक रूप से 40 फीसदी अशक्त होना जरूरी है। वहीं 40 फीसदी से अशक्त होने की स्थिति में परिवहन विभाग ड्राइविंग लाइसेंस ही जारी नहीं करता। हजारों अभ्यर्थी इस विरोधाभासी नियम की वजह से चयन से वंचित रह गए हैं। अब वे ईएसबी की इस मनमानी के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। 

सीधी भर्ती में 1.21 लाख ने दी परीक्षा

दरअसल कर्मचारी चयन मंडल यानी ईएसबी द्वारा सितम्बर 2024 में 450 पदों पर सीधी भर्ती का आयोजन किया गया था। फिटर ट्रेड में 70, वेल्डर के लिए 82, डीजल मैकेनिक ट्रेड के लिए 20, मोटर मैकेनिक के लिए 50, सर्वेयर के लिए 8, हिंदी स्टेनो के लिए 16, सोशल स्टडी के लिए 22, मेंटेनेंस मैकेनिक ट्रेड के लिए 16, इलेक्ट्रिशियन ट्रेड के लिए 60, कम्प्युटर ऑपरेटर एंड प्रोग्रामिंग ट्रेड के लिए 70, टर्नर ट्रेड में 20 और मशीनिष्ट कम्पोजिट ट्रेड में प्रशिक्षण अधिकारी के लिए 16 पदों पर भर्ती के लिए रिटर्न टेस्ट लिया गया था। इसके लिए प्रदेश भर से आए आवेदनों के बाद 1 लाख 21 हजार 967 आवेदकों को प्रवेश पत्र जारी किए गए थे। वहीं सभी ट्रेडों में 95 पद अलग-अलग श्रेणी के अशक्तों के लिए सुरक्षित किए गए थे।

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दिव्यांगों को भी लाइसेंस की अनिवार्यता

भर्ती प्रक्रिया की रूल बुक में भी इसका उल्लेख किया गया लेकिन ट्रेडों में दिव्यांग कोटा के पदों में कैटेगरी स्पष्ट नहीं की गई। इसके कारण दिव्यांग अभ्यर्थी ट्रेड में रिजर्व पदों के विरुद्ध अपनी पात्रता तय नहीं कर सके। इसी असमंजस के बीच उन्होंने रिटर्न टेस्ट दिया और रिजल्ट आने के बाद ईएसबी द्वारा अशक्तता श्रेणी का विभाजन अपने स्तर पर कर नियुक्ति प्रक्रिया आगे बढ़ा दी।

कर्मचारी चयन मंडल की सबसे बड़ी गफलत डीजल मैकेनिक और मोटर मैकेनिक ट्रेड के सुरक्षित पदों पर भर्ती में सामने आई है। ईएसबी ने दिव्यांग कोटा के इन पदों पर चयन के लिए शैक्षणिक योग्यता के साथ ड्राइविंग लाइसेंस की अनिवार्यता रखी थी। इस नियम के कारण रिटर्न टेस्ट में अव्वल रहे अभ्यर्थी भी बाहर हो गए।

आरटीओ के नियम के विरुद्ध भर्ती गाइडलाइन

अभ्यर्थी रोशन गहलोत का कहना है उन्होंने डीजल मैकेनिक ट्रेड में प्रशिक्षण अधिकारी पद के लिए रिटर्न टेस्ट दिया था। इन दोनों ट्रेड में छोटे-हल्के वाहन चलाने की पात्रता तय करने के कारण अभ्यर्थी असमंजस में ही फंसे रह गए। क्योंकि 40 फीसदी और उससे ज्यादा शारीरिक अशक्त व्यक्ति ही दिव्यांग कोटे में शामिल हो सकता है। वहीं परिवहन विभाग 40 फीसदी और उससे अधिक अशक्तजन को छोटे-हल्के वाहन चलाने योग्य नहीं मानता। इसके लिए आरटीओ से एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंस भी जारी नहीं किया जाता। जिला परिवहन अधिकारी प्रदीप शर्मा के अनुसार शारीरिक रूप से अशक्तजनों के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। 40 फीसदी से ज्यादा शारीरिक अशक्तता की स्थिति में एडोप्टेड व्हीकल ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाता है।

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लाइसेंस के चक्कर में योग्यताधारी बाहर

अब गलफत ये है कि जब परिवहन विभाग ऐसे अक्षम व्यक्ति को लाइसेंस ही नहीं देता तो ईएसबी इसकी अनिवार्यता क्यों लाद रहा है। ईएसबी का यह नियम न केवल भर्ती की अपनी ही गाइडलाइन बल्कि आरटीओ के नियम के भी प्रतिकूल है। इसके कारण रिटर्न टेस्ट में सफल रहने और अशक्तता का आधार होने के बावजूद कई अभ्यर्थी भर्ती प्रक्रिया में पिछड़ गए। अब कौशल विकास एवं प्रशिक्षण विभाग की भर्ती में ईएसबी के मनमाने नियम की वजह से कई युवा प्रशिक्षण अधिकारी बनने से ही वंचित रह गए हैं।

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