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INDORE. मध्य प्रदेश जल निगम लिमिटेड में 184 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी का मामला सामने आया था। इसमें 950 करोड़ के काम का ठेका लिया गया था। यह ठेका तीर्थ गोपीकॉन कंपनी के एमडी महेश कुंभानी और फाउंडर राहुल गुप्ता ने लिया था।
महेश कुंभानी और राहुल गुप्ता को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। ऐसे में दोनों ने सीबीआई स्पेशल कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। वहीं, अब इनकी याचिका कोर्ट से खारिज कर दी गई है। अब ये दोनों आरोपी जेल में रहेंगे।
चालान और बीएनएस का हवाला देकर मांगी थी
कुंभानी और गुप्ता ने इस केस में स्पेशल कोर्ट में बीएनएस के नियमों का हवाला देकर जमानत मांगी थी। इन दोनों ने कहा कि सितंबर माह में इनकी गिरफ्तारी हुई थी। इन्हें गिरफ्तार हुए 90 दिन से ज्यादा हो चुके हैं।
वहीं, बीएनएस नियमों के तहत अभी तक सीबीआई ने पूर्ण चालान पेश नहीं किया, ना ही उन्हें कॉपी दी गई है। ऐसे में उन्हें डिफाल्ट जमानत मिलनी चाहिए।
सीबीआई ने यह दिए तर्क
इस मामले में सीबीआई अधिवक्ता गुफरान अहमद ने कहा कि चालान दो दिसंबर को ही पेश हो चुका है। यह 90 दिन के भीतर कर दिया गया था। चालान में गवाहों की लिस्ट, दस्तावेज, साक्ष्य व अन्य सभी तथ्य लगे हुए हैं।
चालान की कॉपी आरोपियों को दी जा रही है। इस मामले में अभी भी कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी होना बाकी है। ऐसे में जमानत का अधिकार नहीं बनता है। इन सभी तर्कों को सुनने के बाद जिला कोर्ट ने जमानत का आवेदन खारिज कर दिया।
सीबीआई ने इन सभी को बनाया है आरोपी
इस मामले में सीबीआई ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद मामला दर्ज कर जांच की गई थी। इसमें आरोपी महेश कुंभानी, राहुल गुप्ता के साथ ही फिरोज खान, गोविंद चंद्र हंसदा, गौरव धाकड़ और तीर्थ गोपीकॉन कंपनी हैं। इनके खिलाफ धारा 420, 467, 468 और 471 में केस हुआ है।
कंपनी ने 453 करोड़ की जमीन का सौदा भी किया था
तीर्थ गोपीकॉन कंपनी ने मार्च-अप्रैल 2024 में इंदौर स्मार्ट सिटी के साथ डील की थी। यह डील मध्यप्रदेश की सबसे महंगी रियल एस्टेट डील थी। कंपनी ने कुक्कुट केंद्र की जमीन 453 करोड़ में खरीदने का सौदा किया था। इसमें तय हुआ था कि तीन साल में पूरी राशि दी जाएगी। वहीं, कंपनी ने एक भी किश्त नहीं भरी थी। इसके बाद, स्मार्ट सिटी बोर्ड ने यह सौदा रद्द कर दिया था।
सांठगांठ से कर रहे गारंटी का खेल
सीबीआई जांच में पता चला कि तीर्थ गोपीकॉन कंपनी बैंक मैनेजर के साथ मिलकर फर्जी गारंटी ले रही थी। दोनों मिलकर पूरी सांठगांठ से यह काम कर रहे थे। कंपनी मूल रूप से अहमदाबाद (गुजरात) की है। मप्र में इसका ऑफिस इंदौर में 204, अमर मेट्रो पगनिस पागा इंदौर में है।
कंपनी के एमडी महेश भाई कुंभानी हैं। इसमें प्रमोटर व डायरेक्टर चंद्रिकाबेन कुंभानी और नॉन-एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर पल्लव कुंभानी हैं। कंपनी मूल रूप से सरकार के सिविल इंजीनियरिंग वर्क्स के टेंडर लेती है।
कंपनी ने इंदौर, उज्जैन, छतरपुर जैसे शहरों में कई प्रोजेक्ट किए हैं। इंदौर में नगर निगम और स्मार्ट सिटी के तहत सराफा प्रोजेक्ट, नाला टैपिंग, एसटीपी प्रोजेक्ट, सरवटे प्रोजेक्ट जैसे कई प्रोजेक्ट किए हैं। उज्जैन में अमृत 2.0 प्रोजेक्ट भी है।
फर्जी गारंटी से ठेके और पेमेंट असल में लेती है कंपनी
कंपनी का यह पूरा दोतरफा खेल है। कंपनी बैंक से सांठगांठ कर फर्जी बैंक गारंटी बनवाती है। फिर काम शुरू कर सरकार से भुगतान लेना शुरू कर देती है। जैसे कि जल निगम के 950 करोड़ के ठेके में कंपनी ने 84 करोड़ का भुगतान भी ले लिया था। कंपनी हर जगह इसी तरह का खेल करती रही है।
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