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mohan-govt-loan Photograph: (thesootr)
मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार मंगलवार को बाजार से चार हजार करोड़ रुपए का फिर कर्ज ले रही है। दो-दो हजार करोड़ रुपए के यह कर्ज 22 साल और 6 साल के समयावधि के लिए हैं इसका भुगतान सरकार छमाही ब्याज के रूप में करेगी। इसके साथ ही मोहन सरकार चालू वित्त वर्ष में 49 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी होगी।
मोहन सरकार का नया कर्ज...
मध्य प्रदेश की मोहन सरकार फिर से 4 हजार करोड़ का कर्ज लेने जा रही है, जो सरकार के बढ़ते आर्थिक बोझ को बताता है।
- 12 मार्च 2025 को यह कर्ज बाजार से लिया जाएगा।
- दो-दो हजार करोड़ रुपए के कर्ज की अदायगी 22 और 6 साल बाद होगी।
- ब्याज छमाही आधार पर चुकाया जाएगा।
- इससे पहले 4 मार्च को 6 हजार करोड़ और 20 फरवरी को 6 हजार करोड़ का कर्ज लिया गया था।
कुल कर्ज 51 हजार करोड़ पर पहुंचा
मोहन सरकार चालू वित्त वर्ष में अब तक 51 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है।
- 2023-24 में सरकार ने 44 हजार करोड़ का कर्ज लिया था।
- वर्तमान में मध्य प्रदेश सरकार पर कुल कर्ज 3.75 लाख करोड़ रुपए है।
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राज्य की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव
राज्य सरकार का लगातार कर्ज लेना राज्य की वित्तीय स्थिरता पर असर डाल सकता है-
- राज्य के बजट घाटे में वृद्धि होगी।
- भविष्य में करदाताओं पर दबाव बढ़ सकता है।
- विकास परियोजनाओं के लिए नई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।
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नीचे दी गई तालिका में सरकार द्वारा लिए गए कर्ज की प्रमुख तारीखें और उनकी अवधि दी गई हैं:
तारीख | कर्ज राशि (₹ करोड़) | अवधि (साल) | भुगतान समय सीमा |
---|---|---|---|
4 मार्च 2025 | 6000 | 14, 20, 23 | 2029, 2045, 2048 |
20 फरवरी 2025 | 6000 | 12, 15, 18 | 2037, 2040, 2043 |
1 जनवरी 2025 | 5000 | 13, 22 | 2038, 2047 |
26 दिसंबर 2024 | 5000 | 20, 16 | 2045, 2041 |
27 नवंबर 2024 | 5000 | 20, 14 | 2038, 2044 |
9 अक्टूबर 2024 | 3000 | 13, 18 | 2035, 2043 |
25 सितंबर 2024 | 5000 | 12, 19 | 2037, 2044 |
28 अगस्त 2024 | 5000 | 14, 21 | 2039, 2046 |
7 अगस्त 2024 | 5000 | 11, 21 | 2036, 2046 |
मोहन सरकार के कर्ज लेने का असर...
- राजकोषीय घाटे में वृद्धि
- सरकार के बढ़ते कर्ज से राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है, जिससे विकास परियोजनाओं में कटौती करनी पड़ सकती है।
ब्याज भुगतान का बोझ
- सरकार को इन कर्जों पर छमाही ब्याज देना होगा, जिससे भविष्य में अन्य सरकारी खर्चों में कमी आ सकती है।
- करदाताओं पर प्रभाव
- आने वाले वर्षों में राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार को नए कर लगाने या मौजूदा करों में वृद्धि करनी पड़ सकती है।