BHOPAL. सरकार प्रदेश में सुशासन और जनता को योजनाओं का समुचित लाभ पहुंचाने के दावे कर रही है। उधर विभागों में योजनाओं के क्रियान्वयन का जिम्मा निभाने वाले अफसर ही नहीं हैं। अफसरों की कमी का सबसे गहरा संकट इनदिनों वन विभाग पर छाया हुआ है। वन विभाग के मुख्यालय वन भवन में शीर्ष अधिकारियों के 17 पद खाली पड़े हैं। वहीं संभाग और जिलों में भी मुख्य वन संरक्षक और वन संरक्षकों की कमी बनी हुई है। इसके कारण मुख्यालय में अफसरों के दर्जन भर कक्षों में सन्नाटा पसरा हुआ है और कुछ अधिकारियों को दोहरा-तिहरा दायित्व संभालना पड़ रहा है। नतीजा वन विभाग से संचालित योजनाएं ही नहीं दैनिक कामकाज भी प्रभावित हो रहे हैं।
अधिकारियों की संख्या का गणित गड़बड़ाया
प्रदेश में बीते कुछ वर्षों में सरकार ने वन विभाग की व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया है। इसके कारण आईएफएस कॉडर मैनेजमेंट चरमरा गया है। 5 साल पहले पदोन्नति के चक्कर में अफसरों ने राज्य में वरिष्ठ स्तर पर पदों की संख्या में वृद्धि कराया था। हांलाकि, प्रदेश सरकार इन पदों के अनुपात में केंद्र से आईएफएस कॉडर के अफसरों का आवंटन नहीं करा सकी। इसके कारण अब पदों के विरुद्ध अधिकारियों की संख्या का गणित गड़बड़ा गया है। वहीं पदोन्नति में रुकावट की वजह से एपीसीसीएफ (अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक), सीसीएफ (मुख्य वन संरक्षक) और सीएफ यानी वन संरक्षक के पद खाली पड़े हुए हैं।
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कहीं दोहरे- तिहरे दायित्व, कहीं अटके काम
अधिकारियों की कमी से विभाग मुख्यालय ही नहीं संभाग और जिला स्तर पर विभिन्न इकाइयों में काम अटक रहे हैं। जरूरी फाइलें भी आगे नहीं बढ़ पा रही हैं। इसको देखते हुए प्रदेश की सामाजिक वानिकी इकाइयों में सीसीएफ के पद का दायित्व डीएफओ रैंक के अधिकारियों को सौंपा गया है। कई अफसरों के पास दो-तीन दायित्व थमा दिए गए हैं जिससे इन इकाइयों के साथ ही दूसरे कामकाज भी प्रभावित हो रहे हैं। वहीं दो-दो किमी दूर स्थित इकाइयों की जिम्मेदारी को निभाने की भागदौड़ अधिकारियों की भी मुसीबत बनी हुई है।
जितने पद उससे आधे भी अफसर नहीं
वन विभाग में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक यानी एपीसीसीएफ रैंक के अधिकारियों के 25 पद हैं, लेकिन केवल 8 पर ही पदस्थापना है। वन मुख्यालय में वित्त, बजट, वनभूमि रिकॉर्ड जैसी शाखाओं का दायित्व एक_एक अधिकारी संभाल रहे हैं। मुख्य वन संरक्षक के 51 पद स्वीकृत हैं जिनमें से फिलहाल 20 पर ही अफसर काम कर रहे हैं, शेष खाली पड़े हैं। वहीं सीएफ के 40 में से 20 पदों पर अफसरों की पोस्टिंग का इंतजार है।
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15 साल के गैप से गड़बड़ाई स्थिति
बताया जाता है साल 2022 और 2023 में मध्यप्रदेश को भारतीय वन सेवा कॉडर से 32 अधिकारी मिले हैं। प्रदेश में अधिकारियों का जो संकट बना है वह 1997 से 2007 के बीच अधिकारी न मिलने के कारण बनी है। जो पद रिक्त हैं उन पर पोस्टिंग के लिए निर्धारित सेवा अवधि वाले आईएफएस अफसर पहले से ही कम हैं। जब तक केंद्र से इस कॉडर में अधिकारियों की संख्या नहीं बढ़ाई जाती तब तक वन मुख्यालय मुश्किल में घिरा रहेगा। वहीं विभागीय योजनाएं और दैनिक कामकाज ही नहीं वन क्षेत्रों में गश्त, पेड़ों की कटाई जैसी गतिविधियों पर नियंत्रण भी मुश्किल है।